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नोएडा ट्विन-टॉवर विध्वंस: स्वास्थ्य और पर्यावरण पर ‘ग्राउंड जीरो’ साइट का इफेक्‍ट

32-मंजिला और 29-मंजिला स्‍ट्रक्‍चर को कुछ ही सेकंड में कंट्रोल विस्फोट से धराशाही कर दिया गया

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इमारत, सुपरटेक एमराल्ड और एटीएस विलेज में 7,000 से अधिक लोगों को अपने परिसर को खाली करने के लिए कहा गया था
Highlights
  • रेजिडेंट के साथ पिछले 5-6 महीनों से डेमोलिशन वार्ता चल रही थी
  • 7,000 से अधिक लोगों को अपने घर खाली करने के लिए कहा गया था
  • ट्विन टॉवर डेमोलिशन ने अनुमानित 80,000 टन मलबा उत्पन्न किया है

नई दिल्ली: भारत की सबसे ऊंचा स्‍ट्रक्‍चर, एपेक्स और सियेन टावर्स, जिन्हें बोलचाल की भाषा में नोएडा सुपरटेक ट्विन टावर्स कहा जाता है, को 28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ध्वस्त कर दिया गया था, इसमें पाया गया था कि यह स्‍ट्रक्‍चर मानदंडों के उल्लंघन करके बनाई गई हैं. 32 और 29 मंजिला इमारतों को कंट्रोल विस्फोट से कुछ ही सेकेंड में ग्राउंड जीरो पर लाया गया. विस्फोटकों को दोनों टावरों के अंदर रखा गया था और हर मंजिल पर वितरित किया गया था.

इमारत, सुपरटेक एमराल्ड और एटीएस विलेज में 7,000 से अधिक लोगों को अपने परिसर को खाली करने के लिए कहा गया था.

डेमोलिशन से अनुमानित 80,000 टन मलबा उत्पन्न हुआ है

ट्विन टॉवर डेमोलिशन: एक रेजिडेंट निवासी का नजरिया

पिछले पांच साल से डेमोलिशन एरिया के पास एक सोसायटी में रह रही अदिति मेहरा ने अपना अनुभव बताया. ट्विन टावरों के पास रहने वाले लोगों को क्षेत्र खाली करने के लिए कहा गया था, लेकिन एटीएस और सुपरटेक में रहने वालों को एक एडवाइजरी दी गई थी.

मैं पार्श्वनाथ सेक्टर 93ए, एटीएस के बगल की सोसायटी में रहती हूं. हमें पूरे दिन के लिए अपनी खिड़कियां बंद करने, अपनी कारों, एयर कंडीशनर आदि को ढकने की सलाह दी गई थी. मैं डेमोलिशन नहीं देख सकती थी, लेकिन मैं ब्‍लास्‍ट सुन पाई थी. हमने झटके महसूस किए. धूल भरी आंधी चली जो एक घंटे में थम गई

श्रीमती मेहरा निर्माण की वैधता, सुपरटेक और स्थानीय लोगों के बीच कंक्रीट स्‍ट्रक्‍चर के बारे में दशक भर की लड़ाई के बारे में एमराल्ड और एटीएस (टावरों के ठीक बगल में सोसाइटी) के निवासियों के बीच हुई चर्चा का हिस्सा थीं. टावर वन के सामने होने वाले हरे रंग के पैच को बदल दिया था। वादा किया गया ‘हरित क्षेत्र’ सियेन और एपेक्स दोनों टावरों का बेस्‍ड था.

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डेमोलिशन का असर

विनाश पर्यावरण पर प्रभाव के साथ आया है. 9 सेकेंड के इस विस्फोट का आसपास के इलाके में हवा की गुणवत्ता पर काफी असर पड़ा. यह देखते हुए कि नोएडा में वायु गुणवत्ता देश में सबसे खराब है, यह गंभीर है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, डेमोलिशन से अनुमानित 80,000 टन मलबा उत्पन्न हुआ और धूल के विशाल बादल हवा में उड़ने लगे.

डेमोलिशन से अनुमानित 80,000 टन मलबा उत्पन्न हुआ है

पर्यावरणविद् दीवान सिंह ने कहा कि इस तरह के विस्फोट से भौतिक रासायनिक प्रदूषकों की एक सीरीज पैदा होती है जो रेजिडेंअ और हेल्‍थ पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है. उन्होंने भूमि, पेड़ों और अन्य जीवित जीवों पर डेमोलिशन के असर पर प्रकाश डाला:

इस पतन का अन्य जीवों पर प्रभाव पड़ सकता है. पक्षी और नई हैच जो आस-पास के पार्कों में थे, उन्हें नुकसान हुआ होगा और कुछ की मृत्यु भी हो सकती है

सिंह ने कहा कि इस तरह के विस्फोटों से पेड़ों की सांस लेने की क्षमता और श्वसन क्रिया भी प्रभावित होती है, क्योंकि पत्ते पूरी तरह से धूल में भर जाएंगे. लेकिन आगामी बारिश राहत दे सकती है.

इस तरह के विनाश से उत्पन्न कचरे के बारे में बात करते हुए, सिंह ने कहा,

इस पूरी कवायद में एक महत्वपूर्ण कारक यह है कि लगभग 15 एकड़ भूमि को निर्माण और डे‍मोलिशन (सी एंड डी) कचरे के भंडारण के लिए तय किया गया है. रासायनिक स्राव के नीचे जाने का डर भूजल के लिए खतरनाक है, क्योंकि निर्माण कचरे में बहुत सारे रसायन होते हैं, और ये जमीन में घुसने की संभावना रखते हैं

सिंह का मत है कि डिजाइन भूमि को बेहतर, हरित उपयोग के लिए रखा जा सकता था.

भारत के पास अपने सीएंडडी कचरे को रिसाइकिल करने की केवल 1 प्रतिशत क्षमता है और यह एक खराब स्थिति है. उत्पन्न कचरे के रिसाइकल की निगरानी करना और इसकी देखभाल के लिए एक बुनियादी ढांचा समर्पित करना महत्वपूर्ण है

2020 में कोच्चि के जैन कोरल कोव के बाद ट्विन टॉवर डेमोलिशन दूसरा सबसे बड़ा डेमोलिशन है

दीवान सिंह ने इस डे‍मोलिशन के कारण हुए संसाधनों की बर्बादी की ओर भी इशारा किया:

लोहा, इस्पात, पानी, सीमेंट, रेत, धातु, ईंट आदि का इस्तेमाल जंगलों, नदियों, भूजल और अन्य प्राकृतिक विशेषताओं में होता है. आप देखेंगे कि किसी भी टीवी डिबेट या अदालती बहस में इस मुद्दे को नहीं उठाया जाता है. यह एक गंभीर मामला है और इसकी गणना सामने आनी चाहिए. हमें प्रकृति के बारे में सोचने की जरूरत है, हम पर बहुत श्रणी हैं

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पर्यावरणविद् आनंद बनर्जी ने डेमोलिशन में धूल को प्राथमिक कारक बताया. उन्होंने कहा कि जिन निवासियों को पल्मनेरी समस्या है, वे इससे काफी प्रभावित होंगे.

पर्यावरण के लिए, उनका मानना ​​है कि डेमोलिशन निस्संदेह नोएडा में हवा की गुणवत्ता को खराब करेगा और आने वाले महीनों में नाटकीय प्रभाव देखा जा सकता है. हालांकि, विनाश का परिणाम इस बात पर भी निर्भर करता है कि हजारों टन मलबा कितनी जल्दी और प्रभावी ढंग से बाहर निकाला जाता है.

डेमोलिशन की बात करते हुए, बनर्जी ने कहा,

जो हुआ वो होना ही था, इस तरह या उस तरह से. कोच्चि के जैन कोरल कोव के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा है. इस डेमोलिशन से खराब गुणवत्ता बढ़ेगी, लेकिन इसका प्रभाव उतना बड़ा नहीं है जितना कि अन्य मुद्दों ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है, जैसे कि सूक्ष्म जलना

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ट्विन टाउन डेमोलिशन के स्वास्थ्य कारक

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, डेमोलिशन के बाद निवासियों के स्वास्थ्य के संबंध में, डॉक्टरों ने सांस की समस्याओं और बीमारियों वाले लोगों को एहतियाती उपाय करने और कुछ दिनों के लिए प्रभावित हिस्‍से से दूरी बनाए रखने की सलाह दी है.

इसके अलावा, प्रदूषण के कारण आंखों, नाक और स्किन में खुजली, सांस लेने में दिक्‍कत, खांसी, छींक आदि के मामले बढ़ सकते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा, लोगों को लंग्‍स का इंफेक्‍शन, नेजल कंजेशन और दमा का खतरा हो सकता है,

एनडीटीवी से बात करते हुए, विभाग के प्रमुख और मणिपाल अस्पताल में पल्मोनोलॉजी के सलाहकार, डॉ. सत्यनारायण ने विस्तार से बताया कि इस तरह के डेमोलिशन के प्रमुख परिणामों में से एक इनडोर पॉल्‍यूशन है.

इन निर्माण सामग्री में रेडॉन कण (ईंटों आदि में) होते हैं, जो रेडियोधर्मी सब्स्टन्स होते हैं लेकिन हानिकारक नहीं होते हैं. इस तरह के डेमोलिशन से उनका प्रसार होता है. ध्यान देने वाली एक और बात यह है कि क्या जल निकायों का कोई कॉन्टेमिनेशन है. ऐसे में लोगों को जलजनित बीमारियों के प्रति जागरूक होने की जरूरत है

डॉ. सत्यनारायण ने आसपास रहने वाले निवासियों को न केवल COVID-अप्रोप्रिएट बिहेव के दृष्टिकोण से, बल्कि ट्विन टावरों की परिधि के चारों ओर घूमते हुए मास्क पहनने की सलाह दी. उन्होंने व्यावसायिक स्वास्थ्य सुरक्षा मानकों को लागू करने की आवश्यकता पर भी बल दिया.

आमतौर पर, लोग एयर प्यूरीफायर का इस्‍तेमाल अस्थायी उपाय के रूप में कर सकते हैं, भले ही कंट्रोल मेडिकल स्‍टडी ने इसके लाभ नहीं दिखाए हैं, लेकिन इसका कोई नुकसान नहीं है. इन्फ्लूएंजा का मौसम भी करीब आ रहा है, और बच्चे, बड़े वयस्क और गर्भवती महिलाएं इसकी चपेट में आ रही हैं. इसलिए, प्रभावित होने वाले लोगों को इन्फ्लूएंजा का टीका अवश्य लगवाना चाहिए

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अथॉरिटी के लिए चुनौतियां

नोएडा की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रितु माहेश्वरी ने एनडीटीवी को बताया कि स्थानीय लोगों और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्यों के साथ पिछले 5-6 महीनों से डेमोलिशन की बातचीत चल रही थी. ब्‍लास्‍ट से पहले, नोएडा के अधिकारियों ने किसी भी तरह के कॉन्टेमिनेशन से बचने के लिए पाइपलाइन, गैस कनेक्शन आदि की सुरक्षा की थी.

अधिकारियों ने 20 निगरानी स्टेशनों के माध्यम से डेमोलिशन से पहले और बाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) और पीएम10 के स्तर की बारीकी से निगरानी की. कथित तौर पर, डेमोलिशन के समय यह बढ़ गया था लेकिन स्वीकार्य सीमा के अंदर यह नॉर्मल हो गया.

श्रीमती माहेश्वरी ने कहा कि आगे जो चुनौतियां हैं, वे हैं साइट को साफ करना, वेस्‍ट प्रोसेसिंग, और बहुत कुछ. उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने डेमोलिशन के बाद की स्थिति का पता लगाने के लिए 3 महीने की समयसीमा तय की है, जिसमें वेस्‍ट प्रोसेसिंग, मलबे को पीछे धकेलना और स्‍ट्रक्‍चर ऑडिट करना शामिल है.

समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि सोमवार (29 अगस्त) तक, सफाई कार्य के लिए ध्वस्त क्षेत्र के आसपास 100 पानी के टैंकर, 22 एंटी-स्मॉग गन और छह स्वीपिंग मशीनों सहित लगभग 500 श्रमिकों और मशीनरी को लगाया गया है.

नोएडा के अधिकारियों ने विध्वंस स्थल के पास रेजिडेंशियल सोसायटियों का दौरा किया और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के साथ बातचीत की

अधिकारियों ने डेमोलिशन के बाद की वर्क प्रोग्रस का मूल्यांकन करने के लिए ट्विन टॉवर साइट के आसपास के क्षेत्रों का दौरा किया.

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