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‘स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम’ का शुभारंभ

मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अपने बयान में कहा कि 73.62 लाख शौचालय बनाकर हमने लाखों शहरी गरीबों को सम्मान और स्वास्थ्य प्रदान किया है. इस दौरान 67.1 लाख व्यक्तिगत घरेलू शौचालय और 6.52 लाख सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया गया है

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"स्वच्छता ही सेवा" कार्यक्रम का शुभारंभ केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी और ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने किया

नई दिल्ली: एक आधिकारिक बयान के अनुसार, भारतीय स्वच्छता लीग 2.0 और सफाई मित्र सुरक्षा शिविर जैसी अलग-अलग गतिविधियों के माध्यम से देश भर में लोगों की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से शुक्रवार (15 सितंबर) को एक पखवाड़े तक चलने वाला स्वच्छता अभियान शुरू किया गया. “स्वच्छता ही सेवा” कार्यक्रम का शुभारंभ केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी और ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने किया.

केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, इस मौके पर हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन की आगामी नौवीं वर्षगांठ और स्वच्छता ही सेवा 2023 का शुभारंभ उत्सव का क्षण है. मंत्री ने कहा,

अब समय आ गया है कि हम अपने शहरों को साफ-सुथरा रखने के लक्ष्य के प्रति फिर से प्रतिबद्ध हों. स्वच्छता ही सेवा पखवाड़े के शुभारंभ के साथ, हम स्वच्छता के लिए खुद को फिर से समर्पित करते हैं.

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उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को लाल किले से स्वच्छ भारत मिशन (SBM) की घोषणा की थी तब इतने बड़े पैमाने पर बदलाव की पहले कभी कल्पना नहीं की गई थी.

उस समय तक स्वच्छता का स्तर काफी खराब था, इसके बावजूद भारत ने अगले 5 सालों में खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) का लक्ष्य हासिल कर लिया. उन्होंने कहा, भारत में सभी 4,884 शहरी स्थानीय निकाय (100 प्रतिशत) अब खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) हैं.

मंत्री पुरी ने अपने बयान में कहा कि 73.62 लाख शौचालय बनाकर हमने लाखों शहरी गरीबों को सम्मान और स्वास्थ्य प्रदान किया है. इस दौरान 67.1 लाख व्यक्तिगत घरेलू शौचालय और 6.52 लाख सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया गया है. उन्होंने कहा,

भारत के 95 प्रतिशत वार्डों में 100 फीसदी घर से कचरा इकट्ठा किया जाता है. 88 फीसदी से ज्यादा वार्डों में कचरे का स्रोत अलग-अलग है. यह इसलिए संभव हुआ क्योंकि स्वच्छ भारत मिशन एक सामान्य सरकारी कार्यक्रम के बजाय एक ‘जन आंदोलन’ बन गया.

मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि “स्वच्छता” या सफाई न केवल हर सरकारी योजना में बल्कि नागरिकों के जीवन में भी एक मूलभूत सिद्धांत बन गई है.

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