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एक्सपर्ट ब्लॉग: टीका लगवाने के बाद अपनी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को जानें
अगर हम किसी महामारी को नियंत्रित करना चाहें, तो हमें ऐसे उपाय करने की ज़रूरत है, जो सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाने से आगे जाए. इन उपायों को एक मज़बूत टीकाकरण कार्यक्रम से सुदृढ़ किए जाने की ज़रूरत है
किसी बीमारी से लड़ने के लिए इम्यून सिस्टम द्वारा बनाए जाने वाले प्रोटीन को ही एन्टीबॉडी कहते हैं. बैक्टीरिया या वायरस जैसी बाहरी चीज़ के संपर्क में आने पर शरीर आईजीएम (IgM) एन्टीबॉडीज़ का निर्माण करता है. ये पहले एन्टीबॉडी होते हैं, जिनका निर्माण शरीर किसी नए संक्रमण से लड़ते हुए करता है. ये अल्पावधि के लिए होते हैं और संभव है, किसी संक्रमण के कुछ हफ्ते बाद इनका पता न चले. इसके बाद यह IgG एन्टीबॉडी द्वारा फॉलो किया जाता है, जो ज़्यादा चलने वाली इम्यून सुरक्षा मुहैया करवाता है. म्यूकोसल सरफेस, जैसे नैज़ोफैरिंक्स, सांस की नली के निचले हिस्से (लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट) आदि के इम्यून डिफेंस में IgA भी अहम भूमिका निभाता है. यह सार्स कोवी-2 (SARS-CoV-2) के प्रवेश का पहला बिन्दु है.
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, COVID-19 के 257 मिलियन (25 करोड़ 74 लाख) से ज़्यादा मामले रिपोर्ट किए गए हैं. भारत ने इनमें से 33 मिलियन (3 करोड़ 30 लाख) मामलों की रिपोर्ट आधिकारिक तौर पर की गई है.
अगर हम किसी महामारी को नियंत्रित करना चाहें, तो हमें ऐसे उपाय करने की ज़रूरत है, जो सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाने से आगे जाए. इन उपायों को एक मज़बूत टीकाकरण कार्यक्रम से सुदृढ़ किए जाने की ज़रूरत है.
कोविड-19 के वैक्सीन हमें वायरस और इसके रूपांतरों के मुकाबले प्रतिरक्षा का विकास करने में सहायता करते हैं. ये प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रेरित करते हैं, ताकि एन्टीबॉडीज़ बनें, जो वायरस से लड़ें. इस तरह गंभीर बीमारी और मौत को रोका जा सकता है. WHO के मुताबिक, कोविड-19 का टीका हमें गंभीर बीमारी और मौत से बचाता है, लेकिन संक्रमण और ट्रांसमिशन से यह सुरक्षा निश्चित नहीं है. (2)
संक्रमण / टीकाकरण के बाद कोविड-19 एन्टीबॉडीज़ कितने समय तक रहते हैं, इसे अभी तय किया जाना है. हमारे इम्यून रेस्पॉन्स को लेकर निश्चिंत होने और यह तय करने के लिए कि किसी में एन्टीबॉडीज़ का विकास हुआ है या नहीं, एक तरीका यह है कि भरोसेमंद IgG गुणात्मक एन्टीबॉडी टेस्ट कराया जाए. चूंकि IgG एन्टीबॉडीज़ शरीर में लंबे समय तक बने रहते हैं, इसलिए इनका पता लंबे समय तक लग सकता है और ये ज़्यादा सही होते हैं.
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IgG एन्टीबॉडीज़ और इम्यूनिटी के बारे में…
एक सकारात्मक IgG एन्टीबॉडी टेस्ट का मतलब होगा कि व्यक्ति या तो पहले संक्रमित था या उसे कोविड-19 का टीका लग चुका है.
एन्टीबॉडीज़ की ज़्यादा संख्या से यह संकेत मिलता है कि न्यूट्रलाइज़ करने वाले एन्टीबॉडीज़ की संख्या भी ज़्यादा है. न्यूट्रलाइज़िंग एन्टीबॉडीज़, भिन्न वर्ग के एन्टीबॉडी हैं, जो वायरस और होस्ट के बीच इंटरएक्शन को रोकता था. इस तरह, संक्रमण रुकता है. IgG और न्यूट्रलाइज़िंग एन्टीबॉडीज़ के साथ अच्छा को-रिलेशन देखा गया है. वैसे तो एन्टीबॉडी के विकास का यह मतलब यह नहीं है कि आपको कोविड-19 नहीं होने की गारंटी है, लेकिन यह हमें अपनी वैयक्तिक सीमा को समझने में सहायता नहीं करता है. इस तरह इस सूचना के आधार पर हमें बेहतर तैयारी करने में सहायता भी नहीं मिलती है.
सही टेस्ट का चुनाव आवश्यक है, क्योंकि कुछ एन्टीबॉडी टेस्ट संक्रमण से शरीर में बने एन्टीबॉडी का भी पता लगा लेंगी, न कि कोविड-19 टीकाकरण वाले एन्टीबॉडी का. सही टेस्ट का चुनाव करने के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क कीजिए. इस तरह, यह परीक्षण महामारी का प्रबंध करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. इसके लिए वैज्ञानिकों को और स्वास्थ्य अधिकारियों को सूचना देने की आवश्यकता है. बशर्ते पर्याप्त मात्रा में लोगों में कोविड-19 के खिलाफ मज़बूत इम्यून रिस्पॉन्स तैयार हुआ है.
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टेस्ट का समय
एन्टीबॉडी टेस्ट का उपयोग आमतौर कोविड-19 के मौजूदा संक्रमण का पता लगाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए. संभव है कि एन्टीबॉडी टेस्ट से यह पता नहीं चले कि आपको इस समय संक्रमण है कि नहीं, क्योंकि संक्रमण के बाद आपके शरीर को एन्टीबॉडी बनाने में कई दिन और हफ्तों लग सकते हैं. टीकाकरण के बाद सही परिणाम के लिए टेस्ट टीके की दूसरी खुराक के कम से कम 14 दिन बाद किया जाना चाहिए. यह जांच आसान हैं और खून के नमूने से की जा सकती है. इसके लिए अधिकृत पैथोलॉजी प्रयोगशालाएं हैं और घर बैठे इनसे जांच करवाई जा सकती है. इससे एन्टीबॉडीज़ की जांच, यह तय करने का सुरक्षित तरीका बनता है कि हममें घातक कोविड-19 संक्रमण का पर्याप्त प्रतिरक्षा रेस्पॉन्स बना है या नहीं.
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(इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च में डायरेक्टर जनरल के रूप में सेवाएं देने के बाद, प्रोफेसर निर्मल कुमार गांगुली को देश में सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल प्रोफेशनल्स में से एक के रूप में सम्मानित किया गया है। उनकी योग्यताओं में एम.बी.बी.एस, एम.डी, एफसीआरपी (लंदन), फैलो, इंपीरियल कॉलेज (लंदन), एफएएमएस एवं एफएनए (इंडियन मेडिसीन) शामिल हैं। इसके अलावा, उन्होंने एफएनएएससी, एफटीडब्लूएएस (इटली), एफआईएसीएस (कैनेडा) एवं एफआईएमएसए भी किया है।)
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