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हेल्दी रहने के लिए हेल्दी इंटेस्टाइन क्यों है जरूरी, बता रहे हैं पद्मश्री पुरस्कार विजेता डॉ. नागेश्वर रेड्डी
वर्तमान में हैदराबाद में एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और AIG हॉस्पिटल्स के चेयरमैन के तौर पर कार्यरत, पद्म पुरस्कार विजेता डॉ. नागेश्वर रेड्डी का मानना है कि “अच्छा स्वास्थ्य हमारी आंत और उसमें मौजूद बैक्टीरिया पर निर्भर करता है”
नई दिल्ली: गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंडोस्कोपी में अपने इनोवेशन के लिए दुनियाभर में पहचान बना चुके डॉ. नागेश्वर रेड्डी का कहना हैं, “स्वस्थ रहने के लिए आपकी आंतों का स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है, अगर आपकी आंत हेल्दी है तो आपकी फिजिकल हेल्थ भी अच्छी होगी.” 18 मार्च, 1956 को विशाखापत्तनम में जन्मे डॉ. रेड्डी को 1995 में इंडियन मेडिकल काउंसिल से बी सी रॉय पुरस्कार, 2002 में पद्मश्री और 2016 में पद्म भूषण सहित कई दूसरे पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. डॉ. रेड्डी का क्लिनीकल और बेसिक रिसर्च इंटरेस्ट का मुख्य क्षेत्र G.I. एंडोस्कोपी में रहा है. मौजूदा समय में हैदराबाद में एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और AIG हॉस्पिटल्स के चेयरमैन के तौर पर काम कर रहे डॉ. रेड्डी का मानना है कि “अच्छा शारीरिक स्वास्थ्य आंत और आंत में मौजूद बैक्टीरिया पर निर्भर करता है.”
एनडीटीवी-डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया के सीजन फिनाले 9 में डॉ. रेड्डी ने आंत के स्वास्थ्य और गैस्ट्रो इन्फेक्शन (gastro infections) में हाइजीन यानी स्वच्छता कितनी बड़ी भूमिका अदा करती है, के बारे में बात की. उन्होंने कहा,
हमारे अंदर 90 प्रतिशत बैक्टीरिया होते हैं और केवल 10 प्रतिशत ही मानव कोशिकाएं यानी ह्यूमन सेल होते हैं. शरीर के अंदर मौजूद ये 90 प्रतिशत बैक्टीरिया आपकी हर चीज को कंट्रोल करते हैं – जैसे आपका शुगर स्टेट्स, कार्डियक स्टेटस और मेंटल स्टेटस आदि. हम इंसानों के अंदर मौजूद इन बैक्टीरिया में लार्ज डायवर्सिटी होती है, जिनमें अच्छे बैक्टीरिया और बुरे बैक्टीरिया शामिल हैं. जब भी हमारे शरीर के अंदर बुरे और अच्छे बैक्टीरिया के बीच का संतुलन बदलता है तो हमारा स्वास्थ्य प्रभावित होने लगता है. केवल कुछ साल पहले ही हमें यह पता चला है क्योंकि अब हमारे पास आंत के अंदर लाखों की तादाद में मौजूद सभी बैक्टीरिया की जांच करने की टेक्नोलॉजी है.
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नई टेक्नोलॉजी के जरिए जांच करने पर हमारे शरीर के अंदर मौजूद बैक्टीरिया से क्या होता है, इसके कुछ चौंकाने वाले उदाहरण सामने आए हैं, डॉ. रेड्डी ने कहा,
मधुमेह यानी डायबिटीज बैक्टीरिया की वजह से होता है. कार्डियक डिजीज यानी हृदय रोग भी बैक्टीरिया की वजह से ही होता है. तो आप कल्पना कर सकते हैं कि जब इन्फेक्शन की वजह से बैक्टीरियल डायवर्सिटी कम हो जाती है, तो हमारी तबीयत खराब हो जाती है. यह बैक्टीरियल डायवर्सिटी अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न होती है; यह उन क्षेत्रों में सबसे बेहतर होती है जहां के लोग हाइजीन यानी स्वच्छता और प्रॉपर डाइट आदि का पालन करते हैं. क्या आपको पता है कि जब आप डायरिया और दूसरी बीमारियों के लिए बार-बार एंटीबायोटिक्स लेते हैं तो इससे आपकी बैक्टीरियल डायवर्सिटी कम हो जाती है जिससे आपका स्वास्थ्य प्रभावित होता है और आप तबीयत खराब होने का अनुभव करते हैं.
डॉ. रेड्डी और उनकी टीम ने स्वच्छता और आंत के स्वास्थ्य के बीच क्या संबंध है उसे समझाने के लिए एक एक्सपेरिमेंट किया. इस एक्सपेरिमेंट के तहत लगभग 20 गांवों को शामिल किया गया और वहां के सभी लोगों को साफ सुरक्षित पानी उपलब्ध कराया गया, शौचालय से जुड़ी स्वच्छता के बारे में उन्हें शिक्षित किया गया और उनकी खाने की आदतों में बदलाव किए गए जिसके अंतर्गत उनके खाने में ज्यादा फाइबर युक्त भोजन शामिल किया गया. पिछले 10 सालों में इस क्षेत्र से संक्रामक डायरिया (infective diarrhoea) के सभी मामले गायब हो चुके हैं. यहां के लोगों की ओवरऑल मेटाबोलिक हेल्थ में सुधार आया है; उन्हें अब कार्डियो-मेटाबोलिक समस्याएं भी नहीं हैं.
इस एक्सपेरिमेंट के निष्कर्षों को देखते हुए डॉ. रेड्डी ने कहा,
यह एक बहुत क्लियर डेमोंस्ट्रेशन था कि हमारी आंत का हेल्दी होना हमारी हेल्थ के लिए कितना जरूरी है. हमारे शरीर में मौजूद बैक्टीरिया और हमारी आंत हमारे सभी मेटाबोलिक प्रोसेस को कंट्रोल यानी नियंत्रित करते हैं और इसलिए आंत की स्वच्छता के लिए हाथों को बार-बार धोना. कितना महत्वपूर्ण है अब आप समझ गए होंगे. हमारे इस अभियान ने लोगों को सिखाया कि आंत को हेल्दी रखने के लिए अपने हाथ साफ रखना जरूरी है. इस अभियान को जमीनी स्तर पर लागू करके हमने लोगों को ये समझाने में कामयाबी हासिल की कि स्वस्थ रहने के लिए आंतों का स्वस्थ रहना कितना जरूरी है और आंतों को स्वस्थ रखने के लिए हाइजीन मेंटेन करना बहुत आवश्यक है. इससे उनकी जिंदगी पर बहुत फर्क पड़ा है. आंत की स्वच्छता, आंत के बैक्टीरिया और उसका स्वास्थ्य मेंटेन रखने के लिए ये छोटे-छोटे कदम उठाना काफी है. जैसे साफ-सफाई का ख्याल रखना और फाइबर से भरपूर डाइट अपनी दिनचर्या में शामिल करना.
आंत के स्वास्थ्य की इम्पोर्टेंस समझाने के लिए जो कैंपेन चलाया जा रहा है उसके ब्रांड एम्बेसडर अमिताभ बच्चन हैं उनके साथ बातचीत करते हुए, डॉ. रेड्डी ने कहा,
यह हमारे प्राचीन ग्रंथों में लिखा है कि ‘सब कुछ पेट से आता है’ और पेट में मौजूद बैक्टीरिया की वजह से यह बात एकदम सच है. बैक्टीरिया ही इन सभी केमिकल यानी रसायनों को शरीर में भेजते हैं जो हमारी हर एक्टिविटी को कंट्रोल करते हैं. जैसे हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर और मेंटल हेल्थ – सब कुछ इनकी वजह से ही नियंत्रित होता है. हमारी लाइफस्टाइल में जब कोई भी बदलाव जैसे एक्सरसाइज में कमी, खाने की गलत आदतें, धूम्रपान और शराब का सेवन, तो ये सब हमारी आंत के माइक्रोबायोम (microbiome) को प्रभावित करता है जिससे आंत में डिस्बिओसिस (dysbiosis) होता है. डिस्बिओसिस आपके शरीर के अंदर मौजूद अच्छे और बुरे बैक्टीरिया के बीच असंतुलन पैदा होने का वजह से होता है.
आंत और लीवर कई तरह से एक-दूसरे जुड़े हुए होते हैं और आंत के खराब स्वास्थ्य का असर फैटी लीवर डिजीज के तौर पर सामने आता है. डॉ. रेड्डी ने कहा फैटी लिवर की बीमारी 30 प्रतिशत भारतीयों को प्रभावित करती है – चाहे फिर वे किसी भी क्षेत्र में रहते हों. इससे आप इस बीमारी की गंभीरता का अंदाजा लगा सकते हैं. उन्होंने आगे अपनी बात रखते हुए कहा,
लोगों को लगता है कि फास्ट फूड में कैलोरी होती है जिसकी वजह से फैटी लिवर की समस्या पैदा होती है. लेकिन ऐसा नहीं है बल्कि फास्ट फूड में एडिटिव्स और प्रिजर्वेटिव्स होते हैं जो इस समस्या का कारण बन रहे हैं. ये फास्ट फूड बैक्टीरिया का संतुलन बदल देते हैं जो आंत और लीवर को नुकसान पहुंचाता है. ये काफी चिंताजनक स्थिती है, क्योंकि भारत में सिर्फ डायबिटीज के मामले ही नहीं बढ़ रहे, हमारे देश में फैटी लीवर डिजीज के मामले भी बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं और यह फैटी लीवर डिजीज लीवर सिरोसिस (Cirrhosis) और लीवर कैंसर का कारण भी बनती है. पूरी दुनिया में लिवर कैंसर के सबसे ज्यादा मामले भारत में देखे गए हैं और हमें आनुवंशिक तौर पर फैटी लिवर होने का खतरा है. इसलिए हमें और सावधानी बरतने की जरूरत है.
सबसे जरूरी बात यह है कि अच्छी आंत के स्वास्थ्य का बीज जन्म के समय ही बोया जाता है. डॉ. रेड्डी ने कहा,
तीन चीजें हैं जो एक बच्चे में आंत के स्वास्थ्य को निर्धारित करती हैं – वेजाइनल डिलीवरी (vaginal delivery), स्तनपान (breastfeeding) और एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल न करना. यदि हम इन तीनों बातों का पालन करते हैं, तो हमारे बच्चों की आंत हेल्दी रहने लगेगी.