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कोविड-19 की तीसरी लहर के लिए कितना तैयार है भारत

केंद्र और राज्य सरकारों ने कहा है कि वे भारत में तीसरी लहर से निपटने के लिए इस बार ज्यादा तैयार हैं. यहां सरकार द्वारा साझा किए गए कुछ नंबरों पर एक नजर डालें, जो कोविड-19 को हराने के लिए देश की तैयारियों को दर्शाते हैं.

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नई दिल्ली: देश में एक बार फिर से कोविड-19 संक्रमण बढ़ना शुरू हो गया है और विशेषज्ञों ने अक्टूबर के आसपास इसमें एक और बड़ी उछाल आने की चेतावनी दी है, वह भी तब, जब भारत का त्योहारी मौसम अपने चरम पर होगा. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) में महामारी विज्ञान और कम्युनिकेबल डिजीज की प्रमुख, डॉ समीरन पांडा ने भी सोमवार (30 अगस्त) को कहा कि जिन राज्यों को कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर का सामना नहीं करना पड़ा, वहां अब कोविड-19 के मामले बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं, इस तथ्य पर बल देते हुए कि यह तीसरी लहर की शुरूआती संकेत है.

हालांकि, कई स्वास्थ्य विशेषज्ञ भविष्यवाणी कर रहे हैं कि भारत में दूसरी लहर की तुलना में तीसरी लहर को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकेगा. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया कहते हैं,

इसे और अधिक नियंत्रित किया जाएगा, क्योंकि मामले बहुत कम होंगे क्योंकि अधिक टीकाकरण शुरू किए गए होंगे और दूसरी लहर से कुछ हद तक नेचुरल इम्यूनिटी होगी

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यहां तक कि केंद्र और राज्य सरकारों ने भी कहा है कि वे इस बार अधिक तैयार हैं. जुलाई, 2021 तक संसद में सरकार द्वारा साझा किए गए कुछ आंकड़े यहां दिए गए हैं:

हॉस्पिटल बेड्स- सरकार के अनुसार, कोविड मरीजों के इलाज के लिए समर्पित अस्पतालों में पिछले साल अप्रैल 2020 से अब तक 27 गुना बढ़कर 4,389 बेड हो गए हैं. मुख्य रूप से कम गंभीर मरीजों के लिए 18,000 से ज्यादा अतिरिक्त सेंटर स्थापित किए गए हैं.

  • ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड्स अप्रैल 2021 से अब आठ गुना बढ़कर 416,947 बेड हो गए हैं.
  • आईसीयू बेड मार्च 2020 में 2,168 से बढ़कर अब 124,598 हो गए हैं.
  • सरकार ने यह भी कहा कि परीक्षण क्षमता अप्रैल 2020 में 30,000 से एक दिन में 2 मिलियन से अधिक नमूनों तक पहुंच गई है

भविष्य की लहर की तैयारी

सरकार ने कहा कि लगभग सभी राज्य विशेष बाल चिकित्सा वार्ड स्थापित कर रहे हैं क्योंकि विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि असंक्रमित बच्चे वायरस में किसी भी नए ना म्यूटेशन्स की चपेट में आ सकते हैं.

इसके साथ ही, केंद्र कोविड की एक और लहर आने से पहले अपने 944 मिलियन वयस्कों में से अधिकांश को कम से कम एक डोज के साथ टीकाकरण करने का लक्ष्य बना रहा है. आंकड़ों के अनुसार, अब तक 52% से अधिक वयस्कों को आंशिक रूप से टीका लगाया जा चुका है.

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भारत के मौजूदा कोविड-19 हालात को लेकर एनडीटीवी ने क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर के पूर्व प्राचार्य और महामारी विशेषज्ञ डॉ जयप्रकाश मुलियाल से बात की,

“इस समय, हमारे पास बड़ी संख्या में ऐसे भारतीय हैं जो पहले इस वायरस से संक्रमित थे, जिससे वे लंबे समय तक इस रोग से इम्यून हो गए, एक टीकाकरण के रूप में काम करने की तरह,” वे बताते हैं और आगे कहते हैं,

जब हम संक्रमण संख्या के बारे में बात करते हैं, तो मृत्यु पर ध्यान देना चाहिए, कि हम मृत्यु दर को रोकने में सक्षम हैं या नहीं. बड़े पैमाने पर संक्रमण हल्के या मध्यम होते हैं जो पब्लिक हेल्थ का मुद्दा नहीं है, मुद्दा मृत्यु की रोकथाम है और इसलिए हमें अपने टीकाकरण कार्यक्रम को आगे बढ़ाने की जरूरत है और अब रणनीति मुख्य रूप से उसी पर केंद्रित होनी चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि कोविड-19 की लहरों को समझना मुश्किल है और कहा,

बीमारियों की लहरें अलग हैं”. किसी बीमारी के अधिक तेज़ी से फैलने के लिए, हमें अधिक संवेदनशील आबादी की जरूरत होती है. हमारे नए सीरो सर्वे और हर दिन का हेल्थ डाटा ये बताता है कि अतिसंवेदनशील लोगों का अनुपात दिन-प्रतिदिन कम हो रहा है. इसलिए, मुझे लगता है, आने वाले भविष्य में, भारत कुछ क्षेत्रों में उछाल का अनुभव करेगा, जैसा कि हम फिलहाल केरल में देख रहे हैं.

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