जलवायु परिवर्तन
COP 28 में, प्रधानमंत्री मोदी ने ‘ग्रीन क्रेडिट इनीशिएटिव’ को किया लॉन्च, जानिए मुख्य बातें
दुबई में COP 28 सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2028 में COP 33 की मेजबानी का प्रस्ताव रखा
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दुबई में COP28 शिखर सम्मेलन को संबोधित किया और कहा कि दुनिया के पास पिछली सदी की गलतियों को सुधारने के लिए ज्यादा समय नहीं है. संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (COP 28) में राष्ट्राध्यक्षों और सरकारों के प्रमुखों की उच्च-स्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने भारत की ओर से 2028 में COP 33 जलवायु शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने का प्रस्ताव भी दिया.
भारत, UN Framework for Climate Change Process के प्रति प्रतिबद्ध है ।
इसलिए, आज मैं इस मंच से 2028 में COP-33 समिट को भारत में host करने का प्रस्ताव भी रखता हू: PM @narendramodi pic.twitter.com/sepsphRiDI
— PMO India (@PMOIndia) December 1, 2023
इसे भी पढ़े: क्या है क्लाइमेट स्मार्ट खेती : जलवायु परिवर्तन के बीच क्या यह बन सकती है खाद्य सुरक्षा का साधन?
COP 28 में वैश्विक नेताओं को पीएम मोदी के संबोधन की मुख्य बातें इस प्रकार हैं:
- पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाकर दुनिया के सामने एक महान उदाहरण पेश किया है. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में 4 फीसदी से भी कम योगदान देता है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत दुनिया के उन चंद देशों में से है, जो अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) – ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की योजना, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को बिगड़ने से बचाने के लक्ष्यों को प्राप्त करने की ओर बढ़ रहे हैं.
- अपनी टिप्पणी के दौरान, पीएम मोदी ने लोगों की भागीदारी के माध्यम से कार्बन सिंक बनाने पर केंद्रित ग्रीन क्रेडिट पहल की भी पेशकश की. यह इनिशिएटिव अक्टूबर में पर अधिसूचित ग्रीन क्रेडिट पहल की भी पेशकश की. यह इनिशिएटिव अक्टूबर में पर अधिसूचित ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम के समान है. यह एक ऐसा इनोवेटिव बाजार-आधारित मैकेनिज्म है, जिसे व्यक्तियों, समूहों और निजी क्षेत्र द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में स्वैच्छिक रूप से पर्यावरण संरक्षण के कार्यों को पुरस्कृत करने के लिए तैयार किया गया है.
- पीएम मोदी ने अपने भाषण में इस तथ्य पर जोर दिया कि अमीर देशों के कारण ग्लोबल वार्मिंग बढ़ी है. इनके ऐतिहासिक कार्बन उत्सर्जन के कारण हुए जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप गरीब और विकासशील देश बाढ़, सूखा, बढ़ती गर्मी व शीतलहर जैसी चरम जलवायु स्थितियों का खामियाजा भुगत रहे हैं. उन्होंने कहा, ”पिछली सदी में मानवता के एक छोटे हिस्से ने प्रकृति का अंधाधुंध दोहन किया, पर इसकी कीमत पूरी मानवता को चुकानी पड़ रही है, खासकर ग्लोबल साउथ में रहने वाले लोगों को। इस तरह से केवल अपने हितों के बारे में सोचने से दुनिया केवल अंधकार में ही जाएगी.”
- प्रधानमंत्री ने कमी लाने और अनुकूलन के बीच संतुलन बनाए रखने का भी आह्वान किया और कहा कि दुनिया भर में ऊर्जा परिवर्तन “न्यायसंगत और समावेशी” ढंग होना चाहिए. पीएम मोदी ने विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करने के लिए समृद्ध देशों से तकनीकी स्थानांतरण (टेक्नोलॉजी ट्रांसफर) की भी अपील की.
- अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के एक अध्ययन का हवाला देते हुए पीएम मोदी ने कहा, “LiFE मूवमेंट का दृष्टिकोण, जिसकी घोषणा मैंने 2021 में ग्लासगो सीओपी में की थी, कार्बन उत्सर्जन को 2 बिलियन टन कम करने में मदद कर सकता है. (यह पहल देशों को धरती की प्रकृति के अनुसार पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली अपनाने और चरम उपभोक्तावादी व्यवहार से दूर रहने का आग्रह करती है) पीएम मोदी ने देशों से मिलकर काम करने और जलवायु संकट के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने का आह्वान किया. उन्होंने कहा, ”हम एक दूसरे का सहयोग करेंगे और एक दूसरे का समर्थन करेंगे. आज सभी विकासशील देशों को वैश्विक कार्बन बजट में अपना उचित हिस्सा देने की आवश्यकता है.
भारत ने अपनी जी-20 प्रेज़िडेन्सी में One Earth, One Family, One Future की भावना के साथ क्लाइमेट के विषय को निरंतर महत्व दिया। pic.twitter.com/Bk2QiZjwAL
— PMO India (@PMOIndia) December 1, 2023
इसे भी पढ़े: कृषि और खाद्य सुरक्षा पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन सत्र में संयुक्त राष्ट्र क्लाइमेट चेंज के कार्यकारी सचिव साइमन स्टिल के साथ मंच पर COP 28 के अध्यक्ष सुल्तान अल जाबेर के साथ शामिल होने वाले एकमात्र नेता थे. यदि COP 33 की मेजबानी के भारत के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाता है, तो यह इस साल की शुरुआत में हुए G20 शिखर सम्मेलन के बाद देश में अगला बड़ा वैश्विक सम्मेलन होगा. भारत ने आखिरी बार 2002 में नई दिल्ली में COP 8 सम्मेलन की मेजबानी की थी, जहां दिल्ली मिनिस्ट्रियल डिक्लेरेशन की घोषणा की गई थी, जिसमें विकसित देशों द्वारा तकनीक हस्तांतरण और विकासशील देशों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के प्रयासों का आह्वान किया गया था.
आज मैं इस फोरम से एक और, pro-planet, proactive और positive Initiative का आवाहन कर रहा हूँ ।
यह है Green Credits initiative.
यह कार्बन क्रेडिट की कमर्शियल मानसिकता से आगे बढ़कर, जन भागीदारी से कार्बन sink बनाने का अभियान है: PM @narendramodi pic.twitter.com/K3GhCLUajp
— PMO India (@PMOIndia) December 1, 2023
निर्धारित लक्ष्यों के तहत भारत का लक्ष्य 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 2005 के स्तर से 45 प्रतिशत तक कम करना और 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से 50 फीसदी बिजली उत्पादन तक पहुंचने का है. साथ ही भारत ने 2070 तक जीरो इमिशन अर्थव्यवस्था बनने के लिए भी प्रतिबद्धता जताई है. इस वर्ष जी 20 की अध्यक्षता करते हुए भारत ने विकास और पर्यावरण को संतुलित करने के लिए ग्रीन डेवलपमेंट पैक्ट के लिए दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ आम सहमति बनाने में कामयाबी हासिल की.
इसे भी पढ़ें: आधिकारिक पुष्टि! वैश्विक स्तर पर सबसे गर्म रहा साल 2023 की गर्मी का सीजन