ताज़ातरीन ख़बरें

मिलिए प्रेगनेंसी डायबिटीज के भीष्म पितामह डॉ. वीरास्वामी शेषैया से

भारत सरकार ने डॉ. वी. शेषैया के जन्मदिन 10 मार्च को राष्ट्रीय गर्भकालीन मधुमेह जागरूकता दिवस के रूप में घोषित किया है

Published

on

नई दिल्ली: चेन्नई में जन्मे और पले-बढ़े डॉ. वीरास्वामी शेषैया (Dr Veeraswamy Seshiah) भारत के पहले डायबिटिक पैथोलॉजिस्ट हैं, जिन्होंने जेस्टेशनल डायबिटीज मेलिटस (Gestational Diabetes Mellitus- GDM) के डायग्नोज के लिए ‘सिंगल टेस्ट प्रोसीजर’ की शुरुआत की. जेस्टेशनल डायबिटीज यानी गर्भावस्था मधुमेह (गर्भावस्था में शुगर) को एक तरह के डायबिटीज के तौर पर ही परिभाषित किया जाता है, जो उन महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान विकसित हो सकता है, जिन्हें पहले से मधुमेह यानी डायबिटीज नहीं है. यह तब होता है जब गर्भावस्था के दौरान आपका शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता है. जेस्टेशनल डायबिटीज मेलिटस (GDM) की वजह से गर्भावस्था के 28वें सप्ताह में या उसके बाद गर्भ में शिशुओं की जान जाने का खतरा बढ़ जाता है.

डॉ. वीरास्वामी शेषैया इस कहावत में बहुत यकीन रखते हैं कि “इलाज से बेहतर रोकथाम है” और उसी की प्रैक्टिस करते हुए उन्होंने गर्भवती महिलाओं में डायबिटीज की जांच के लिए ‘Single Test Procedure’ बनाया.

लंबे समय तक चलने वाले पब्लिक हेल्थ कैंपेन ‘बनेगा स्वस्थ इंडिया’ के सीजन (9) फिनाले पर एनडीटीवी से बात करते हुए डॉ. शेषैया ने अपनी रिसर्च के बारे में बताया. उन्होंने कहा,

हमने खराब प्रसूति यानी गर्भ में शिशु के मरने के(की जान जाने के) कारणों का पता लगाया और डायबिटीज इसके पीछे प्रमुख वजह के तौर पर सामने आया.

इसे भी पढ़ें: हेल्‍दी रहने के लिए हेल्‍दी इंटेस्‍टाइन क्‍यों है जरूरी, बता रहे हैं पद्मश्री पुरस्कार विजेता डॉ. नागेश्वर रेड्डी 

डॉ. वीरास्वामी का मानना है कि विश्व स्तर पर डायबिटीज, एपिडेमिक से अब एक पैनडेमिक में तब्दील हो गया है. भारत को “वर्ल्ड की डायबिटीज कैपिटल” के तौर पर जाना जाता है. इसे कंट्रोल करने और डायबिटीज को रोकने के लिए डॉ. वीरास्वामी डायबिटीज की प्रारंभिक रोकथाम की सलाह देते हैं. उन्होंने कहा,

शादी के बाद महिलाओं को प्रसूति रोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए और गर्भधारण से पहले किन बातों का ख्याल रखना चाहिए है, उस बारे में विशेषज्ञ की दी गई सलाह का पालन करना चाहिए. महिलाओं के लिए गर्भधारण करने से पहले ग्लूकोज लेवल की चैक करना और गर्भधारण के बाद ब्लड शुगर लेवल की भी समय-समय पर जांच करना जरूरी है. गर्भावस्था के पहले 10 हफ्ते बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. यदि मां का ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है तो इसका असर भ्रूण पर भी पड़ेगा. इसलिए गर्भावस्था के 10 वें हफ्ते में ब्लड शुगर लेवल की जांच करनी चाहिए.

यदि मां को गर्भावधि मधुमेह यानी जेस्टेशनल डायबिटीज मेलिटस हो जाए, तो बच्चे को डायबिटीज होना तय है. डॉ. शेषैया कहते हैं इसलिए गर्भावस्था के दौरान मां के स्वास्थ्य की जांच करना बेहद जरूरी है.

डॉ. शेषैया वर्तमान में चेन्नई में डॉ. वी शेषैया डायबिटीज रिसर्च इंस्टीट्यूट में चेयरमैन और सीनियर कंसल्टेंट डायबेटोलॉजिस्ट के तौर पर कार्यरत हैं. चिकित्सा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए डॉ. शेषैया को 2022 में पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है.

भारत सरकार ने डॉ. शेषैया के जन्मदिन 10 मार्च को राष्ट्रीय गर्भकालीन मधुमेह जागरूकता दिवस (National Gestational Diabetes Mellitus Awareness Day) के तौर पर घोषित किया है. डॉ. शेषैया जिन्हें प्रेगनेंसी डायबिटीज के भीष्म पितामह के तौर पर भी जाना जाता है, ने “भविष्य के लिए भ्रूण पर ध्यान केंद्रित करने” की आवश्यकता पर जोर दिया.

इसे भी पढ़ें: सरकार हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने और उस तक लोगों की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version