जलवायु परिवर्तन

मकसद के लिए कला: कैसे तीन बार के ग्रैमी अवॉर्ड विजेता रिकी केज, धरती को सुंदर बनाने के लिए बना रहे हैं संगीत

रिकी केज एक ऐसे कलाकार हैं जिन्होंने अपने गीतों और एल्बमों के जरिए पर्यावरण के साथ जलवायु परिवर्तन को लेकर जागरूकता बढ़ाई है. उनकी एल्बमों में ‘मायअर्थ’, ‘ब्रीथ लाइफ’, ‘डिवाइन ट्राइड्स’, ‘शांति संसार’ और ‘विंड्स ऑफ संसार’ जैसे नाम शामिल हैं. उन्होंने 20 देशों में 100 से अधिक म्यूजिक अवॉर्ड्स जीते हैं, जिनमें तीन ग्रैमी पुरस्कार भी शामिल हैं

Published

on

अभी तक रिकी राज दुनिया के प्रतिष्ठित मंचों पर यूनाइटेड नेशन्स सहित 30 से भी ज्यादा देशों में अपनी परफॉर्मेंस दे चुके हैं. उन्होंने 20 देशों में 100 से ज्यादा म्यूजिक अवॉर्ड जीते हैं

नई दिल्ली: दुनियाभर में संगीतकारों ने हमेशा से सामाजिक बदलाव के लिए अपने गानों का इस्तेमाल किया है. इस लिस्ट में चाहें यूनिसेफ गुडविल एंबेसडर के रूप में काम करने वाले और दुनिया के पहले शास्त्रीय संगीतकार मैक्सिम वेंगरोव हों या अमेरिकी गायक-गीतकार ब्रूस स्प्रिंगस्टीन हों. मैक्सिम ने बच्चों की शिक्षा और अधिकारों की वकालत की थी, जबकि ब्रूस ने LGBTQIA+ अधिकारों और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए आवाज उठाई है. अमेरिकी गायिका-गीतकार एलिसिया कीज, अफ्रीका और भारत में एचआईवी से पीड़ित बच्चों और परिवारों के इलाज के साथ उनके सामाजिक समर्थन के बारे में जागरूकता बढ़ा रही हैं.

इन सभी ने शांति, मानवाधिकार या लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए आंदोलन चलाया है. इसके साथ पर्यावरण के लिए आंदोलन भी इनसे किसी तरह अलग नहीं है. तीन बार के ग्रैमी अवॉर्ड विजेता और पर्यावरणविद्, रिकी केज भी एक बहुत अच्छे मकसद के लिए काम कर रहे हैं. बेंगलुरु का ये कलाकार अपने म्यूजिक के जरिए पर्यावरण से जुड़े मुद्दे, खासकर जलवायु परिवर्तन को लेकर सालों से काम कर रहा है. इसके लिए वो अपने गाने, एल्बम के साथ-साथ, दुनिया के दूसरे संगीतकारों के साथ मिलकर जागरूकता फैला रहे हैं.

अभी तक रिकी केज दुनिया के 30 से ज्यादा मुल्कों के प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी परफॉर्मेंस दे चुके हैं. इनमें न्यूयॉर्क और जेनेवा में स्थित यूनाइटेड नेशन्स का हेडक्वार्टर शामिल है. उन्होंने 20 से ज्यादा देशों में 100 से ज्यादा म्यूजिक अवॉर्ड जीते हैं, इनमें 3 ग्रैमी अवॉर्ड्स शामिल हैं.

42 साल के रिकी, यूनाइटेड नेशन्स कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (यूएनसीसीडी) के लिए यूनाइटेड नेशन्स गुडविल एम्बेसडर, यूनाइटेड नेशन्स रिफ्यूजी हाई प्रोफाइल सपोर्टर, यूनेस्को महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन फॉर पीस एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट (एमजीआईईपी) ग्लोबल एम्बेसडर फॉर काइंडनेस के रूप में काम कर चुके हैं. वो यूनिसेफ सेलिब्रिटी सपोर्टर और अर्थ डे नेटवर्क के राजदूत भी रह चुके हैं.

द एनडीटीवी-डिटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया की टीम से बात करते हुए रिकी केज ने अपने सफर और धरती को स्वस्थ्य बनाने के लिए तैयार किए अपने म्यूजिक के बारे में जानकारी दी है. केज ने बताया कि उन्होंने बचपन से उन मुद्दों को लेकर गाने तैयार करने की शुरुआत कर दी थी, जिसको लेकर उनके अंदर सशक्त भावना थी. इनमें पर्यावरण का मुद्दा सबसे ज्यादा प्रमुख था. उन्होंने कहा,

मैं अपनी पूरी जिंदगी में हमेशा दो चीजों से जुड़ा रहा हूं, पहला- पर्यावरण और दूसरा संगीत. ये दोनों मेरी जिंदगी के ऐसे स्तंभ हैं जिन्होंने अब तक मेरे लिए गए हर फैसले को निर्देशित किया है.

म्यूजिक के जरिए उठाए जटिल पर्यावरण संबंधी मुद्दे

पर्यावरण के जटिल मुद्दों पर संदेश देने के लिए संगीत के इस्तेमाल के बारे में बताते हुए केज ने कहा,

जरूरत इस बात की है कि संगीतकार इन जटिल विचारों को संगीत की भावनात्मक भाषा के जरिए सरल बनाएं ताकि इसका असर आम आदमी के दिलों और आत्माओं पर पड़े. इन भावनाओं के जरिए लोग वास्तव में अपने भीतर इन मुद्दों को समझ पाएंगे. आप जानते हैं कि दुनिया को बेहतर जगह बनाने के लिए हमें सबसे पहले खुद अपनी आदतों को बदलना होगा. इसलिए मेरा मानना है कि कला और विशेष रूप से संगीत के जरिए बहुत बड़ा बदलाव लाया जा सकता है. इसी कारण से मैंने अपना जीवन इस काम के लिए समर्पित कर दिया है.

पर्दे के पीछे कैसे तैयार होता है ये म्यूजिक

म्यूजिक तैयार करने की रचनात्मक प्रक्रिया के बारे में बात करते हुए, केज ने बताया कि इसमें पर्यावरण चेतना के अंश शामिल होते हैं.

मैं हमेशा से विज्ञान को मानने और सुनने वाला रहा हूं. मैं पूरी दुनिया के मशहूर वैज्ञानिकों, वर्ल्ड लीडर्स, नेताओं और एजेंसियों के प्रमुख लोगों से मिला और उनसे काफी कुछ सीखा. इसके अलावा मैंने अपना काफी वक्त उन डिबेटों में गुजारा, जहां पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर गंभीर चर्चा होती है. मैं ने अपनी संगीत का आइडिया यही से उठाया. मेरे संगीत, मेरे विचारों के पीछे वैज्ञानिक दृष्टिकोण और समय के साथ बदलती वैज्ञानिक सहमति भी शामिल है. क्योंकि आज की समस्याओं में वो मुद्दे भी शामिल हैं, जो पहले नहीं हुआ करते थे. जिन बड़ी समस्याओं के बारे में हम पहले सोचते थे, आज हम जानते हैं कि वे इतनी बड़ी समस्या नहीं हैं. तो इसी तरह, मेरा संगीत भी बदलता रहा है. मैं अपने संगीत को इतना सामान्य रखता हूं कि आम लोगों के बीच हमारी जिम्मेदारियों का एक संदेश जाए.

42 साल के रिकी केज ने पर्यावरण और वन्य जीवन के संरक्षण को लेकर युवा पीढ़ी को एकजुट करने का फैसला किया है.

मेरा मानना है कि बच्चे हमेशा पर्यावरणीय और दूसरी प्रजातियों को लेकर कई जन्मजात गुणों के साथ पैदा होते हैं. इसलिए, मैंने पहली से आठवीं क्लास तक पढ़ने वाले बच्चों के लिए ‘माई अर्थ सॉन्ग्स’ नाम से यह प्रोजेक्ट तैयार किया है. इस प्रोजेक्ट में कुल 30 गानों का कलेक्शन है. इन गानों में स्थिरता, धरती को लेकर जिम्मेदारी, कार्बन फुटप्रिंट और वन्य जीवन की जानकारी मिलती है.

शांति समसारा – पर्यावरण चेतना को बढ़ाने के लिए वर्ल्ड म्यूजिक

रिकी केज की एल्बम शांति समसारा – इस एल्बम को रिकी ने नवंबर 2015 में लॉन्च किया था. वर्ल्ड म्यूजिक फॉर एनवायरमेंटल कॉन्शसनेस, एक शानदार रचना है जो जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर जानकारी देती है. शांति समसारा को लेकर रिकी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक घंटे तक बातचीत हुई.

प्रधानमंत्री मोदी से मिलने और उनके साथ पर्यावरण के दर्शन पर चर्चा करने के बाद, मैंने ये फैसला किया कि मैं जो भी संगीत बनाऊंगा, वह जलवायु परिवर्तन को लेकर मेरे विचार, मान्यताओं और दर्शन का एक विस्तार होगा. इस विचार के साथ ही मेरी एल्बम शांति संसार का जन्म हुआ. इस एल्बम में 40 से अधिक देशों के 500 संगीतकारों ने हिस्सा लिया था. दुनिया के लगभग हर कोने में, मुझे कोई न कोई ऐसा संगीतकार मिला, जो जलवायु परिवर्तन, प्रजातियों, वर्षावनों को लेकर मेरी तरह सोचता और महसूस करता था. ये एल्बम मैंने उन संगीतकारों की मदद से तैयार की थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा लॉन्च हुई इस एल्बम में 24 गाने हैं. इस एल्बम को पीएम ने साल 2015 में पेरिस में हुई यूनाइटेड नेशन्स क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस के दौरान लॉन्च किया था.

इस एल्बम ने पूरी दुनिया में कई प्रतिष्ठित अवॉर्ड्स अपने नाम किए. इनमें ग्लोबल म्यूजिक अवॉर्ड्स वर्ल्ड म्यूजिक, बार्सिलोना इंटरनेशनल एनवायरमेंटल फिल्म फेस्टिवल (FICMA) और इंटरनेशनल ऑस्टिक म्यूजिक अवॉर्ड्स फॉर बेस्ट ओपन/ऑस्टिक ओपन जेनर जैसे नाम शामिल हैं.

LiFE – भारत के मिशन लाइफ इनिशिएटिव से प्रेरित एक गीत

रिकी ने बताया कि उन्होंने यूनिसेफ की मदद के साथ दिसंबर 2023 में अपनी लेटेस्ट प्रस्तुति ‘LiFE’ को लॉन्च किया था. ये LiFE गीत मिशन, पर्यावरण की रक्षा और उन्हें बचाने के लिए किए जाने वाले व्यक्तिगत और सामुदायिक प्रयासों से प्रेरित हैं. यह एक ग्लोबल आंदोलन है, जिसकी शुरुआत पीएम मोदी ने की थी.

LiFE गाना एक एनिमेटेड वीडियो है जिसमें तीन किरदार हैं. ये तीनों किरदार, दुनिया में एक बदलाव देखना चाहते हैं. इसके लिए मुझे न्यूयॉर्क यूथ सिम्फनी, न्यूयॉर्क में 70-पीस ऑर्केस्ट्रा, Lonnie पार्क, दो बार ग्रैमी अवॉर्ड विजेता और भारतीय गायक शंकर महादेवन के अलावा अन्य अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के साथ काम करने का अवसर मिला.

जलवायु परिवर्तन के असर को कम करना

रिकी केज ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से जुड़ी समस्याओं को हल करने के पीछे के सिद्धांत, जिम्मेदारी से भरा जीवन जीने के बारे में बताता है. कलाकार ने आगे कहा,

यह जिम्मेदारी भरा जीवन, अपने लिए, अपनी प्रजाति के लिए, अपनी धरती को बचाने के लिए है. जैसे पेड़ों को न काटना और वातावरण को दूषित न करना आदि. जलवायु परिवर्तन के छोटे और लंबे दोनों तरह के प्रभाव बच्चों के स्वास्थ्य पर असर डालते हैं. ये असर अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के रूप में हो सकते हैं.

अपने संगीत के जरिए, रिकी केज जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित करते हैं. ये सिद्धांत हर किसी पर लागू होता है. भविष्य में पर्यावरणीय मुद्दों के लिए संगीत तैयार करने को लेकर रिकी ने आगे कहा कि

मैं जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर अधिक से अधिक गाने बनाने जा रहा हूं, क्योंकि मेरा मानना है कि अब इसके प्रभाव को कम करने के लिए व्यक्तिगत कदम उठाने की जरूरत है.

केज ने आगे कहा कि लोगों को जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए व्यक्तिगत रूप से समाधान के प्रयास करने होंगे क्योंकि अब ये वक्त विरोध या प्रोटेस्ट करने का नहीं है. न ही ये अब एक ऐसा मुद्दा है कि इसकी जिम्मेदारी दूसरों पर डाली जाए.

जब हम इसे एक निजी मुद्दे के तौर पर देखेंगे तो हम इस समस्या के समाधान को खोज पाएंगे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version