कोरोनावायरस के बारे में

COVID-19 के बढ़ते मामलों के बावजूद ICU में कम भर्ती हो रही या सीरियस केस नहीं हैं: डॉ. देवी शेट्टी

कर्नाटक की COVID-19 टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ. देवी शेट्टी का कहना है कि भारत में COVID-19 की तीसरी लहर दूसरी लहर से ‘नाटकीय रूप से’ अलग है.

Published

on

कमजोर लोगों को अपनी सुरक्षा जारी रखनी होगी, COVID मानदंडों का पालन करना होगा: विशेषज्ञ

नई दिल्ली: देश के टॉप डॉक्टरों में से एक और कर्नाटक के कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ. देवी शेट्टी ने एनडीटीवी को बताया कि भारत का COVID पॉजिटिविटी रेट लगभग एक महीने में पहली बार 10 प्रतिशत से नीचे आ गया है. देश भर में कोविड मामलों में भारी वृद्धि होने के बावजूद, इंटेंसिव केयर यूनिट में भर्ती में कमी देखी जा रही है. जानिए भारत में COVID-19 की चल रही तीसरी लहर पर डॉ. देवी शेट्टी की राय है.

COVID-19 की तीसरी लहर के इस दौर में इलाज कैसे करना चाहिए?

हम काफी समय से COVID का अवलोकन कर रहे हैं और हमारा इन्स्टिट्यूशनल पॉजिटिविटी रेट 32-35 प्रतिशत रहा है, हमारे पास बेंगलुरु के अस्पताल में आईसीयू में कुछ सौ मरीज थे. अब हमारा पॉजिटिविटी रेट 50 प्रतिशत से अधिक हो रहा है, लेकिन हमारे पास आईसीयू में केवल 20-23 मरीज हैं. हम देखते हैं कि बड़ी संख्या में बिना किसी लक्षण के या हल्के लक्षणों वाले रोगियों का परीक्षण किया जा रहा है. हम जानते हैं कि COVID है और कुछ समय के लिए संख्या अधिक होगी, सवाल यह है कि – क्या यह जीवन के लिए खतरा है या यह कुछ दिनों के लिए बहुत बीमार करने वाला है. जो हमने दूसरी लहर और अभी COVID में देखा, दोनों ही नाटकीय रूप से अलग हैं. तो मेरा सुझाव है कि 2 साल हो गए हैं स्कूल बंद हैं, कोई काम नहीं है, शायद ही कोई घर से बाहर आ रहा है, आखिरी बात मैं चाहता हूं कि एक डॉक्टर के रूप में किसी की जान जोखिम में न डाली जाए. लेकिन हमारा अवलोकन यह है कि, देश भर में, आईसीयू बैड खाली हैं, बहुत सारे खाली बिस्तर हैं और मेडिकल डिपार्टमेंट मेरे साथ हैं. इतने सारे टेस्‍ट करने का कोई मतलब नहीं है इससे दहशत की स्थिति पैदा होती है. अगर किसी में लक्षण हैं, तो हमें डेंगू, मलेरिया, तपेदिक की तरह ही टेस्‍ट करना होगा.

इसे भी पढ़ें: कोविड-19 ओमिक्रोन वेरिएंट: जानें क्या कहते हैं WHO के एक्सपर्ट

इस पर इतनी परस्पर विरोधी सलाहें दी गई हैं, क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि आप ऑमिक्रॉन या नए वैरिएंट को हल्के में नहीं ले सकते, क्योंकि यह बहुत भ्रामक है. अब एक नया वैरिएंट उभर रहा है – BA.2 – तो क्या आप चिंतित नहीं हैं जब आप कहते हैं कि इसे बहुत गंभीरता से न लें? कमजोर समूहों के बारे में आप क्या कहेंगे, हो सकता है कि किसी बच्चे से यह किसी बुजुर्ग दादा-दादी को हो जाए?

इस समय हजारों ऑमिक्रॉन रोगियों को देखने के बाद हमारा अनुभव बताता है कि यह खतरनाक नहीं है. बुजुर्गों के लिए भी हमने देखा है कि यह उतना खतरनाक नहीं है, लेकिन कमजोर लोगों को अपनी सुरक्षा जारी रखनी होगी, COVID प्रोटोकॉल का पालन करना होगा. मैं यह कहने की कोशिश कर रहा हूं कि भारत में जो मौजूदा वायरस है, वह डेल्टा के कारण दूसरी लहर से अलग है. मुझे नहीं पता, छह महीने बाद वायरस की क्या स्थिति होगी. हम हर दिन समाचारों में देखते हैं कि कितने लोग कोविड पॉजिटिव हो रहे हैं, लेकिन हम यह

नहीं देखते कि कितने लोग आईसीयू में हैं. क्या ये मामले स्वास्थ्य व्यवस्था पर भारी पड़ रहे हैं? यदि नहीं, तो हमें घबराना नहीं चाहिए.

इसे भी पढ़ें: ओमिक्रोन को सामान्य सर्दी मानने की गलती कतई नहीं करनी चाहिए: डॉक्टर्स

जब बूस्टर डोज की बात आती है, तब भी इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है कि क्या इसकी जरूरत है या बूस्टर डोज प्रोग्राम को पूरी वयस्क आबादी के लिए बढ़ाया जाएगा. पश्चिमी देशों में वे सभी वयस्कों को बूस्टर खुराक दे रहे हैं, इस पर आपकी क्या राय है?

COVID-19 टीकाकरण एक वार्षिक कार्यक्रम बन जाएगा. क्योंकि फ्लू शॉट के साथ, आरएनए टीके आपको जीवन भर सुरक्षा नहीं देते हैं, इसलिए हमारे पास टीकाकरण प्रोटोकॉल है और हमें कम से कम कुछ और सालों के लिए बूस्टर लेने की जरूरत है. जब इस स्‍पेशल बूस्टर की बात आती है, तो सीमित डेटा होता है, इसलिए मैं इस पर टिप्पणी नहीं करूंगा कि इसकी आवश्यकता है या नहीं.

वर्तमान में, निजी अस्पतालों में, जब COVID-19 का मरीज जाता है तो उसे मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दी जाती है. एंटीबायोटिक्स और स्टेरॉयड से मरीजों को दी जा रही दवाओं की पूरी सीरीज चिंताजनक है. क्या COVID रोगियों को इनमें से कुछ लेना चाहिए?

ऐसे कई फार्मास्युटिकल हस्तक्षेप हैं जो COVID-19 के खिलाफ सुझाए गए हैं, लेकिन केवल एक ही हस्तक्षेप है जिसने बड़े पैमाने पर अंतर किया और वह है टीकाकरण. बड़ी संख्या में लोगों को पहली डोज मिली, लेकिन उन्होंने दूसरी डोज नहीं ली, उन्हें खुद को सुरक्षित रखने के लिए दोनों डोज लेने की जरूरत है. बाकी सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि डॉक्टर क्या लिख रहे हैं क्योंकि यह हर मामले में अलग-अलग हो सकता है. हालांकि, मैं जो कह सकता हूं वह यह है कि हमें अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का पालन करना चाहिए. इंग्लैंड ट्रीटमेंट को अच्छे तरीके से समझने वाला उम्‍दा देश है, क्योंकि यह एक नेशनल हेल्‍थ सर्विस है और अगर वे कुछ प्रकार के ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल मानते हैं, तो हम भी ऐसा कर सकते हैं. सामान्य तौर पर, हमारे नीति निर्माता सही सुझाव देने में बहुत जिम्मेदार रहे हैं.

इसे भी पढ़ें: COVID-19: सरकार ने दिए ओमि‍क्रोम वेरिएंट से जुड़े सवालों के जवाब

[corona_data_new]

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version