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लाइफस्टाइल में बदलाव से रोकी जा सकती हैं दिल से जुड़ी 90 प्रतिशत मौतें: डॉ. प्रवीण चंद्रा

भारत में हृदय रोगों (Heart diseases) के मामले कैसे कम करें? इस बारे में गुरुग्राम के मेदांता – द मेडिसिटी में इंटरवेंशनल एंड स्ट्रक्चरल हार्ट कार्डियोलॉजी के चेयरमैन और पद्मश्री विजेता डॉ प्रवीण चंद्रा ने एनडीटीवी-डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया सीजन 9 के फिनाले में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर क्या कहा, जानिए

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डॉ. प्रवीण चंद्रा ने कहा, जहां तक स्वास्थ्य का सवाल है, भारत बहुत अच्छी स्थिति में है

नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक दुनियाभर में हृदय रोग की वजह से होने वाली 17.9 मिलियन मौतों में से लगभग पांचवां हिस्सा भारत का है, खासतौर पर यहां की युवा पीढ़ी का. WHO का कहना है कि खराब लाइफस्टाइल, अनबैलेंस्ड (असंतुलित) डाइट, तनाव, स्मोकिंग और शराब पीना युवा लोगों में हृदय संबंधी बीमारियां होने का सबसे बड़ा कारण है. डॉक्टरों और विशेषज्ञों का भी मानना है कि पिछले एक दशक में भारतीयों में दिल की बीमारियों के मामले लगभग दोगुने हो गए हैं और अब यह देश की युवा आबादी को प्रभावित कर रहे हैं.

भारत में बढ़ते हार्ट डिजीज के मामले और इन्हें कम करने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए इस पर चर्चा करने के लिए गुरुग्राम के मेदांता – द मेडिसिटी में इंटरवेंशनल एंड स्ट्रक्चरल हार्ट कार्डियोलॉजी के अध्यक्ष और पद्मश्री से सम्मानित डॉ प्रवीण चंद्रा 15 अगस्त को हुए एनडीटीवी-डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया के सीजन फिनाले में शामिल हुए.

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इस कैंपेन के एम्बेसडर अमिताभ बच्चन और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया के साथ फिनाले के स्पेशल शो में हेल्थ केयर सेक्टर के उन नायकों का सम्मान किया गया जिन्होंने निस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा के लिए खुद को समर्पित कर दिया और जिन्हें उनके इस सराहनीय योगदान के लिए पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.

देश में हार्ट डिजीज के बढ़ते मामलों के बारे में डॉ. प्रवीण चंद्रा ने ये पांच बातें कही हैं:

  1. हमारे देश में हृदय रोग यानी हार्ट डिजीज के मामले इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि हमारी लाइफस्टाइल बदल रही है. इस वजह से आज हार्ट डिजीज को लाइफस्टाइल डिजीज भी कहा जाता है. लाइफस्टाइल में मानसिक और शारीरिक दोनों पहलू शामिल होते हैं. मानसिक तनाव के बारे में बात करें तो कई स्टडी से पता चला है कि भौतिकवाद की दौड़ और बढ़ते शहरीकरण के कारण युवाओं में मानसिक तनाव बढ़ रहा है, जिसकी वजह से हृदय रोग होता है.
  2. हृदय रोगों के बढ़ने का दूसरा कारण निष्क्रियता यानी इनएक्टिव रहना है. शारीरिक गतिविधियों (फिजिकल एक्टिविटी) में भारी गिरावट आई है. लोग बाहर घूमने नहीं जाते, एक्सरसाइज नहीं करते. एक हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए हफ्ते में 4-5 दिन सिर्फ 45 मिनट पैदल चलना ही काफी है.
  3. हार्ट डिजीज के लिए डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल साइलेंट किलर हैं. दिल की बीमारियों से बचने के लिए हमें इन सभी बीमारियों को ठीक करना होगा.
  4. हार्ट की वजह से होने वाली 90 प्रतिशत मौतों को सिर्फ लाइफस्टाइल में थोड़ा बदलाव लाकर, जैसे खाने-पीने में सावधानी बरतकर, नियमित रूप से एक्सरसाइज करके और स्मोकिंग छोड़कर रोका जा सकता है. अगर लोग इन तरीकों को अपना लें तो दिल के दौरे से बचा जा सकता है.
  5. जहां तक बीमारियों के ट्रीटमेंट की बात है तो भारत में अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं मौजूद हैं. 25 साल पहले हार्ट डिजीज या किसी दूसरी बीमारी के लिए बहुत से लोग इलाज के लिए देश से बाहर जाते थे, लेकिन आज भारत में बेस्ट मेडिसिन और हार्डवेयर अवेलेबल होने के चलते हम उन्हें बेस्ट ट्रीटमेंट मुहैया करा सकते हैं. आज हॉस्पिटल के लिए आवश्यक बहुत सारी दवाएं, हार्डवेयर भारत में ही बनाए जाते हैं और उनकी क्वालिटी अच्छी होती है साथ ही कीमत भी कम होती है.
  6. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक नई क्रांति है और जब भी कोई क्रांति होगी इसका दुरुपयोग भी होगा, लेकिन AI हेल्थकेयर इंडस्ट्री के लिए एक बहुत अच्छी शुरुआत है. इससे डॉक्टरों को बीमारियों का पूर्वानुमान लगाने में आसानी होगी और गलतियां भी कम होंगी.

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