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ब्लॉग : आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए महिलाएं तैयार कर रहीं पोषण से भरपूर आहार

उत्तर प्रदेश के स्वयं सहायता समूहों की अगुवाई में कम्‍यूनिटी-बेस्‍ड सूक्ष्म उद्यमों ने छेड़ी कुपोषण से निपटने और महिला सशक्‍तीकरण की मुहिम

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2024 की थीम 'महिलाओं में निवेश' पर केंद्रित है

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के झांसी के बड़ागांव कस्बे के भोजला गांव में हर रात अपनी तरह की एक अनूठी क्रांति हो रही है. इलाके के कई घरों की महिलाएं अपने घर निकल कर एक छोटी सी इमारत में इकट्ठा होती हैं, जहां वे रात भर काम करती हैं. यह इस क्षेत्र की महिलाओं के लिए एक बड़ी सामाजिक पहल है. यहां ये महिलाएं कुछ मशीनें चलाकर एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के तहत महिलाओं और बच्चों को वितरित किए जाने वाले पोषक आहार तैयार करती हैं.

सक्षम प्रेरणा लघु उद्योग इकाई चलाने वाली महिलाओं में शामिल द्रौपदी कहती हैं “जब से मैं टेक होम राशन यूनिट में शामिल हुई हूं तब से मैं बेहद खुश हूं. इससे मुझे अपनी जिंदगी की रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने में मदद मिली है और मैं अपने बच्चों को स्कूल भेजने में भी सक्षम हो गई हूं. आज मैं आत्मनिर्भर हूं और हर चीज के लिए अपने पति पर निर्भर नहीं रहती. अब मैं घर चलाने के लिए पैसे कमाने में भी हाथ बंटा पा रही हूं.”

द्रौपदी बताती हैं “जब से मैंने काम करना शुरू किया है, तब से हमारे जीवन में बहुत कुछ बदल गया है. मेरे पति भी मुझे और मेरे काम को बहुत सपोर्ट करते रहे हैं. यूनिट की महिलाएं एक परिवार की तरह हैं और हम सारा काम साथ मिलकर करते हैं. हमारा फोकस केवल आगे बढ़ने और बेहतर काम करने पर है.”

द्रौपदी सक्षम प्रेरणा लघु उद्योग की समस्या यूनिट चला रही हैं

कामकाज के बीच जब टी ब्रेक में ये महिलाएं जमीन पर बैठकर चाय की चुस्कियों के बीच आपस में बातें करती हैं, तो इसमें भी कहीं न कहीं एक मकसद दिखाई देता है, जो इन महिलाओं की असाधारण प्रतिबद्धता और समय के साथ मजबूत होती उनकी एकजुटता की झलक दिखलाता है. इस दौरान इनके बीच चलने वाली चर्चाओं में इनकी जिंदगियों में आए खुशनुमा बदलावों की कहानियों की गूंज सुनाई देती है. इस उपक्रम के जरिये कैसे उन्‍हें एक नियमित आय का जरिया मिला, प्रशिक्षण से हुनर में निखार आया, समाज में इनका सम्मान बढ़ा और यह सबकुछ किस तरह इनकी जिंदगियों को बदल रहा है. इनमें से कुछ महिलाओं ने अपने घर की मरम्मत कर उसे सजा-संवार लिया है, किसी ने दोपहिया वाहन ले लिया और ज्यादातर महिलाएं अब अपने बच्चों की बेहतर शिक्षा का खर्च उठा पा रही हैं.

इस साल (2024) का अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं में निवेश पर केंद्रित रहा, जो कि वाकई में महिलाओं के विकास से जुड़ा एक बहुत ही महत्‍वपूर्ण पहलू है. महिलाओं में निवेश से ही एक बड़े बदलाव की शुरुआत हो सकती है और सभी के लिए एक स्वस्थ, सुरक्षित और समानता भरी दुनिया बनाने के काम में तेजी आ सकती है. ये महिलाएं और इनके जरिये उत्तर प्रदेश में टेक होम राशन इकाइयों का प्रभावशाली विस्तार इस बात की गवाही देता है कि जमीनी स्‍तर पर महिलाओं के लिए निवेश के कैसे और कितने सार्थक परिणाम देखने को मिल सकते हैं.

उत्तर प्रदेश में स्वयं सहायता समूहों की अगुवाई में कम्‍यूनिटी-बेस्‍ड सूक्ष्म उद्यमों के जरिये चल रही यह कवायद कुपोषण से निपटने में महिला सशक्‍तीकरण के महत्व को दर्शाती है. 2020 में राज्य के महिला एवं बाल विकास विभाग ने महिला उद्यमों के टेक-होम राशन के लिए एक डिसेंट्रलाइज्ड प्रोडक्शन मॉडल शुरू करने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के साथ सहयोग किया. इस मॉडल में पांच मीट्रिक टन उत्पादन क्षमता वाले ऑटोमेटिक उपकरणों से 20 सदस्यीय महिला समूह आईसीडीएस लाभार्थियों के लिए विभिन्न प्रकार के आहारों का उत्पादन करता है.

महिला समूहों द्वारा बनाई गई खाद्य सामग्री आंगनवाड़ी केंद्रों तक पहुंचाए जाने के बाद इन महिलाओं को आईसीडीएस के मानदंडों के हिसाब से इसके लिए रकम का भुगतान किया जाता है.

संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने 2021 में उन्नाव और फतेहपुर में दो पायलट संयंत्र स्थापित करके इस मॉडल की व्यावहारिकता का प्रदर्शन किया. उत्तर प्रदेश सरकार के भरोसे और सकारात्मक सहयोग के बाद महज दो साल में इस परियोजना का विस्तार राज्य के 43 जिलों में 202 उत्पादन इकाइयों तक कर दिया गया है. आज इससे 4,080 महिलाओं के परिवारों की रोजी-रोटी चल रही है और 12 मिलियन आईसीडीएस लाभार्थियों तक इसका लाभ पहुंच रहा है.

महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने से खाद्य और पोषण सुरक्षा में सुधार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में भी मदद मिल रही है. महिलाओं का आर्थिक सशक्‍तीकरण हुआ है. वे अब बेहतर ढंग से फैसले में सक्षम हुई हैं. साथ ही उनके बच्चों के स्वास्थ्य में भी उल्लेखनीय सुधार देखने को मिल रहा है.

(यह लेख भारत में विश्व खाद्य कार्यक्रम की प्रतिनिधि और कंट्री डायरेक्टर एलिजाबेथ फॉरे द्वारा लिखा गया है.)

डिस्‍क्‍लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.

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