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सावधान! दिल्ली में बाढ़ के बीच लोगों की सेहत दांव पर; इन बीमारियों से खुद को बचाएं
स्वास्थ्य के लिहाज से दिल्ली की बाढ़ के मध्यम और दीर्घकालिक असर देखे जा सकते हैं, इनमें हैजा, टायफाइड या मलेरिया जैसी जल और वेक्टर जनित बीमारियों का खतरा शामिल है
नई दिल्ली: “बाढ़ के बाद, डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया जैसी वेक्टर जनित बीमारियों के फैलने का डर बढ़ रहा है. लेकिन फिलहाल ऐसे खतरे का कोई ट्रेंड नहीं दिख रहा है.” एक सरकारी अस्पताल के दौरे पर बीते सोमवार (17 जुलाई) को पहुंचे दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने समाचार एजेंसी पीटीआई से इस आशय की बात कही. उन्होंने बताया, “अब तक, कंजंक्टिवाइटिस, त्वचा संबंधी एलर्जी और फंगल संक्रमण जैसी शिकायतें ही ज्यादातर दिखाई दे रही हैं. बुखार, दस्त और उल्टी आदि शिकायतों के भी कुछ मामले रिपोर्ट किए गए हैं लेकिन इसे लेकर कोई गंभीर ट्रेंड नहीं दिख रहा है.”
VIDEO | "East Delhi and Northeast Delhi have largely been impacted due to floods. After flooding, there is a fear of spread of vector-borne disease like dengue, chikungunya and malaria rising. But that trend is not being seen at the moment," says Delhi Health Minister Saurabh… pic.twitter.com/bH8LNp5f9N
— Press Trust of India (@PTI_News) July 17, 2023
पिछले कुछ दिनों से, यमुना के जलस्तर में खासा उछाल आने से दिल्ली के कई हिस्सों में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं. यमुना के जलस्तर ने 207.49 मीटर के रिकॉर्ड को तोड़ दिया, इससे पहले इस निशान पर जलस्तर 45 साल पहले देखा गया था. यमुना बाजार, कश्मीरी गेट और आईटीओ जैसे निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को अपनी जगहों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा है. हाल यह है कि ये लोग अपना सामान छोड़कर या तो सड़कों पर, राहत कैंपों में या फिर पानी में डूबे पड़े घरों में ही रहने के लिए मजबूर हैं.
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इस बीच, जो इलाके बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, वहां साफ सफाई को लेकर बड़ी चिंता खड़ी हो गई है. यही नहीं, इन प्रभावित रिहायशी इलाकों में चूहों, सांप और कीड़ों आदि के पनपने का खतरा भी बढ़ गया है. दिल्ली में जलभराव वाले मॉनेस्ट्री बाजार से जुड़ी एनडीटीवी की रिपोर्ट में दिखाया गया था कि किस तरह बाढ़ के पानी में चूहे उछल-कूद कर रहे थे.
Sanitation has become a major concern for people in the flood-affected areas with the risk of mice, snakes and insects in residential areas. A glimpse from the waterlogged Monastery Market in Delhi. pic.twitter.com/hbvVxUn2Qy
— NDTV (@ndtv) July 12, 2023
दिल्ली में यमुना का जलस्तर कम तो जरूर हुआ है लेकिन बाढ़ जैसे हालात अब भी बने हुए हैं, जिसके चलते बीमारियां फैलने का खतरा मंडरा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें तो बाढ़ के चलते स्वास्थ्य पर कुछ और लंबे समय तक के प्रभाव दिखाई दे सकते हैं, इनमें शामिल हैं:
- जल- और वेक्टर-जनित रोग, जैसे हैजा, टाइफाइड या मलेरिया
- चोटें, जैसे निकासी और आपदा सफाई के दौरान हुए घाव
- रासायनिक खतरे
- स्वास्थ्य के लिहाज से आपातकालीन हालात के कारण मानसिक असर
- हेल्थ सिस्टम, सुविधाओं और सेवाओं का अवरुद्ध हो जाना, एक प्रभावित आबादी का हेल्थकेयर की पहुंच से कट जाना
- पानी और खाद्य पदार्थों की सप्लाई के साथ ही सुरक्षित आवास जैसे मूलभूत इन्फ्रास्ट्रक्चर का नष्ट हो जाना
मुंबई में स्थित पी.डी. हिंदुजा अस्पताल में महामारी चिकित्सा और श्वसन संबंधी रोग विशेषज्ञ व कंसल्टेंट डॉ. लैंसलॉट पिंटो ने टीम बनेगा स्वस्थ इंडिया के साथ एक साक्षात्कार में कहा,
ज्यादा वक्त तक के लिए बाढ़ के पानी के एक्सपोजर में रहने से लेप्टोस्पिरा (चूहा, गिलहरी जैसे कृतंकों की पेशाब के माध्यम से निकलने वाले जीवाणु) के संक्रमण का खतरा हो सकता है और इसके चलते गंभीर या जान जोखिम में डालने वाली बीमारियां भी हो सकती हैं. बाढ़ के दौरान त्वचा और आंख के संक्रमण तो आम तौर से होते ही हैं, अगर आप प्रदूषित पानी के दायरे में रहने के लिए मजबूर हों या फिर आपकी कंजंक्टिवा या त्वचा ऐसे गंदे पानी के संपर्क में रहे.
बाढ़ के दौरान या बाढ़ के बाद जो पानी जमा हो जाता है, वही ठहरा हुआ पानी मच्छरों की पनाहगाह बन जाता है और इससे डेंगू व मलेरिया जैसी वेक्टर जनित बीमारियां लोगों में फैलने की स्थिति बनती है. दूसरी तरफ, दिल्ली मेडिकल काउंसिल के प्रेसिडेंट डॉ अरुण गुप्ता मानते हैं,
चूंकि मच्छरों को पनपने और फैलने में समय लगता है इसलिए वेक्टर जनित बीमारियों का दौर बाढ़ के चार से छह हफ्तों के बाद सामने आता है. पोर्टेबल पेयजल की आपूर्ति करना प्राथमिकता है क्योंकि हैजा, टाइफाइड जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण का खतरा बना रहता है, जिससे दस्त और उल्टी होती है.
डॉ. गुप्ता का मानना है कि इसका तत्काल प्रभाव पानी के कारण फैलने वाली बीमारियों में बढ़ोतरी के रूप में सामने आ सकता है.
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दिल्ली की न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित आर्टेमिस लाइट में वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉ. राकेश कुमार ने बाढ़ की त्रासदी से गुजरने वाले लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ने के बारे में बात की. उन्होंने कहा,
पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर (PTSD), चिंता और डिप्रेशन ऐसी आम शिकायतें हैं, जो बाढ़ झेलकर बचे लोगों में दिखती हैं. खास तौर से उनमें जिन्हें बड़ा नुकसान या विस्थापन का सामना करना पड़ा हो. स्वास्थ्य सुविधाओं के नष्ट होने और आबादी के एक जगह से कट जाने जैसी इन्फ्रास्ट्रक्चर संबंधी बाधाओं का नतीजा इस तरह दिखता है कि मेडिकल केयर की पहुंच घट जाती है और लोगों के स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं के शिकार होने का खतरा बढ़ जाता है.
बाढ़ के समय बीमारियों से बचाव के लिए कारगर कदम
यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि बीमारियों के मामलों में बढ़ोतरी होने से लोक स्वास्थ्य सिस्टम और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर बुरी तरह असर पड़ता है, जिसमें हेल्थकेयर सेवाओं की मांग बढ़ जाना, संसाधनों का क्षमता से अधिक उपयोग किए जाने की नौबत और प्रभावित आबादी को समय रहते देखभाल संबंधी सेवा देने में देर होना शामिल है. पटपड़गंज स्थित मैक्स सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल में इंटरनल मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ निदेशक डॉ विजय अरोड़ा ने बाढ़ के प्रभावों को लेकर कहा,
सरकार को लोक स्वास्थ्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूती देना चाहिए, अनिवार्य दवाओं और अन्य जरूरी चीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करवाई जानी चाहिए, प्रभावित क्षेत्रों तक हेल्थकेयर कर्मचारियों को भिजवाया जाना चाहिए, रोगों की निगरानी का सिस्टम अमल में लाया जाना चाहिए और रोगों से बचाव के उपायों के संबंध में और लक्षणों को शुरू में ही पहचान लेने की समझ बढ़ाने के लिए प्रभावित लोगों के लिए लोक स्वास्थ्य अभियान चलाए जाने चाहिए. इसके साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं, एनजीओ और विभिन्न स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर काम करने से बीमारियों के प्रभाव पर काबू पाने की दिशा में लोक स्वास्थ्य सिस्टम के लिए खासी मदद हो सकती है.
लेकिन ऐसे में आप कैसे सुरक्षित रह सकते हैं और सेहत पर बाढ़ के इन प्रभावों से बच सकते हैं? अपने आप को स्वस्थ बनाए रखने के लिए सबसे पहले तो पीने और आासपास की साफ सफाई के लिए आप स्वच्छ पानी का इंतजाम व उपयोग करें. पीने का पानी आपकी सेहत के लिए सेफ है, इसे सुनिश्चित करने के लिए विशेषज्ञ ये सुझाव देते हैं कि या तो पानी को उबाल लिया जाए या फिल्टर कर लिया जाए या फिर क्लोरीन टैबलेट के इस्तेमाल से इसे उपयोग लायक बना लिया जाए. डॉ पिंटो ने यह हिदायत भी दी कि मच्छरदानियों या फिर संक्रमण निरोधक चीजों का इस्तेमाल बीमारियों से बचाव के रूप में किया जाना चाहिए.
डॉ. अरुण गुप्ता ने कहा,
उस स्ट्रीट फूड से बचना चाहिए, जिसे बनाने में साफ सफाई का ध्यान नहीं रखा गया. अपनी निजी स्वच्छता को बरकरार रखें – पानी और साबुन से हाथ समय समय पर धोते रहें. बाढ़ के जमा पानी वाली जगहों पर अनावश्यक रूप से न जाएं.
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