स्वस्थ वॉरियर

इंजीनियर ने मां और बच्चों को प्रसव के दौरान सुरक्षित रखने के लिए एक पोर्टेबल स्मार्ट डिवाइस किया विकसित

अजन्मे बच्चों और होने वाली माताओं की निगरानी के लिए कम लागत वाले पोर्टेबल डिवाइस के विकासकर्ता अरुण अग्रवाल कहते हैं कि टेक्नॉलॉजी का उपयोग उन जगहों पर जीवन बचाने के लिए किफायती हल देने के लिए किया जाना चाहिए, जहां उचित चिकित्सा सुविधाओं का अभाव है.

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नई दिल्ली: बेंगलुरु स्थित स्टार्टअप जनित्री इनोवेशन के संस्थापक 29 साल के अरुण अग्रवाल ने कहते हैं, ‘मैं राजस्थान के अलवर में पला-बढ़ा हूं, मैंने सुना है कि पड़ोस में किसी ने जन्‍म के दौरान अपना बच्चा खो दिया, किसी की प्रसव के दौरान मौत हो गई. यह सब मुझे तब से परेशान करता था जब मैं एक किशोर था और इसलिए मुझे पता था कि मैं कुछ ऐसा काम करना चाहता हूं जो लोगों की जान बचाने में मदद करे’. जनित्री इनोवेशन के संस्थापक कहते हैं यह एक स्मार्ट डिवाइस और एक सॉफ्टवेयर है, जो एक गर्भवती महिला और डिलीवरी के दौरान बच्‍चे की लगातार निगरानी कर सकता है. इस स्टार्टअप की स्थापना 2016 में हुई थी और अब तक इसने देश के नौ राज्यों के 115 अस्पतालों में 25000 से अधिक महिलाओं की निगरानी की है.

जन्म के दौरान होने वाली मौतों के कारणों का पता लगाने के लिए, अग्रवाल ने देशभर में यात्रा करना शुरू कर दिया, हर मां और बच्चे के स्वास्थ्य हितधारक – गर्भवती माताओं, बच्चे के साथ माताओं, आशा (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) कार्यकर्ताओं, एएनएम (सहायक नर्स दाइयों) से मुलाकात की), लैब तकनीशियन और डॉक्टर से मिलना शुरू कर दिया. उन्होंने बुनियादी ढांचे में अंतर खोजने के लिए निजी अस्पतालों, जिला अस्पतालों, सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र), पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र), उप-केंद्रों, मोबाइल स्वास्थ्य इकाइयों जैसे विभिन्न स्वास्थ्य देखभाल केंद्रो का दौरा किया.

एनडीटीवी से बात करते हुए, अग्रवाल, जिनके पास बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री है, ने कहा कि वह हमेशा टेक्नॉलॉजी के माध्यम से जमीनी स्तर पर समस्याओं को हल करना चाहते थे. उन्होंने कहा, ‘जब मैंने लेबर के दौरान होने वाली मौतों का समाधान खोजने के लिए शोध करना शुरू किया, तो मैंने पाया कि भारत के अधिकांश अस्पतालों और क्लीनिकों में कर्मचारियों की कमी है और डॉक्टरों और नर्सों के पास बहुत काम है. स्वास्थ्य देखभाल में आवश्यक संख्या में चिकित्सा कर्मियों की कमी बच्चों और माताओं में मृत्यु दर और रुग्णता के सबसे बड़े कारणों में से एक है. लेकिन मुझे विश्वास था कि इस अंतर को टेक्नॉलॉजी के साथ कम किया जा सकता है, जिसका उपयोग किफायती और टिकाऊ समाधान खोजने के लिए किया जाना चाहिए.

इस दौरान उन्होंने महसूस किया कि पर्याप्त संख्या में स्त्री रोग विशेषज्ञों की कमी के कारण अधिकांश प्रसव नर्सों और दाइयों द्वारा किए जाते हैं. परिष्कृत मशीन कार्डियोटोकोग्राफ (सीटीजी) का उपयोग करने वाली गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के दिल की धड़कन और गर्भाशय के संकुचन की निगरानी की कठिन प्रक्रिया से नर्सों की दुर्दशा और
बढ़ गई. अग्रवाल बताते हैं, गर्भवती महिला में भ्रूण के दिल की धड़कन और गर्भाशय के संकुचन की निगरानी बच्चे के जन्म के दौरान एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है और सभी सार्वजनिक अस्पतालों में अनिवार्य है, क्योंकि यह जन्म लेने वाले बच्चे के स्वास्थ्य की निगरानी करने और समय पर अलर्ट करने में मदद करती है. ये यह निर्णय लेने में सक्षम है कि कि क्या होने वाली मां को उच्च सुविधा वाले अस्पतालों में स्थानांतरित करने की आवश्यकता है. हालांकि, क्योंकि इस प्रक्रिया में नर्सों को हर आधे घंटे के बाद रोगी के पास आना होता है और डेटा को एक मुश्किल फॉर्मेट में दर्ज किया जाता है, इसलिए त्रुटियों की संभावना होती है, जो आगे चलकर प्रसव के संबंध में गलत निर्णय लेती है. इसलिए मैंने इस स्थिति को अपनी समस्या के बयान के रूप में लेने और एक किफायती, टिकाऊ समाधान खोजने का फैसला किया.

मौतों को रोकने के लिए समाधान प्रदान करने के लिए उनके दो उपकरण – ‘केयार’ और ‘दक्ष’ हैं

अग्रवाल ने मां के गर्भ में एक बच्चे की हार्टबीट के साथ-साथ होने वाली मां के गर्भाशय संकुचन की निगरानी के लिए उपकरण विकसित किया और इसे ‘केयर’ नाम दिया. यह मूल रूप से होने वाली मां के गर्भ से जुड़ा एक पैच है, जिसमे नियमित सीटीजी डिवाइस के विपरीत, मां को बिस्तर पर लेटे रहने की जरूरत नहीं है. इसके अलावा, डिवाइस को हार्टबीट और गर्भाशय के संकुचन की निगरानी के लिए नर्सों को रोगी के पास आने की आवश्यकता नहीं होती है. महिलाओं को बस इसे अपने गले में पहनने की जरूरत है, और यह इन-बिल्ट सेंसर के साथ एक पैच तक फैली हुई है.

अग्रवाल के अनुसार, फिलिप्स जैसे उद्योग के दिग्गजों द्वारा बनाए गए सीटीजी की तुलना में ‘केयर’ भी सस्ता है. ‘केयर’ की कीमत लगभग 2 लाख रु. रुपये की मौजूदा मशीनों के मुकाबले 40,000 रुपए है. यह नॉमल बैटरियों पर चलता है और इसे आसानी से दूरदराज के क्षेत्रों में इस्‍तेमाल किया जा सकता है, जहां पारंपरिक, भारी उपकरण या तो पहुंच से बाहर हैं या फिर मौजूद नहीं हैं.

निगरानी के लिए गर्भवती महिलाओं की नाभि पर रखा जाने वाला ‘केयर’ पैच डेटा को ‘दक्ष’ नाम के सॉफ्टवेयर तक पहुंचाता है, जिसे जनित्री द्वारा भी विकसित किया गया है. दक्ष, एक मोबाइल टैबलेट-आधारित लेबर मॉनिटरिंग टूल है, जो न केवल स्टाफ नर्स को एक गर्भवती महिला के महत्वपूर्ण लक्षणों को सब्मिट करने और लक्षणों को नोट करने की अनुमति देता है, बल्कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तैयार किए गए मानक प्रोटोकॉल के अनुसार, लेबर की महत्वपूर्ण निगरानी की भी ध्‍यान में रखता है.

नर्सें डेटा को सीधे ऐप में सब्मिट कर सकती हैं, जिससे ये डाटा प्रसूति रोग विशेषज्ञ को उनके मोबाइल फोन पर पढ़ने के लिए भेजा जा सकता है. डॉक्टर एक डिजिटल पार्टोग्राफ के साथ लाइव प्रगति भी देख सकते हैं, यह प्रगति के दौरान प्रमुख मापदंडों का एक ग्राफिकल रिकॉर्ड होता है और स्टाफ नर्स का मार्गदर्शन करता है. जब कोई महत्वपूर्ण संकेतक बहुत अधिक या बहुत कम हो जाता है, तो यह अलर्ट भी करता है, और आगे क्‍या करना है कि सलाह देता है.

डॉ. लता वेंकटराम, एक प्रसूति-स्त्री रोग विशेषज्ञ और बेंगलुरु के रंगाडोर मेमोरियल अस्पताल में प्रमुख सलाहकार है. वेंकटराम जो पिछले कुछ महीनों से अपने अस्पताल में ‘केयर’ का उपयोग कर रही हैं, ने कहा, “जननीत्री केयर एक किफायती, पोर्टेबल, इस्‍तेामल करने में बहुत आसान है. महिलाओं के अनुकूल और वास्तविक समय की निगरानी के इस डिवाइस का उपयोग हर श्रमिक वार्ड में किया जाना चाहिए, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां चिकित्सा कर्मचारी और बुनियादी ढांचा अपर्याप्त है.’

उन्होंने आगे कहा कि ‘केयर’ डिवाइस जिस सटीकता से महिलाओं और भ्रूण की निगरानी करता है, वह लगभग नियमित सीटीजी मशीनों के बराबर है. उनके अनुसार, डिवाइस की सबसे अच्छी विशेषता इसकी पोर्टेबिलिटी है, जो एक महिला को अस्पताल के बिस्तर की जगह तक सीमित नहीं रखती है, वह अपनी जरूरत के अनुसार घूम सकती है.
अग्रवाल ने कहा कि वह और उनकी टीम अब डिवाइस और सॉफ्टवेयर के प्रदर्शन को और बेहतर बनाने पर काम कर रहे हैं. कंपनी भारत भर के अधिक राज्यों में ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पहुंच बढ़ाने की दिशा में भी काम कर रही है. अपनी बात खत्‍म करते हुए उन्होंने कहा, हर दो मिनट में, गर्भावस्था और प्रसव से संबंधित कठिनाईयों से एक महिला और तीन बच्‍चों की मृत्यु हो जाती है. यह उस देश के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, जिसके पास इतनी उन्नत तकनीक है कि वह चंद्रमा और मंगल तक पहुंच रहा है. जीवन बचाने के लिए टेक्नॉलॉजी का उपयोग और खोज करने की जरूरत है.’

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