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एक दिन आएगा, जब पेट्रोल और डीजल पंप नहीं होंगे: नितिन गडकरी
‘बनेगा स्वस्थ इंडिया’ अभियान के सीजन 10 के लॉन्च में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ‘कचरा से धन (Waste to Wealth)’ पर साझा किए अपने विचार
नई दिल्ली: “कोई भी चीज बेकार नहीं होती, न ही कोई इंसान बेकार होता है. आप कचरे को संपदा में बदल सकते हैं, पर यह सही तकनीक और नेतृत्व की दृष्टि पर निर्भर करता है, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने यह विचार ”एनडीटीवी-डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया सीजन 10 के लॉन्च के अवसर पर व्यक्त किया. गडकरी, 2014 में ‘बनेगा स्वस्थ इंडिया’ अभियान की लॉन्चिंग के बाद से ही इस कार्यक्रम के समर्थक रहे हैं. अभियान के एंबेसडर अभिनेता आयुष्मान खुराना के साथ सीजन 10 के लॉन्च के अवसर पर गडकरी ने स्वच्छ भारत के निर्माण को लेकर अपने दृष्टिकोण को साझा किया.
गडकरी ने कहा, पर्यावरण और स्वास्थ्य के बीच संबंध बनाना और इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है.
हमारे समाज के तीन महत्वपूर्ण स्तंभ हैं – एथिक्स, इकोनॉमी, इकोलॉजी और एनवायर्नमेंट (नैतिकता, अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी और पर्यावरण). वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर बहुत गंभीर असर हो रहा है. दिल्ली जैसे शहरों में किए गए अध्ययन से पता चलता है कि प्रदूषण के कारण हमारा जीवन 10 साल घट गया है. मेरा सुझाव यह है कि हम स्वच्छ भारत अभियान (स्वच्छ भारत मिशन) की शक्ति का उपयोग करें, जिसे महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया था और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रचारित किया गया. इसके जरिये हम कचरे को उपयोगी बनाएं.
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डकरी ने कचरे के पुन: उपयोग (रीयूजिंग)और रीसाइक्लिंग से उपयोगी उत्पाद बनाने के उदाहरण देते हुए बताया कि मथुरा में हाइब्रिड कार्यक्रम के तहत हर साल 90 एमएलडी (प्रति दिन लाखों लीटर) गंदे पानी को साफ किया गया और इस ट्रीटेड वाटर की आपूर्ति इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड की मथुरा रिफाइनरी को की गई. इसी तरह नागपुर नगर निगम (एनएमसी) सीवेज वाटर को साफ करके बिजली उत्पादन के लिए पानी बेच रहा है.
कचरे को उपयोगी बनाने पर जोर देते हुए गडकरी ने 2 अक्टूबर को मनाई जाने वाली गांधी जयंती के लिए योजना साझा की. उन्होंने कहा,
हम सड़कों के निर्माण में ठोस कचरे के उपयोग को लेकर एक राष्ट्रीय नीति शुरू कर रहे हैं. हम बेकार टायरों से रबर पाउडर बनाएंगे और इसे बिटुमिन (कोलतार) और एक गाढ़े, काले कच्चे तेल में डालेंगे. रबर पाउडर की कीमत 30 रुपये प्रति किलो है और बिटुमिन की 50 रुपये किलो. रबर युक्त बिटुमिन से हमें फायदा होगा, गुणवत्ता में सुधार होगा. हमें 80 लाख टन बिटुमिन की आवश्यकता है, जबकि भारतीय रिफाइनरियों में इसका उत्पादन 50 लाख टन ही होता है. बाकी 30 लाख टन बिटुमिन आयात किया जाता है. यदि हम 15 प्रतिशत रबर बिटुमेन बनाने में सक्षम हो जाएं, तो यह आयात कम हो जाएगा.
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि भारत चावल की भूसी से बायो कोलतार का उत्पादन कर रहा है. उन्होंने कहा कि इससे किसान अन्नदाता के साथ-साथ ऊर्जा और कोलतार दाता भी बनेंगे.
कार्बन डाइऑक्साइड से इथेनॉल उत्पन्न करने की भी एक परियोजना है. धीरे-धीरे, कचरे और प्रदूषण पैदा करने वाली चीजों को उपयोगी बनाने के लिए तकनीक का उपयोग करके, हम एक स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं.
गडकरी पेट्रोल और डीजल मुक्त देश की कल्पना करते हैं. लेकिन, सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 2030 को प्राप्त करने के लिए क्या भारत के लिए पेट्रोल से छुटकारा पाना व्यावहारिक होगा? इस पर गडकरी कहते हैं,
भारत 16 लाख करोड़ रुपये के जीवाश्म ईंधन (फॉसिल फ्यूल) का आयात करता है, हम अभी तक 2 लाख करोड़ रुपये की जैव ईंधन की अर्थव्यवस्था भी नहीं बना पाए हैं. हमारे देश के किसानों की सबसे बड़ी समस्या चीनी का सरप्लस और मक्के, गेहूं और चावल का सरप्लस उत्पादन है. हमारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) अधिक है, जबकि बाजार मूल्य कम है और ऐसी स्थिति में ऊर्जा और बिजली क्षेत्र की ओर कृषि का विविधीकरण हो रहा है. दूसरे, देश में 40 प्रतिशत प्रदूषण परिवहन क्षेत्र में इस्तेमाल हो रहे पेट्रोल, डीजल जैसे जीवाश्म ईंधन के कारण हो रहा है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उनका इरादा देश को पेट्रोल-डीजल से मुक्ति दिलाने की है. हालांकि यह एक मुश्किल काम है, लेकिन नामुमकिन नहीं. उन्होंने कहा,
इलेक्ट्रिक कारें, इलेक्ट्रिक स्कूटर, ऑटो-रिक्शा और इलेक्ट्रिक बसें समय के साथ लोकप्रिय हो गई हैं. हमारे पास जल्द ही इलेक्ट्रिक ट्रक भी होंगे. हम इलेक्ट्रिक ट्रॉली बसें चलाने के तरीके भी तलाश रहे हैं. टोयोटा ने 100 प्रतिशत इथेनॉल से चलने वाली गाड़ी लॉन्च की है. मैं हाइड्रोजन से चलने वाली कार का इस्तेमाल करता हूं. मेरा मानना है कि हमारे पास विकल्पों का पूरा सागर मौजूद है – इथेनॉल, मेथनॉल, बायो-डीजल, बायो-एलएनजी, बायो-सीएनजी और बिजली. इसके बावजूद हम पेट्रोल का इस्तेमाल बंद नहीं कर पा रहे हैं.
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गडकरी को उम्मीद है कि कुछ वर्षों में लिथियम-आयन बैटरी की लागत 150 डॉलर प्रति किलोवाट प्रति घंटे से घटकर 100 डॉलर हो जाएगी. यह पहले ही घटकर 115 डॉलर हो चुकी है. इससे इलेक्ट्रिक कारों की कीमत पेट्रोल से चलने वाली कारों के बराबर हो जाएगी। उन्होंने कहा,
एक लीटर पेट्रोल की कीमत आपको 120 रुपये पड़ती है, जबकि इलेक्ट्रिक कारों को प्रति यूनिट 6-8 रुपये की बिजली की ही आवश्यकता होती है, यह चीज उन्हें किफायती (कॉस्ट इफेक्टिव) बनाता है. इसी तरह इथेनॉल, एक ग्रीन फ्यूल है, जिसका उत्पादन किसानों द्वारा मक्के और अन्य पौधों के कचरे से किया जा रहा है. यह एक स्वदेशी (घरेलू रूप से उत्पादित) उत्पाद है. वही अवधारणा, जिसकी वकालत महात्मा गांधी ने की थी और जो ग्रामीण भारत में रोजगार पैदा करने में भी मददगार है.
अपने ग्रीन विजन को साझा करते हुए, गडकरी ने कहा,
एक दिन ऐसा आएगा, जब पेट्रोल-डीजल पंप नहीं होंगे. इसके बजाय, हमारे पास इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन और इथेनॉल पंप होंगे. पराली से एलएनजी और सीएनजी तैयार की जाएगी. फिलहाल पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली से बायो-सीएनजी और बायो-एलएनजी बनाने की 185 परियोजनाएं चल रही हैं.
‘बनेगा स्वस्थ इंडिया’ अभियान स्वच्छ और स्वस्थ भारत बनाने के लिए कैसे जागरूकता पैदा कर रहा है, इसपर अपने विचार साझा करते हुए गडकरी ने कहा,
‘स्वच्छ भारत’ और ‘दुर्घटना मुक्त भारत’ जैसे कार्यक्रम नागरिकों के सहयोग के बिना पूरे नहीं किये जा सकते. आपके अभियान का उद्देश्य लोगों को स्वच्छ और स्वस्थ भारत के निर्माण के महत्व के बारे में शिक्षित करना और उनके साथ विकल्प साझा करना है. मुझे खुशी है कि आप इसे सालाना आयोजित करते हैं.
अंत में गडकरी ने कहा कि तकनीक का इस्तेमाल करके, शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करके और लोगों को स्वच्छता के अभ्यास के बारे में जागरूक करके महात्मा गांधी और पीएम मोदी के स्वच्छ भारत के सपने को धीरे-धीरे पूरा किया जाएगा. उन्होंने कहा,
आप भी यही कर रहे हैं – लोगों को इस दिशा में प्रशिक्षण और शिक्षा दे रहे हैं. यह आपके अभियान की सबसे बड़ी उपलब्धि है.