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राष्ट्रीय बालिका दिवस विशेष: मिलिए ऐसी वकील से, जो लड़कियों को उनके कानूनी अधिकार सिखाने में मदद कर रही हैं
भारत का पहले और एकमात्र पोर्टल पिंक लीगल लड़कियों और महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी देता है.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा तैयार की गई ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में, भारत 28 स्थान नीचे खिसक गया और 156 देशों में से 140 वें स्थान पर रहा, जो लैंगिक अंतर की रैंकिंग को दर्शाता है. महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों के ज्ञान के साथ सशक्त बनाकर इस लैंगिक असमानता को कम करने में योगदान देने में मदद करने के लिए, पिंक लीगल – भारत का पहला और एकमात्र पोर्टल है, जो लड़कियों और महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी देने के लिए स्थापित किया गया था.
भारत में आज (24 जनवरी) राष्ट्रीय बालिका दिवस को चिह्नित किया जाता है, ऐसे में हमने पिंक लीगल की संस्थापक और सीईओ मानसी चौधरी से पोर्टल के बारे में बात करते की. इस दौरान उन्होंने लड़कियों को शिक्षित करने के महत्व के बारे में और उनके कानूनी अधिकार के बारे में बताया.
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NDTV: आपने ऐसा कुछ कैसे सोचा, जो इस समय की जरूरत है?
मानसी चौधरी: पिंक लीगल वर्तमान में भारत में एकमात्र ऐसा प्लेटफॉर्म है, जो लड़कियों और महिलाओं को कानूनी जानकारी प्रदान करने में मदद करता है. एक कानून के छात्र के रूप में, मैंने महसूस किया कि भारत में कई कानून और अधिकार हैं जो वास्तव में महिलाओं के पक्ष में हैं. लेकिन समस्या यह है कि ज्यादातर महिलाएं इन कानूनों के बारे में नहीं जानती हैं क्योंकि ये बहुत ही जटिल और समझने में मुश्किल हैं. मैंने यह भी महसूस किया कि ऐसा कोई स्रोत नहीं है जो वास्तव में विश्वसनीय और व्यापक हो जहां महिलाएं वास्तव में अपने अधिकारों को समझ सकें. इस तरह पिंक लीगल का विचार पैदा हुआ. पिंक लीगल की शुरुआत एक कानून जागरूकता वेबसाइट के रूप में हुई थी, लेकिन आज यह महिलाओं को पूरे भारत में वकीलों से जोड़कर और उनके कानूनी सवालों के जवाब देकर कानूनी सेवाओं तक पहुंच प्रदान करती है.
NDTV: कुछ महत्वपूर्ण कानून बताएं, जो हर महिला को पता होने चाहिए?
मानसी चौधरी: तीन महत्वपूर्ण कानून हैं, जिन्हें हर महिला या लड़की को जानना चाहिए. नंबर 1 घरेलू हिंसा अधिनियम है, जो भारत में महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली सबसे आम समस्याओं में से एक है. घरेलू हिंसा अधिनियम आपको चार प्रकार की हिंसा से बचाता है – शारीरिक, भावनात्मक, वित्तीय और यौन और यह आपको परिवार के किसी भी सदस्य से बचाता है, यह आपका अपना या वैवाहिक परिवार का सदस्य हो सकता है जब तक आप उनके साथ एक घर रह रहे हैं.
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दूसरा महत्वपूर्ण कानून जिसके बारे में सभी महिलाओं को पता होना चाहिए वह है यौन उत्पीड़न. मूल रूप से, यौन उत्पीड़न तीन प्रकार का होता है – न केवल शारीरिक बल्कि मौखिक भी, जो बोले गए शब्दों के माध्यम से होता है और गैर-मौखिक जो इशारों या शरीर की भाषा के माध्यम से होता है. अधिकांश महिलाओं को इस बात की जानकारी नहीं है कि गैर-शारीरिक हिंसा भी यौन उत्पीड़न का कारण बनती है और यह दंडनीय है.
नंबर तीन कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न कानून है क्योंकि हम सभी ने me too movement में देखा है कि यह हमारे देश में सामान्य रूप से होने वाली घटना है.
और पीओएसएच अधिनियम – जो कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम अधिनियम है और महिलाओं के पक्ष में एक बहुत ही मजबूत कानून है. यह उन्हें कार्यस्थल में सभी यौन उत्पीड़न से बचाता है.
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NDTV: ऐसे कौन से उदाहरण या मामले आपने देखे हैं जो उन चीजों को उजागर करते हैं जिनमें महिलाएं मदद मांगती हैं?
मानसी चौधरी: हैरानी की बात है या नहीं, आश्चर्य की बात यह है कि पिंक लीगल में हमें सबसे अधिक प्रश्न घरेलू हिंसा से मिलते हैं- या तो अपने परिवार के सदस्यों से या पति के परिवार के सदस्यों से घरेलू हिंसा की शिकार होती हैं. पिंक लीगल में हमसे संपर्क करने वाली लगभग 90 प्रतिशत महिलाएं घरेलू हिंसा का सामना करती हैं और शेष का उनकी शादी या तलाक या बच्चों की कस्टडी से कुछ लेना-देना है. और लड़कियों के लिए, हमने देखा है कि शादी के लिए मजबूर किया जाना एक बहुत ही आम बात है. बहुत सी लड़कियां अपने अधिकारों के बारे में जानने के लिए हमसे संपर्क करती हैं जब उनके माता-पिता उन्हें किसी शादी के लिए मजबूर करते हैं.
NDTV: लड़कियों को कम उम्र से ही उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करना कितना महत्वपूर्ण है?
मानसी चौधरी: मुझे लगता है कि लड़कियों को उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करना बेहद जरूरी है. बचपन से ही अगर इसे पाठ्यक्रम के हिस्से में शामिल किया जा सकता है तो यह एक आदर्श स्थिति होगी, क्योंकि जागरूकता और शिक्षा सशक्तिकरण की दिशा में पहला कदम है. यदि लड़कियां बचपन से अपने अधिकारों के बारे में जानती हैं और उन्हें ये पता होगा कि उनके पास यौन उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार हैं, तो वह समझ पाएंगी कि उन्हें चुप रहने की जरूरत नहीं है और उनके पास कानूनी उपाय हैं जो उनकी मदद कर सकते हैं.
NDTV: COVID-19 ने वास्तव में हमारे लाइफस्टाइल को बदल कर रख दिया है, ऐसे में महिलाओं की मदद के लिए पहुंच बनाने के मामले में आपने पिंक लीगल में क्या बदलाव देखे?
मानसी चौधरी: COVID-19 के दौरान, हमने फिर से घरेलू हिंसा के मामलों में वृद्धि देखी है. बाल विवाह भी बढ़े हैं. माता-पिता द्वारा शादी के लिए मजबूर करने को लेकर हमारे पास अधिक लड़कियां आने लगी.
NDTV: भारत में लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाकर 21 कर दी. आपकी नजर में इस बदलाव के क्या मायने हैं?
मानसी चौधरी: यह एक अच्छा कदम है, क्योंकि लड़कों की शादी की उम्र भी 21 है, इसलिए यह सभी लिंगों के लिए समान उम्र लाता है. दूसरा, 21 वर्ष की उम्र में लड़कियों को शादी के लिए मजबूर करने के बजाय, हम उन्हें जीवन में बसने, शिक्षा प्राप्त करने, शायद नौकरी पाने के लिए तीन साल का अतिरिक्त समय दे रहे हैं. इसका दूसरा पहलू यह है कि हम राडार के तहत अधिक शादियां कर सकते हैं जो अवैध रूप से आयोजित की जा सकती हैं.
NDTV: अगर लड़की को वास्तव में मदद की ज़रूरत है, लेकिन वे घर से बाहर नहीं निकल सकती हैं, तो वे पिंक लीगल से कैसे संपर्क कर सकती हैं?
मानसी चौधरी: तो, पिंक लीगल पर सभी जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध है, इंटरनेट तक पहुंच रखने वाला कोई भी व्यक्ति इसका इस्तेमाल कर सकता है. फोन इस्तेमाल करने वाला कोई भी व्यक्ति कानूनी पूछताछ कर सकता है या यदि वे वकील या परामर्शदाता से जुड़ना चाहते हैं, तो वे इन सेवाओं तक मुफ्त में पहुंच सकते हैं. तीसरा, यदि वे कोई कार्रवाई करना चाहते हैं और मामला दर्ज करना चाहते हैं तो वे हमारे साथ जुड़ सकते हैं, हम अपने नेटवर्क में मौजूद वकीलों के साथ उनकी मिटिंग करवा सकते हैं. इसलिए, एक क्लिक पर आपके लिए सब कुछ उपलब्ध है.
About National Girl Child Day
भारत में हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है. यह दिन महिला और बाल विकास मंत्रालय (MWCD) की एक पहल है और इसे 2008 से मनाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य लड़कियों के सामने आने वाली असमानताओं को उजागर करना और एक बालिका के अधिकारों और उनकी शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य के महत्व के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना है.