कोरोनावायरस के बारे में

जानें क्या होता है लॉन्ग कोविड

जैसे-जैसे लॉन्ग कोविड के बारे में ज्यादा रिसर्च और डेटा सामने आ रहे हैं, दुनिया भर के नीति-निर्माताओं और स्वास्थ्य प्रणालियों को स्थायी लक्षणों के दीर्घकालिक प्रभावों के लिए खुद को तैयार करने की चेतावनी दी जा रही है

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नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, लगभग एक चौथाई लोग जिन्हें, कोविड-19 हुआ है, वे कुछ लक्षणों का अनुभव करते हैं और ये लक्षण कम से कम एक महीने तक जारी रहते हैं, लेकिन 10 में से एक 12 हफ्ते के बाद भी अस्वस्थ रहता है. जिन रोगियों को इस गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है उन्हें लॉन्ग कोविड की कैटेगिरी में डाला गया है. इतना ही नहीं संगठन का ये भी कहना है कि अभी तक कोविड के बाद की स्थिति की कोई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई डिटेल सामने नहीं आई है.

एक स्टडी के मुताबिक इंग्लैंड में आबादी के करीब 3.5 फीसदी युवा यानी करीब 20 लाख लोग ऐसे हैं, जो लॉन्ग कोविड का सामना कर रहे हैं. लंदन के इम्पीरियल कॉलेज के अध्ययन ने देश में आधे मिलियन से अधिक लोगों का सर्वे किया और पाया कि 20 युवाओं में से एक ने 12 सप्ताह या उससे अधिक समय तक लगातार कोविड-19 लक्षणों की रिपोर्ट की.

जैसे-जैसे लंबे कोविड के बारे में ज्यादा रिसर्च और डेटा सामने आते हैं, दुनिया भर के नीति-निर्माताओं और स्वास्थ्य प्रणालियों को स्थायी लक्षणों के दीर्घकालिक प्रभावों के लिए खुद को तैयार करने की चेतावनी दी जा रही. डब्ल्यूएचओ ने साफ तौर पर कहा है कि जो भी लॉन्ग कोविड का सामना कर रहे हैं, उन लोगों का नॉर्मल लाइफ में वापस आना काफी मुश्किल हो रहा है. ये लोग न काम से जुड़ पा रहे हैं और न ही सामाजिक तौर पर. बताया जा रहा है कि इस तरह से प्रभावित होने वाले रोगियों की मानसिक स्थिति भी काफी बिगड़ी रहती है और इस कारण उनका परिवार भी काफी परेशानियों का सामना कर रहा है. नीति निर्माताओं को लॉन्ग कोविड की जटिलता पर ध्यान देने की आवश्यकता है और ये जानने की जरूरत है कि कैसे यह तेजी से विकसित हो रहा है.

जानें लॉन्ग कोविड को लेकर क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

डब्ल्यूएचओ इमरजेंसी प्रोग्राम में क्लीनिकल केयर की हेड डॉ. जेनेट डियाज बताती हैं कि जो मरीज कोविड से गंभीर रूप से पीड़ित हुए, जो अस्पतालों में भर्ती हुए और जो आईसीयू में भर्ती हुए, उनमें पोस्ट इंटेंसिव केयर सिंड्रोम के लक्षण पैदा हो सकते हैं. उन्होंने कहा, “गंभीर रूप से बीमार कोविड रोगियों में इस सिंड्रोम का वर्णन पहले भी किया जा चुका है और इसलिए, हम उस प्रकार के लंबे समय तक लक्षण देख रहे हैं. इस तरह के रोगियों में लंबे समय तक खांसी, सांस लेने में दिक्कत और अन्य गंभीर समस्याएं बनी रहती हैं. इन वजहों से रोगी को लंबे समय तक बेड पर ही रहना पड़ता है और इसका नुकसान ये है कि वह काफी बीमार हो जाता है. डॉ. जेनेट ने कहा इसलिए हमे ऐसे पोस्ट-इंसेटिव केयर सिंड्रोम का ध्यान रखना होगा, ताकि कोविड-19 रोगियों को इलाज में कोई कमी न आए.

डॉ. डियाज ने यह भी बताया कि कुछ मरीज ऐसे भी होते हैं, जिन्हें कोविड का संक्रमण काफी कम होता है और उन्हें अस्पताल में भर्ती नहीं किया जाता, लेकिन ये भी लॉन्ग कोविड के लक्षणों का सामना करते हैं. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट्स के मुताबिक इस तरह के रोगियों को भी खांसी, सांस लेने में दिक्कत होती है और इनमें भी कई गंभीर लक्षण पाए जाते हैं. इसलिए इस तरह के रोगियों की चिंता करना भी बेहद जरूरी है.

वैसे कई रिपोर्ट्स के मुताबिक लॉन्ग कोविड के लक्षण 2 से 3 महीने तक परेशान करते हैं, लेकिन डॉ. डियाज के मुताबिक इसका कोई सही समय तय नहीं किया जा सकता.

एक बार फिर गंभीर रूप से बीमार होने वाले मरीजों के बारे में डॉ. जेनेट ने जानकारी साझा की. उन्होंने बताया जो नॉन कोविड मरीज होते हैं, उनके अंदर लक्षण 6 से 12 महीने तक रह सकते हैं. लेकिन गंभीर रूप से बीमार होकर अस्पतान में भर्ती होने वाले रोगियों में लक्षण कब तक रहेंगे इसका कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता.

ठीक होने के बाद ऐसे लक्षणों का सामना करने वाले कोविड रोगियों के अनुपात के बारे में बात करते हुए, डॉ डियाज ने बताया कि, हम पूरी जनसंख्या की तो बात नही कर सकते. लेकिन जो मरीज कोविड होने के अलावा पहले से किसी बीमारी से ग्रस्त थे, उनमें से करीब 50 फीसदी लॉन्ग कोविड का सामना कर रहे हैं. इसलिए भले ही हम कुल अनुपात को नहीं जानते हैं, लेकिन फैक्ट ये है कि बहुत ज्यादा संख्या में लोग कोविड-19 से संक्रमित हुए हैं, और उनमें से, लॉन्ग कोविड का अनुभव करने वालों की संख्या अपेक्षाकृत बड़ी हो सकती है.

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