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हाथ धोना जाति और धर्म से परे है, यह सबसे जरूरी चीज है: रेकिट के निदेशक, रवि भटनागर
रेकिट भारत को स्वस्थ और सेहतमंद बनाने में किस प्रकार मदद कर रही है? बता रहे हैं- रेकिट, SOA के एक्सटर्नल अफेयर्स एंड पार्टनरशिप्स, निदेशक रवि भटनागर
नई दिल्ली: लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है, ताकि स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्वास्थ्य सुविधाएं दुनिया में हर जगह हर किसी के लिए सुलभ हों. इस दिन सभी के लिए स्वास्थ्य और स्वच्छता के महत्व के बारे में बात करने के लिए टीम -बनेगा स्वस्थ इंडिया’ ने रेकिट के निदेशक, विदेश मामले और भागीदारी, SOA रवि भटनागर से हाथ धोने को लेकर बात की. उन्होंने बताया कि यह स्वच्छता, स्वास्थ्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण काम क्यों है और इसके माध्यम से कैसे ‘डेटॉल : बनेगा स्वस्थ इंडिया’ प्रोग्राम और विभिन्न अन्य फ्लैगशिप प्रोग्रामों के जरिये रेकिट एक ‘स्वस्थ’ और सेहतमंद भारत बनाने में मदद कर रहा है.
एनडीटीवी: हाथ की स्वच्छता इतनी महत्वपूर्ण क्यों है और भारत को रोगमुक्त व स्वस्थ बनाने में हाथ धोने की क्या भूमिका है?
रवि भटनागर: हम सभी ने कोविड-19 के दौरान हाथ धोने का महत्व समझा है. यह अब भी जरूरी बना हुआ है, क्योंकि हम H3N2 मामलों में अचानक वृद्धि देख रहे हैं और एक बार फिर विशेषज्ञ हाथ धोने जैसी स्वच्छता की बुनियादी आदत पर जोर दे रहे हैं. एक बात हमने महसूस की है कि एक स्वस्थ भारत के निर्माण करने और इसे सुनिश्चित करने का एक ही मूल मंत्र है, वह है हाथ धोना. यह रामबाण है, यह जीवन का एक बहुत ही आवश्यक हिस्सा है, जिसके बिना स्वस्थ नहीं रह सकते. यह सभी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. भारत एक ऐसा देश है, जहां युवाओं और बुजुर्गों की काफी बड़ी आबादी है. हाथ धोना एक ऐसी चीज है, जो जाति और धर्म से परे है. यह एक सामान्य सी चीज है, जो सभी को जोड़ती है, बल्कि मैं कहना चाहूंगा कि स्वच्छता ही नया धर्म है.
एनडीटीवी: डेटॉल के स्कूल हाइजीन एजुकेशन प्रोग्राम की तरह हैंड वाशिंग पर डेटॉल के कार्यक्रम और पहल के बारे में बताएं. आप जमीनी स्तर पर इसका कैसा असर देख रहे हैं?
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रवि भटनागर: हमने 2014 में एनडीटीवी के साथ मिलकर डेटॉल स्कूल स्वच्छता शिक्षा कार्यक्रम की इस खूबसूरत यात्रा की शुरुआत की थी. एक सीजन में, हमने अपने कैम्पेन एंबेसडर अमिताभ बच्चन को खुद आ कर ‘स्वच्छता की पाठशाला’ का संचालन करते देखा. इसने हमारे हौसले को काफी बढ़ाया और हमें अपने इस कार्यक्रम को पूरे भारत में ले जाने के लिए प्रेरित किया. इससे हमें न केवल निजी स्कूलों तक बल्कि पब्लिक स्कूलों, पुराने स्कूलों, सरकारी स्कूलों और सेना के स्कूलों तक पहुंचाने की हमें प्रेरणा मिली. हमने 2000 स्कूलों के साथ शुरुआत की और अब हम भारत के 10 में से 8 स्कूलों तक अपने कार्यक्रम को पहुंचा चुके हैं. आज हम इसमें रुचि दिखाने वाले भारत के तकरीबन सभी जिलों और ब्लॉकों तक इसे पहुंचा चुके हैं. जहां रेकिट के स्वच्छता पाठ्यक्रम को लागू किया गया है, वहां हमने स्कूलों की अनुपस्थिति में 36 प्रतिशत से 22 प्रतिशत की कमी देखी है. आज भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उन्होंने इस कार्यक्रम में बहुत सहयोग किया, वास्तव में उन्होंने हमें स्वच्छता की STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) शिक्षा को शामिल करने और शुरू करने के लिए प्रेरित किया. आज, हमारे पास ‘हाइजीन बडी किट्स’ नाम की एक ऐसी चीज है, जो अनुभव के जरिये सीखने में सक्षम बनाती है और लोगों में STEM की सोच को जागृत करती है.
इन किट्स में बच्चों के लिए “सोपी प्ले डो (Soapy Play Dough)” और “कीटाणु कैसे फैलते हैं” जैसे मजेदार खेल शामिल हैं जो न्यूरो लिंग्विस्ट प्रोग्रामिंग (NPL) के माध्यम से सीखने को प्रोत्साहित करते हैं. कोविड काल के दौरान हम भारत के लगभग 2 लाख स्कूलों में पहुंचे और वहां हमने इन किट्स का वितरण किया. इतना ही नहीं, इस पाठ्यक्रम के लिए हमारे पास आधुनिक उपकरण हैं, जिन्होंने भारत में प्रभावशाली और नई तरह की कोशिशों के जरिये स्वच्छता की समझ और इसकी आदत अपनाने को लेकर क्रांतिकारी ढंग से हमारी मदद की है. हमने इस प्रक्रिया में खेल-खेल में सीखने की तकनीक को भी शामिल किया है, ताकि मजेदार और आकर्षक तरीके से हाथ की स्वच्छता से जुड़ी बेसिक बातें सीखी जा सकें. पिछले कुछ वर्षों में, हमने इसमें काफी प्रगति देखी है, जो बहुत उत्साहजनक रही है. हाथ धोने को लेकर बच्चों के रवैये और व्यवहार में असाधारण बदलाव देखने को मिला है, हमने 85 प्रतिशत तक बदलाव की दर देखी है. इसका मतलब यह हुआ कि 85 प्रतिशत बच्चों ने हाथ धोने की आदत के बारे में सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है. सीसेम स्ट्रीट 2 द्वारा उन स्कूलों में जहां हमारे डेटॉल हाइजीन पाठ्यक्रम को लागू किया गया है, किए गए एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि 88 प्रतिशत स्कूलों के बच्चे नियमित रूप से हाथ धोने की आदत को अपना चुके थे.
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एनडीटीवी: हम ऐसा क्या करें कि स्वस्थ और सेहतमंद भारत के निर्माण में अधिक से अधिक लोग शामिल हों?
रवि भटनागर: बनेगा स्वस्थ भारत की यात्रा एक पब्लिक प्राइवेट मिक्स है. इन वर्षों में, हमारे साथ आनंद महिंद्रा, रोनी स्क्रूवाला, अदार पूनावाला जैसी निजी क्षेत्र की हस्तियां शामिल हुईं. इसके साथ ही हमारे साथ किरण मजूमदार-शॉ, संगीता रेड्डी, पूनम खेत्रपाल सिंह जैसे अकादमिक पृष्ठभूमि वाले लोग भी रहे. वर्षों से, हमारे पास क्लासिक चीजों से जुड़े लोग थे. इसमें एक स्पष्ट और सावधान नजरिये की जरूरत है और अंतर-क्षेत्रीय दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है. एक स्वस्थ और सेहतमंद भारत के निर्माण में सभी को एक साथ आने की आवश्यकता है. हमारे प्रधानमंत्री भी यही कहते हैं – सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास. सबका प्रयास मूल रूप से स्वास्थ्य सेवा में लोकतंत्रीकरण लाने के लिए एक बुनियादी चीज है. भारत ने स्मॉल पॉक्स, पोलियो को खत्म करने में कामयाबी पाई है, हमने एचआईवी के फैलाव को बहुत बड़े पैमाने पर रोका है और हम भारत को टीबी मुक्त बनाने के लिए कमर कस रहे हैं. यह सब कुछ सरकारी व निजी क्षेत्र और हर क्षेत्र के सहयोग से किए गए प्रयासों के कारण संभव हो सका है.
एनडीटीवी: हमें बताएं कि रेकिट मणिपुर, गुजरात और भारत के अन्य हिस्सों में स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए क्या कर रहा है.
रवि भटनागर: टीबी से संक्रमित और एचआईवी पॉजिटिव लोगों के बीच इंफेक्शन का एक बड़ा ओवरलैप है. हम बड़ी संख्या में ऐसे मामले देख रहे हैं जिनमें लोग इन दोनों ही घातक वायरस से संक्रमित हैं. इन क्षेत्रों में हम टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार और राज्य सरकार का सहयोग कर रहे हैं. ऐसे रोगियों के आहार का ध्यान रखने से लेकर, पर्याप्त पोषण के साथ रोगियों को सहारा देने और राज्य सरकारों का सहयोग करने तक हमारे कार्यक्रम में सब कुछ शामिल है. मणिपुर में, हमने ‘द बर्ड्स एंड बीज(The Birds and Bees) टॉक’ कार्यक्रम लागू किया है, जिसके माध्यम से हम एक स्वस्थ समाज बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए राज्यों का सहयोग कर रहे हैं. इन प्रमुख कार्यक्रमों के जरिये हम संपूर्ण स्वास्थ्य के बड़े लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.