जलवायु परिवर्तन
भारत ने COP28 में समानता और जलवायु को बेहतर करने के लिए पेरिस समझौते को अमल में लाने का आग्रह किया
COP28 के समापन सत्र में बोलते हुए भारत के पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि यहां के सामूहिक प्रयासों ने पेरिस में निर्धारित तापमान लक्ष्यों को बनाए रखने की प्रतिबद्धता को मजबूत करने के लिए पूरी दुनिया को पॉजिटिव सिग्नल्स भेजे हैं.
दुबई: भारत ने बुधवार (13 दिसंबर) को जलवायु शिखर सम्मेलन COP28 में विश्व नेताओं से इक्विटी और जलवायु न्याय के सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित करते हुए ग्लोबल स्टॉकटेक प्रक्रिया के माध्यम से पेरिस समझौते को पूर्ण रुप से लागू करने का आग्रह किया. COP28 के समापन सत्र में बोलते हुए भारत के पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि यहां के सामूहिक प्रयासों ने पेरिस में निर्धारित तापमान लक्ष्यों को बनाए रखने की प्रतिबद्धता को मजबूत करने के लिए पूरी दुनिया को पॉजिटिव सिग्नल्स भेजे हैं. COP28 में एक ऐतिहासिक जलवायु समझौता हुआ है, जिसमें फॉसिल फ्यूल के इस्तेमाल को जल्द ही खत्म करने का फैसला किया गया है. उन्होंने कहा,
आगे का रास्ता समानता और जलवायु न्याय पर आधारित होना चाहिए, आइए हम ग्लोबल स्टॉकटेक प्रक्रिया के माध्यम से पेरिस समझौते को पूर्ण रुप से लागू करें.
लगभग दो सप्ताह की व्यस्त बातचीत के बाद अपनाई गई पहली ग्लोबल स्टॉकटेक डील, देशों से बिजली के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले कोयले को चरणबद्ध तरीके से कम करने का आग्रह करती है. भारत और चीन ने कोयले को बाहर करने के फैसला का पुरजोर विरोध किया था. ग्लोबल स्टॉकटेक डील को संयुक्त अरब अमीरात की सहमति कहा जा रहा है.
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अंतिम सत्र में बोलने के यादव ने एक्स पर पोस्ट किया कि दुनिया एक हरित और स्वस्थ ग्रह के लिए कार्रवाइयों को सकारात्मक सहयोग और सौहार्द के माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए संयुक्त अरब अमीरात में COP28 पर एक साथ आई.
पर्यावरण मंत्री ने अपने पोस्ट में आगे कहा,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में जी20 की अध्यक्षता के माध्यम से, भारत ने जलवायु कार्रवाई को एक सहयोगी प्रक्रिया बनाने का संकल्प प्रदर्शित किया जो ‘किसी को भी पीछे नहीं छोड़ना’ है. COP28 में, भारत ने वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत में निहित उसी भावना को आगे बढ़ाया.
उन्होंने कहा,
हम राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुसार वैश्विक भलाई को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई करने के लिए पेरिस समझौते में निहित मौलिक सिद्धांतों को दोहराते हुए COP निर्णय डाक्यूमेंट्स पर प्रेसीडेंसी के प्रस्ताव का समर्थन करते हैं.
यह आग्रह करते हुए कि “सीओपी में दिखाया गया दृढ़ संकल्प इसे पूरा करने वाले माध्यमों से भी पुष्ट होता है,” यादव ने दोहराया कि “विकसित देश अपने ऐतिहासिक योगदान के आधार पर नेतृत्व करते हैं.”
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मंत्री ने कहा कि भारत ने अपने पूर्व के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) को हासिल कर लिया है – कार्रवाई का एक सेट जिसे भारत ने पूर्व-औद्योगिक युग (1850-1900) की तुलना में तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के वैश्विक प्रयासों के हिस्से के रूप में करने का वादा किया है. यह 2030 के लिए निर्धारित किया गया और निरंतर प्रतिबद्धता दिखाने के लिए इसे आगे के लिए संशोधित भी किया जा सकता है. उन्होंने आगे कहा,
भारत पूरी जिम्मेदारी के साथ इस रास्ते पर चलता रहेगा और दिखाएगा कि इकोनॉमी और ईकोलॉजी एक साथ कैसे चल सकते हैं.
(यह स्टोरी 2023 क्लाइमेट चेंज मीडिया पार्टनरशिप, इंटरन्यूज अर्थ जर्नलिज्म नेटवर्क और स्टेनली सेंटर फॉर पीस एंड सिक्योरिटी द्वारा आयोजित एक पत्रकारिता फेलोशिप के हिस्से के रूप में तैयार की गई थी.)
(यह कहानी एनडीटीवी स्टाफ द्वारा एडिटेड नहीं की गई है और एक सिंडिकेटेड फीड से प्रकाशित हुई है.)