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डेटॉल हाइजीन ओलंपियाड 2.0: विजेताओं की प्रेरणादायक कहानियां

डेटॉल हाइजीन ओलंपियाड 2.0 एग्जाम को 1 से 8 कक्षा के स्टूडेंट्स के बीच पांच लेवल में डिवाइड किया गया था, जिसमें हेल्थ और हाइजीन से जुड़े बहुविकल्पीय प्रश्न (मल्‍टी चॉइस क्वेश्च) (Multiple Choice Questions – MCQ) शामिल किए गए थे

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नई दिल्ली: डेटॉल हाइजीन ओलंपियाड 2.0 (DHO) के दूसरे एडिशन में 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 3 करोड़ से ज्यादा बच्चों ने हिस्सा लिया. हाइजीन प्रैक्टिस के बारे में बच्चे कितने जागरूक है उसका आकलन करने के लिए 4-15 सितंबर को एक परीक्षा का आयोजन किया गया और एनडीटीवी-डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया अभियान के सीजन 10 के लॉन्च के दौरान 2 अक्टूबर को परीक्षा के विजेताओं की घोषणा की गई.

1 से 8 क्लास तक के स्टूडेंट्स के लिए इस एग्जाम को पांच लेवल में डिवाइड किया गया था, जिसमें हेल्थ और हाइजीन से जुड़े बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions – MCQ) शामिल किए गए थे. 1-2 क्लास के बीच के स्टूडेंट्स लेवल 1 की परीक्षा में शामिल हुए; लेवल 2 की परीक्षा क्लास 3 के स्टूडेंट्स के लिए थी; लेवल 3 की परीक्षा क्लास 5-6 के लिए, लेवल 4 की परीक्षा क्लास 7-8 के लिए, और लेवल 5 की परीक्षा क्लास 9-8 के स्टूडेंट्स के लिए थी.

देशभर से कुल 15 स्टूडेंट्स (हर कैटेगरी में तीन) ने परीक्षा के पांच स्तरों में जीत हासिल की और उन्हें नकद पुरस्कार यानी कैश प्राइज से सम्मानित किया गया. फर्स्ट डिवीजन वाले स्टूडेंट्स के लिए नकद पुरस्कार 50,000 रुपये था, उसके बाद दूसरे विजेता को 35,000 रुपये और तीसरे को 15,000 रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया.

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हम आपके लिए लेकर आए हैं, डेटॉल हाइजीन ओलंपियाड (DHO) 2.0 के विजेताओं की प्रेरणादायक कहानियां:

लेवल 1 के विजेता

सोमेश पवार, उत्तरकाशी, उत्तराखंड

अठाली के प्राइमरी स्कूल के स्टूडेंट सोमेश ने डेटॉल हाइजीन ओलंपियाड 2.0 परीक्षा में प्रथम रैंक हासिल की. वह एक किसान परिवार से हैं और परिवार की आय बढ़ाने के लिए, सोमेश के पिता एक स्थानीय होटल में भी काम करते हैं. सोमेश की हेड टीचर, अंजू, न केवल उसकी पढ़ाई बल्कि स्वच्छता और समय की पाबंदी के प्रति उसके कमिटमेंट के लिए भी सोमेश की तारीफ करती हैं.

सोमेश ने डेटॉल हाइजीन ओलंपियाड 2.0 परीक्षा के लिए मन लगाकर तैयारी की और पहला स्थान हासिल किया.

रोशन पनिका, नामसाई, अरुणाचल प्रदेश

अरुणाचल प्रदेश के नामसाई में केंद्र विद्यालय स्कूल के छात्र रोशन पनिका ने डेटॉल हाइजीन ओलंपियाड परीक्षा में दूसरा स्थान हासिल किया है. रोशन के पिता एक हाउस पेंटर हैं, जबकि उनकी मां एक होममेकर हैं, जो अपने घर का खर्च चलाने और अपने बेटे रोशन को शिक्षित करने के लिए अपने पड़ोस में एक छोटी सी दुकान भी चलाती हैं. पढ़ाई को लेकर रोशन का जुनून ही है जो उसके माता-पिता को कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करता है ताकि उसे अच्छी शिक्षा मिल सके.

रोशन और उनके परिवार की शिक्षा के माध्यम से अपने सपनों को हासिल करने की कोशिश वास्तव में प्रेरणादायक है.

अवरीत कौर, मोगा पंजाब

पहली कक्षा की छात्रा अवरीत कौर ने डेटॉल हाइजीन ओलंपियाड 2.0 परीक्षा में तीसरा स्थान हासिल किया है. मोगा (पंजाब) में शहीद भगत सिंह नगर की मूल निवासी, अवरीत हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के बडू साहिब के अकाल अकादमी स्कूल में पढ़ती है. अकाल अकादमी एक ट्रस्ट है जहां छात्र- छात्राओं को धार्मिक और आधुनिक शिक्षा दी जाती है.

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लेवल 2 की विजेता

ओविया, मीनाचिपेट, पुडुचेरी

पुडुचेरी के मीनाचिपेट में सरकारी प्राइमरी स्कूल की 11वीं कक्षा की छात्रा ओविया ने डेटॉल हाइजीन ओलंपियाड 2.0 में पहला स्थान हासिल किया. ओविया एक अच्छी डांसर है और उसने स्कूल स्तर की प्रतियोगिताओं में कई पुरस्कार जीते हैं. वह एक अच्छी ऑब्जर्वर है. इसलिए वो जो देखती सुनती है, उसे याद रहता है.

नवीन, बीकानेर, राजस्थान

राजस्थान में बीकानेर स्थित पूगल के निवासी नवीन को डेटॉल हाइजीन ओलंपियाड 2.0 का दूसरा विजेता चुना गया. वह बीकानेर के पूगल स्थित महात्मा गांधी सरकारी स्कूल में तीसरी कक्षा का छात्र है. नवीन ने अपने माता-पिता के संघर्ष को देखा है, जो दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करते हैं, ताकि उसे अच्छी शिक्षा मिल सके. गरीबी और सीमित साधनों की चुनौतियों के बावजूद, नवीन अपनी पढ़ाई में बेहतर

प्रदर्शन कर रहा है. यह उसकी लगन और दृढ़ता ही थी, जिसने उसे इस साल के ओलंपियाड में विजेता बनाया.

परी सोनकर, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश

परी सोनकर उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के नगर क्षेत्र में स्थित गोरखनाथ कन्या प्राइमरी स्कूल की एक होनहार छात्रा है. वह अपने परिवार के साथ गोरखपुर के हुमायूं मोहल्ले में रहती है. परी के पिता, राहुल सोनकर, कैटरिंग के काम से पैसा कमाते हैं. इस पेशे से कभी उनकी अच्छी कमाई हो जाती है तो कभी काफी कम. ऐसी स्थिति में परी की मां ही उनके घर का सहारा बनती हैं.

परी न केवल पढ़ाई में बहुत अच्छी है बल्कि स्कूल की एक्टिविटी में भी भाग लेती है. वो स्कूल की चाइल्ड कैबिनेट की मेंबर है. परी अपने स्कूल के साथियों को हाइजीन प्रैक्टिस के बारे में बताती है और उन्हें अच्छी तरह से हाथ धोने और स्वच्छता से जुड़ी आदतों को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करती है. सफाई को लेकर उसके दृढ़ संकल्प की उसके शिक्षकों ने भी जमकर तारीफ की.

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लेवल 3 की विजेता

साक्षी, कोटा, राजस्थान

राजस्थान के कोटा में लाडपुरा, मवासा की रहने वाली साक्षी ने डेटॉल हाइजीन ओलंपियाड 2.0 में भाग लिया और विजेता बनीं. वह राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में छठी कक्षा की छात्रा है. उसके माता-पिता दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करते हैं. वो एक बड़े परिवार का हिस्सा है, जिस वजह से रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करना उनके लिए मुश्किल हो जाता है. उनका गांव लाडपुर, कोटा से 25 किलोमीटर दूर है, और वहां के लोगों के पास बहुत कम संसाधन हैं. लेकिन इतनी कम उम्र में सीखने की ललक उसे सबसे अलग बनाती है.

स्टैनजिन पुजांग, लेह

लेह के द मोनेस्ट्री स्पितुक में पांचवीं कक्षा के छात्र स्टैनजिन पुजांग को डेटॉल हाइजीन ओलंपियाड के दूसरे विजेता के तौर पर चुना गया.

शमनूर इब्राहिमभाई मजगुल, जम्बूर, गुजरात

गिर फॉरेस्ट के मध्य में जम्बूर स्थित है. गुजरात का जम्बूर गांव सिद्दी जनजाति के लिए एक स्वर्ग के समान है, जो पूर्वी अफ्रीका के वंशज हैं जिन्हें गुलाम के तौर पर भारत लाया गया था. जम्बूर के सिद्दी लोग जंगल से गहराई से जुड़े हुए हैं और अपने भरण-पोषण के लिए प्रकृति पर निर्भर हैं. हाशिये पर पड़े इस समुदाय के लिए शिक्षा और अवसरों की बेहद कमी है. इन मुश्किल परिस्थितियों के बावजूद शमनूर मजगुल का सफर कठिनाइयों के साथ-साथ आशा से भी भरा हुआ है.

शमनूर एक बहुत ही उत्साही बच्ची है जिसके सपने उसके चारों ओर फैले जंगल जितने विशाल हैं. उसमें चित्रकारी का हुनर है और गिर का जंगल उसकी कल्पना को और ज्यादा उड़ान देता है. उसके माता-पिता, जो दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करते हैं, उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं.

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लेवल 4 की विजेता

सफीना बैतूल,अमरोहा, उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के जिला अमरोहा के नौगावां सादात के मोहल्ला पापड़ी में जन्मी सफीना बतूल वर्तमान में मदरसा-बाबुल इल्म में सातवीं कक्षा में पढ़ रही हैं. वह एक होनहार छात्रा है जो हर साल अपने मदरसे में अच्छे नंबर हासिल करती है. लेकिन सफीना के पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, वह एक निजी शिक्षक के तौर पर काम करके हर महीने पांच हजार रुपये कमाते हैं. इन कठिनाइयों के बावजूद उसके पिता अली इमरान, उसे हायर स्टडीज के लिए प्रोत्साहित करते हैं. सफीना बतूल ने डेटॉल हाइजीन ओलंपियाड 2.0 परीक्षा में पहला स्थान हासिल किया.

निखिल चौबे, महराजगंज, उत्तर प्रदेश

डेटॉल हाइजीन ओलंपियाड 2.0 परीक्षा में निखिल चौबे ने दूसरा स्थान हासिल किया. वो उत्तर प्रदेश के महराजगंज में निचलौल के जगदौर गांव में रहते हैं. वो श्री गुरु गोरखनाथ संस्कृत विद्यालय, गोरखनाथ मंदिर, गोरखपुर में पढ़ रहे हैं. यह स्कूल नेपाल सीमा के पास स्थित है, जहां आदिवासी और आर्थिक रूप से गरीब छात्रों को मुफ्त में पढ़ाया जाता है.

वी सरन कुमार, तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु

सरन कुमार तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली के, के ए पी विश्वनाथन हायर सेकेंडरी स्कूल में कक्षा 8 के छात्र हैं. उनके पिता एक अंडे की दुकान में सेल्समैन हैं और उनकी मां एक होममेकर. सरन कुमार जहां अपनी क्लास में शानदार प्रदर्शन करता है वहीं स्कूल की एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में भी भाग लेता है. उसने डेटॉल हाइजीन ओलंपियाड परीक्षा में तीसरा स्थान हासिल किया है.

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लेवल 5 के विजेता

दिनेश, नगरकुरनूल, तेलंगाना

दिनेश की कहानी साहस और दृढ़ता की प्रतीक है. वो चेंचू समुदाय के आदिम जनजातीय समूह से आता है, जो तेलंगाना के नगरकुरनूल में अमराबाद टाइगर रिजर्व और उसके आसपास रहने वाली एक आदिवासी

जनजाति है. उसने 2014 में पांच साल की उम्र में अपनी मां को खो दिया था. उसके घर के हालात ऐसे नहीं थे कि वो प्राइवेट स्कूल में पढ़ सके. उसके पिता को साधारण जरूरतों को पूरा करने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता था. आदिवासी बच्चों का नियमित सालाना सर्वे करते समय, मन्नानूर स्कूल ने दिनेश की प्रतिभा को पहचाना और उसे आवासीय छात्र के तौर पर स्कूल में दाखिला दिया.

दिनेश की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुईं. वह एक दुर्घटना का शिकार हो गया जिसमें उसका चेहरा, छाती और हाथ दूसरी डिग्री तक जल गए. जीवन में आने वाली इन विकट चुनौतियों के बावजूद दिनेश एक विजेता के रूप में उभरा, जिसमें उसका डेटॉल हाइजीन ओलंपियाड 2.0 जीतना भी शामिल है.

फोजिया जहरा, इचिगाम बडगाम, जम्मू और कश्मीर

खूबसूरत जम्मू-कश्मीर के बीच बसे इचिगाम बडगाम की शांत पहाड़ियां फोजिया जहरा का घर है. एक साधारण परिवार में पली-बढ़ी फोजिया अपने स्कूल तक पहुंचने के लिए मीलों पैदल चलती है. संसाधनों की कमी के बावजूद, फोजिया के माता-पिता ने छोटी उम्र से ही उसे शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता की अहमियत को समझाया.

हेल्थ और हाइजीन उसके पसंदीदा टॉपिक हैं, फोजिया का मानना है कि इससे लोगों का जीवन बदल सकता है. उसके लिए टर्निंग पॉइंट डेटॉल हाइजीन ओलंपियाड 2.0 के तौर पर आया, जो डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया पहल का एक हिस्सा है. फोजिया ने इसमें न केवल अपनी नॉलेज को टेस्ट करने का अवसर देखा, बल्कि अपने परिवार और पड़ोसियों के बीच स्वास्थ्य और स्वच्छता के बारे में जागरूकता फैलाकर अपनी कम्युनिटी के अंदर जागरूकता पैदा करने का मौका भी.

पेमा चोडेन, सिक्किम

सिक्किम हिमालय के एक दूरदराज के गांव की एक युवा छात्रा पेमा चोडेन तमांग की कहानी उसके दृढ़ संकल्प को दर्शाती है. पेमा उत्तरे सीनियर सेकेंडरी स्कूल की छात्रा है. वो तमांग समुदाय से आती है, जो अनुसूचित जनजाति श्रेणी में आता है.

एक छोटे और दूरदराज के गांव में एक साधारण परिवार में जन्मी पेमा को उन सफल व्यक्तियों की कहानियों से प्रेरणा मिलती है जो ऐसे ही हालातों का सामना करके आगे बढ़े हैं. उसके पिता एक ड्राइवर हैं, और उसकी मां उसके ही स्कूल में कम सैलरी पर एक अस्थायी नौकरी करती हैं.

अपने माता-पिता से मिले संस्कारों की वजह से वो कड़ी मेहनत और शिक्षा के महत्व को समझती है. पेमा पढ़ाई में काफी अच्छी है. वो अब तक कई कार्यक्रमों और प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुकी है. हाल ही में उसने डेटॉल हाइजीन ओलंपियाड 2.0 में हिस्सा लिया, और उसमें तीसरा स्थान हासिल किया.

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