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ग्लोबल हैंडवॉशिंग डे 2022: जानें, स्वस्थ इंडिया के निर्माण के लिए हैंडवॉशिंग का महत्व
ग्लोबल हैंडवॉशिंग डे पर स्वस्थ इंडिया बनाने में हाथ धोने के महत्व और हेल्दी हैबिट्स के निर्माण में कम्युनिकेशन की भूमिका को विस्तार से बताया गया है.
नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, हमारे हैंड जर्म ट्रांसमिशन के मुख्य मार्ग हैं. ऐसे में इन्फेक्शन के प्रसार से बचने और लोगों को स्वस्थ रखने के लिए हैंडवॉशिंग सबसे महत्वपूर्ण उपाय है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि शौचालय जाने के बाद या खाने से पहले हाथ धोने से बच्चों को डायरिया होने का खतरा 40 प्रतिशत से अधिक कम हो सकता है. यूनिसेफ ने आगे कहा कि हैंडवॉशिंग से COVID-19 इन्फेक्शन की संभावना 36 प्रतिशत तक कम हो सकती है. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का कहना है कि अगर हर कोई नियमित रूप से हाथ धोता है, तो एक साल में 10 लाख मौतों को रोका जा सकता है.
दुनिया भर में 15 अक्टूबर को ‘ग्लोबल हैंडवॉशिंग डे’ मनाया जाता है और इस साल की थीम “यूनाइट फॉर यूनिवर्सल हैंड हाइजीन” है. हाल ही में 12 घंटे के बनेगा स्वस्थ इंडिया टेलीथॉन के दौरान जर्म को मारने वाली हाइजीन हैबिट्स पर एक सेशन के दौरान, फेस हस्तियों, सोशल एक्टिविस्ट और एक्सपर्ट के पैनलिस्टों ने स्वस्थ और हेल्थीयर सोसायटी के निर्माण में हैंडवॉशिंग के महत्व पर प्रकाश डाला.
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यहां सेशन के हाइलाइट दिए गए हैं कि क्यों हैंडवॉशिंग गुड हेल्थ, बीमारी की रोकथाम और जीवन बचाने के लिए महत्वपूर्ण है:
अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा ने कहा,
‘समाज को स्वस्थ रखने के लिए हैंडवॉशिंग जरूरी है. COVID-19 महामारी के बाद, देश भर में हैंडवॉशिंग हैबिट्स में सुधार हुआ है, छोटे बच्चे से लेकर परिवार के बुजुर्गों तक, सभी जानते हैं कि हैंडवॉशिंग कितनी अनिवार्य है. और जब इस एक बात की बात आती है, तो पैन्डेमिक ने सोसायटी में एक हेल्थी चेंज वापस लाया है. एक बार फिर से हैंडवॉशिंग बीमारियों और इन्फेक्शन से लड़ने के लिए सबसे महत्वपूर्ण साधनों में से एक बन गया.’
हैंडवॉशिंग के बेनिफिट को दोहराते हुए और कैसे महामारी ने सोसायटी में इस स्वस्थ आदत को वापस लाया, एक्टर और कैंपेन एंबेसडर अमिताभ बच्चन ने कहा,
COVID-19 के दौरान लोगों के मन में किसी तरह का डर होने की वजह से लोग बार-बार हाथ धोने लगे. लोगों में डर था कि अगर वे इस रूटीन का पालन नहीं करते हैं, तो यह कुछ विनाशकारी हो सकता है. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमें बच्चों के साथ ऐसा ही करने की जरूरत है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि शुरू से ही किसी तरह की वॉर्निंग दी जाए, ताकि बच्चों में यह स्वस्थ आदत शुरू से ही डाली जा सके और मुझे यकीन है कि यह स्वस्थ भारत के निर्माण में एक बुनियादी चीज बहुत बड़ी मदद कर सकती है.
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पर्सनल एक्सपीरियंस में से एक और हैंडवॉशिंग के बेनिफिट पर प्रकाश डालते हुए, डॉ सुनीला गर्ग, अध्यक्ष, प्रोग्राम एडवाइजरी कमेटी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर और लैंसेट आयोग की सदस्य ने कहा,
प्री-कॉन्सेप्शनल से लेकर पीडियाट्रिक और जेरिएट्रिक फेज तक, हाइजीन बहुत महत्वपूर्ण है. इसका महत्व कुछ ऐसा है जिसे मैंने बहुत करीब से और व्यक्तिगत रूप से देखा है. 1983 में जब मैंने अपनी पोस्ट-ग्रेजुएशन पूरी की और मेरे पति एक पीडियाट्रिशन थे, उस दौरान हमें एक ऐसे बच्चे का मामला मिला, जो जन्म के समय बहुत कम वजन के साथ पैदा हुआ था और उसके बचने की संभावना बहुत कम थी. उस समय के दौरान, हमारे पास बहुत एडवांस नर्सिंग केयर भी नहीं थी. हमने सिर्फ मां से कहा था कि आप हमेशा हैंडवॉशिंग के बाद बच्चे का ख्याल रखेंगी. उन्होंने इसे अच्छे से फॉलो किया और आज वह बच्चा बहुत हेल्थी लाइफ जी रहा है. अभी दो साल पहले, हमें एक फोन आया और बताया गया कि जिस बच्चे को हमने बचाया था, वह आज एक जिला मजिस्ट्रेट है. वह मैरिड और हेल्थी है. तो, आप देखिए, कैसे इस एक सिंपल एक्ट ने किसी की जान बचाई. हाइजीन हमारी लाइफ के सभी स्टेज में अहम है, विशेष रूप से हैंड हाइजीन. आज, हम नियमित रूप से हैंडवॉशिंग जैसी कुछ बेसिक हेल्थ हैबिट को फॉलो करके कुपोषण, डायरिया, पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु जैसे मुद्दों का समाधान करने में सक्षम हैं. अब हम एक स्वस्थ बच्चे का लालन-पालन करने में सक्षम हैं, जो भविष्य में एक स्वस्थ देश की नींव है.
सीसेम वर्कशॉप इंडिया की मैनेजिंग डायरेक्टर सोनाली खान ने कम्युनिकेशन के रोल और कम उम्र में हैंडवॉशिंग जैसी स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देने और इसके महत्व के बारे में बात करते हुए कहा,
यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि कम्युनिकेशन का कंटेंट वास्तव में कितना एंगेजिंग और फनी है. बच्चे एंगेज्ड रहेंगे यदि वे इसको एन्जॉय करते हैं तो कम्युनिकेशन को प्रभावी ढंग से सुनेंगे. हमारे लिए, यह बच्चों के साथ जुड़ने का प्रमुख तरीका रहा है. अगर हम कम उम्र से ही हाइजीन, खाने से पहले और बाद में हाथ धोने, टॉयलेट का उपयोग करने के बाद हाथ धोने की आदत बना लें, तो यह वास्तव में एक हेल्थीयर सोसायटी के निर्माण में एक लंबा रास्ता तय कर सकता है. एक पुरानी कहावत है कि बच्चे भी हमारे शिक्षक होते हैं. हमें केवल उन्हें शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चों के रूप में ही नहीं देखना चाहिए. वे हमें बहुत सी चीजों की याद भी दिला सकते हैं. इसलिए, यदि वे स्कूल में हैंडवॉशिंग जैसी कोई अच्छी आदत सीखते हैं और यह महत्वपूर्ण है, तो वे अपने परिवार और फ्रेंड्स को इन हेल्थी हैबिट्स को सीखने के लिए मजबूर कर सकते हैं और एक स्वस्थ भारत के लिए प्रेरित कर सकते हैं.
नागालैंड का एक एग्जांपल शेयर करते हुए और राज्य कैसे हेल्थी हैबिट्स को बढ़ावा दे रहा है, नागालैंड के शिक्षा मंत्री तेमजेन इम्ना अलोंग ने कहा,
नागालैंड में, राज्य के भीतर प्रोपर हाइजीन लेसन और कम्युनिकेशन के कारण COVID समय के दौरान कम संख्या में लोग प्रभावित हुए थे. हमारा ऑब्जेक्टिव सही नॉलेज विकसित करना है न कि भय. COVID ने हर जगह एक स्वस्थ बदलाव लाया, जब हैंडवॉशिंग की बात आती है, तो इसने हमें दिखाया कि अगर हम हाइजीन पर ध्यान नहीं देते हैं तो यह कितना विनाशकारी हो सकता है. स्वच्छता का मतलब सिर्फ हाथ धोना नहीं है; यह एक समग्र दृष्टिकोण है और यह स्वयं को स्वस्थ रखने के बारे में है. हम कम्युनिकेशन करने में सफल इसलिए हुए क्योंकि हम समुदाय के लोगों को अपने साथ जोड़ पाए. हम गांवों या कॉलोनी या मेट्रो शहरों में मुद्दों को उठाते हैं. हम समुदाय को स्टैंड लेने देते हैं और सॉल्यूशन के साथ सामने आते हैं और यही अप्रोच हमने अपनाया है.
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सही कम्युनिकेशन के महत्व को रेखांकित करते हुए, उत्तर भारत, सोशल और बिहेवियर चेंज के सीनियर टेक्निकल एडवाइजर, जॉन्स हॉपकिन्स सेंटर फॉर कम्युनिकेशन प्रोग्राम्स, ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ ने कहा,
‘एक प्रोफेशनल के रूप में मैंने जो पाया है वह यह है कि एंटरटेनमेंट कम्युनिकेशन लोगों के साथ कम्यूनिकेट करने का सबसे प्रभावी तरीका है. आज, एक देश के रूप में हमें अपने आसपास के कार्यक्रमों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, यहां तक कि हैंडवॉशिंग जैसी सिंपल चीजों के लिए भी कम्यूनिकेट करने की जरूरत है. यदि हम बिहेवियरल नज बिल्ड कर सकते हैं और हेल्थी हैबिट्स बना सकते हैं, तो हम एक साथ एक हेल्थीयर सोसायटी का निर्माण कर सकते हैं. कम्युनिकेशन के बारे में दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सिर्फ एक बार नहीं होता है, इसलिए हम एक लीफल्ट, बैनर विकसित नहीं कर सकते हैं और कह सकते हैं कि हमने लोगों से कम्यूनिकेट करने में अपनी भूमिका निभाई है. बार-बार हमें लोगों को कम्युनिकेशन के बारे में याद दिलाने की जरूरत है, ताकि लोग इस बात को समझें और अपनाएं.
रेकिट की पहल के बारे में बताते हुए और कैसे वे एक अनोखे तरीके से हैंडवॉशिंग के विचार को बढ़ावा दे रहे हैं और अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचा रहे हैं, रवि भटनागर, डायरेक्टर, एक्सटर्नल अफेयर्स और पार्टनरशिप SOA, रेकिट ने कहा,
‘डेटॉल ने रईस खान के साथ एक प्रोजेक्ट लॉन्च किया है जिसमें हम फॉक सॉन्ग के जरिए स्वच्छता का संदेश फैलाते हैं. इस बुनियादी चीज़ को बढ़ावा देने का यह सबसे अनोखा तरीका है. राजस्थान की समृद्ध संगीत विरासत को हेल्दी और हाइजीन अपलिफ्टमेंट में इतना बड़ा योगदान देते हुए देखना वास्तव में गर्व की बात है.
उसी और कई अन्य पहलों के बारे में बात करते हुए और कैसे डेटॉल लोगों को हाथ धोने और इसके लाभों के बारे में जागरूक करने में सबसे आगे रहा है, दिलेन गांधी, क्षेत्रीय विपणन निदेशक, दक्षिण एशिया, हेल्थ और न्यूट्रिशन, रेकिट ने कहा,
‘हाथ धोना बहुत जरूरी है, ऐसी कई बीमारियां हैं जिनसे कोई भी बचा सकता है. यह डायरिया के खतरे को 47 प्रतिशत तक कम कर सकता है. डेटॉल में, हम लोगों को जोखिम से निपटने के लिए टूल्स प्रदान करते हैं. और केवल टूल्स ही नहीं, हम हाथ धोने के बारे में जानकारी, जागरूकता और शिक्षा प्रदान करते हैं कि यह क्यों महत्वपूर्ण है. इसलिए, समग्र रूप से, हम लोगों को सूचनाओं और फैसिलिटी/टूल्स से लैस कर रहे हैं ताकि लोग नियमित रूप से दैनिक आधार पर लाइफस्टाइल में हैंडवॉशिंग को हिस्सा बनाएं.
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