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हवा जहरीली होने पर सुप्रीम कोर्ट ने कई राज्यों को दिया निर्देश, “पराली जलाना बंद कराएं”
अक्टूबर और नवंबर में राजधानी दिल्ली और पड़ोसी राज्यों में वायु प्रदूषण के स्तर में खतरनाक वृद्धि के पीछे पंजाब और हरियाणा में धान की पराली जलाने को माना जाता है प्रमुख वजह
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (7 नवंबर) को पंजाब, हरियाणा और राजस्थान सरकारों को राज्य में किसानों द्वारा पराली जलाने पर तुरंत रोक लगाने का निर्देश दिया है और इसे वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी की सबसे बड़ी वजहों में से एक बताया. न्यायाधीशों ने वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के लिए पराली जलाने, गाड़ियों के धुएं और खुले में कचरा जलाने को भी जिम्मेदार बताया. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि शहर में नगर पालिका का ठोस कचरा न जलाया जाए जैसा कि आमतौर पर होता है. दो जजों की बेंच ने कहा,
पराली जलाना बंद होना चाहिए. यह एकमात्र वजह नहीं है, हालांकि यह एक महत्वपूर्ण कारण है.
अक्टूबर और नवंबर में राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण के स्तर में खतरनाक वृद्धि के पीछे पंजाब और हरियाणा में धान की पराली जलाना प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है.
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पड़ोसी राज्यों में बिगड़ रहा हवा की गुणवत्ता का स्तर
दिल्ली में हवा की गुणवत्ता का स्तर एक सप्ताह से अधिक समय से ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी के बीच चल रहा है. राजधानी में PM2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) की सघनता सरकार द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से सात से आठ गुना अधिक हो गई है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक इसका पीएम 2.5 स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित 15 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर की स्वस्थ सीमा से 30 से 40 गुना अधिक था.
दिल्ली के अलावा हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भी हवा की गुणवत्ता खतरनाक बताई गई है. पंजाब के बठिंडा में AQI 385 दर्ज किया गया, इसके बाद लुधियाना में 301, जालंधर में 291, मंडी गोबिंदगढ़ में 277, अमृतसर में 264, खन्ना में 265 और पटियाला में 247 दर्ज किया गया. उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में AQI 338, गुरुग्राम में 364, नोएडा में 348, ग्रेटर में नोएडा 439 और हरियाणा के फरीदाबाद 382 दर्ज किया गया.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब राज्यों के निवासियों ने पिछले सप्ताह दुनिया की सबसे गंदी हवा का अनुभव किया.
सेहत पर वायु प्रदूषण का असर
वायु प्रदूषण लोगों की सेहत पर भारी पड़ रहा है. मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में पल्मोनोलॉजी के प्रधान निदेशक और प्रमुख डॉ. विवेक नांगिया ने वायु प्रदूषण के अल्पकालिक (शॉर्ट टर्म) और दीर्घकालिक (लॉन्ग टर्म) प्रभावों के बारे में कई बातें बताईं :
- वायु प्रदूषण बढ़ने से लोगों को आंखों में जलन और आंसू आने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
- सर्दी, खांसी, गले में खराश, शरीर में भारीपन महसूस होना, सीने में जकड़न, सांस फूलना, घरघराहट और सिरदर्द जैसी समस्याएं वयस्कों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले वायु प्रदूषण के प्रमुख प्रभाव हैं.
- वायु प्रदूषण के दीर्घकालिक प्रभावों में अस्थमा और विभिन्न प्रकार के कैंसर तक हो सकते हैं.
- वायु प्रदूषण के कारण समय से पहले मृत्यु, विभिन्न प्रकार के कैंसर, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), इंटरस्टीशियल लंग डिजीज (लगभग 100 क्रोनिक फेफड़ों के विकारों का समूह), श्वसन संक्रमण, दिल का दौरा, डायबिटीज और ब्रेन स्ट्रोक आदि हो सकते हैं.
- बच्चों में एलर्जी, सांस की समस्या, ब्रोन्कियल अस्थमा, श्वसन तंत्र में संक्रमण जैसे तपेदिक (टीबी), संज्ञानात्मक विकार (कॉग्निटिव डिस्फंक्शन), फेफड़े खराब होना और न्यूरोसाइकाइट्रिक व्यवहार संबंधी समस्याएं जैसे सिरदर्द और मानसिक मंदता हो सकती है.
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वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के बीच अपनाई जाने वाली सावधानियां
- आपातकालीन स्थिति को छोड़कर, जहां तक संभव हो शारीरिक गतिविधियों को सीमित करें.
- यात्रा के दौरान मास्क पहनें, N95 मास्क पहनना बेहतर होगा.
- बढ़ते वायु प्रदूषण के स्तर में प्रमुख कारणों में शामिल, वाहन उत्सर्जन में कमी के लिए निजी वाहनों के उपयोग में कमी लाएं.
- अस्थमा के रोगियों को इस समय खासतौर पर ज्यादा सतर्क रहना चाहिए और अपनी निर्धारित दवाएं लेने और इनहेलर के इस्तेमाल पर विशेष ध्यान देना चाहिए.
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(पीटीआई से इनपुट्स के साथ)