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भारत में बच्चों को स्वच्छता की शिक्षा देना और अच्छी आदतें डालना ही डेटॉल की DIY हाइजीन वर्कबुक का मकसद
डेटॉल स्कूल हाइजीन एजुकेशन प्रोग्राम 2014 में सिर्फ 2,500 स्कूलों में पहल की शुरुआत के साथ शुरू हुआ था, आज यह 840,000 स्कूलों में 24 मिलियन बच्चों तक पहुंच गया है
नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO का कहना है कि हाथों की उचित स्वच्छता पांच साल से कम उम्र के बच्चों में सांस और डायरिया से होने वाली मौतों में क्रमश: 21 प्रतिशत और 30 प्रतिशत की कमी लाने में कारगर साबित सिद्ध हुई है. संगठन के मुताबिक पिछले पांच वर्षों में आधा अरब लोगों ने हाथ स्वच्छता की बुनियादी सुविधाओं को प्राप्त किया है. इस हिसाब से प्रति दिन 300,000 लोगों को यह सुविधा हासिल हुई है. हालांकि, WHO के अनुमान बताते हैं कि यह प्रगति बहुत धीमी है और मौजूदा दर पर, यह काम होने पर भी 2030 तक दुनिया में तकरीबन 2 बिलियन लोग इससे महरूम ही रहेंगे. इसका नकारात्मक असर शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और आर्थिक विकास सहित अन्य विकास प्राथमिकताओं पर पड़ेगा.
भारत में स्वच्छता की बात करें, तो लोगों के व्यवहार में बदलाव लाने की चुनौतियों से निपटने के लिए, 2014 में, अपने व्यापक अभियान, बनेगा स्वस्थ इंडिया के तहत रेकिट ने परिवर्तनकारी डेटॉल स्कूल हाइजीन एजुकेशन प्रोग्राम लॉन्च किया था. इस कार्यक्रम का उद्देश्य शुरुआती चरण में अच्छी आदतों को सिखाना और अपनाने को प्रेरित करना था, ताकि व्यवहार और आदतों में बदलाव लाकर भावी पीढ़ी के जीवन को बेहतर बनाया जा सके.
पहल के एक हिस्से के रूप में, डेटॉल ने हाल ही में शैक्षणिक वर्ष 2023 के लिए कक्षा 1 से कक्षा तक 3 के लिए ‘DIY हाइजीन वर्कबुक’ लॉन्च की है. इस वर्कबुक में सुरक्षा और स्वच्छता से जुड़ी आदतों के बारे में बताया गया है, जिनका बच्चों को स्वस्थ रहने के लिए पालन करना चाहिए. ये पुस्तकें इस मूल तथ्य पर आधारित हैं कि अच्छा स्वास्थ्य और स्वच्छता शारीरिक, मानसिक विकास के रास्ते खोलती है. साथ ही यह सुनिश्चित करती है कि हम स्वस्थ भारत के निर्माण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं.
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DIY वर्कबुक में क्या है
इन पुस्तकों में निम्नलिखित बातें शामिल हैं:
1- स्वच्छता से संबंधित गतिविधियां और अभ्यास जो मज़ेदार और ज्ञानवर्धक हैं.
2- इससे बच्चे अपने संपूर्ण स्वास्थ्य की देखभाल करना सीखेंगे.
3- इसमें सुरक्षा, साफ-सफाई और स्वास्थ्य पर ड्राइंग और कलरिंग गतिविधियां हैं.
4- इसका उद्देश्य बच्चों को उनके बुनियादी दैनिक कार्यों को ‘कैसे करना है’ की जानकारी देकर उनमें अच्छी आदतें डालना है और अच्छे व्यवहार को बढ़ावा देना है, जिसमें हाथ धोना, नहाना, ब्रश करना, सर्फेस क्लीनिंग, चोट लगने पर प्राथमिक उपचार और छींकने या खांसने पर मुंह व नाक को ढंकने जैसी बातें बताई गई हैं.
5- बेहतर स्वच्छता से जुड़े व्यवहार के साथ, ये वर्कबुक बच्चों को शिक्षित करती हैं कि अस्वच्छता भरे व्यवहार से कैसे वायरस, कीटाणु और जीवाणु फैला सकते हैं और बीमारियों का कारण बन सकते हैं.
DIY वर्कबुक से कुछ उदाहरण
इस मजेदार स्पिनर बोर्ड के माध्यम से, DIY वर्कबुक बच्चों को स्वस्थ और स्वच्छ रहने के बारे में बताया जा रहा है.
दूसरे खंड में, बच्चे सीखते हैं कि कीटाणु कैसे फैलते हैं और इस प्रसार को कैसे रोका जा सकता है
गतिविधियों के अलावा, DIY वर्कबुक में मिकी, जिन्नी, इरा और अर्नव जैसे पात्र हैं और उनकी बातचीत के माध्यम से बच्चे स्वस्थ रहने और बीमारियों से लड़ने के बारे में महत्वपूर्ण सबक सीख सकते हैं।
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इस पहल के पीछे क्या है रेकिट की सोच
2014 में डेटॉल स्कूल हाइजीन एजुकेशन प्रोग्राम के लॉन्च के साथ सिर्फ 2,500 स्कूलों में शुरू हुआ यह कार्यक्रम आज 8,40,000 स्कूलों और 5,00,000 मदरसों में 24 मिलियन बच्चों तक पहुंच चुका है. इस पहल के तहत कवर किए गए बच्चों को एक ऐसे इको सिस्टम से परिचित कराया जा रहा है जहां स्वच्छता के ज्ञान को पॉजिटिव हाइजीन प्रेक्टिस और उससे जुड़े व्यवहार को बढ़ावा देने और बनाए रखने की बात को सांस्कृतिक स्तर पर जाकर सिखाया जा रहा है.
डीआईवाई हाइजीन वर्कबुक्स के माध्यम से रेकिट का उद्देश्य बच्चों को आने वाले वक्त के लिए जरूरी महत्वपूर्ण जीवन-कौशल को सिखाना है. इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय पाठ्यक्रम के साथ जोड़ा गया है. इसमें शिक्षा में शामिल सर्वोत्तम चीजों को शामिल किया गया है और यह रोजमर्रा की जिंदगी में साफ-सफाई को अपनाने के नए तरीके बताता है. इसका एजेंडा विकास के हर क्षेत्र में स्वच्छता के विचार का विस्तार करना है और बच्चों को अपनी जीवन शैली में स्वच्छता को शामिल करने के लिए प्रेरित करना है.