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ओमिक्रॉन खतरा: एम्स प्रमुख ने दी चेतावनी, कहा- हाल तरह के हालात के लिए तैयार रहें
एम्स निदेशक ने लोगों से सतर्क रहने और भारत में ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच अपने बचाव को नहीं छोड़ने का आग्रह किया.
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने भारत और दुनिया भर में ओमिक्रॉन के मामले बढ़ने पर चेतावनी जारी की है. रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए डॉ गुलेरिया ने कहा कि यूनाइटेड किंगडम में बढ़ते कोविड-19 मामलों को देखते हुए, भारत को भी किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए. उन्होंने आगे कहा –
हमें तैयारी करनी चाहिए और आशा करनी चाहिए कि चीजें यूनाइटेड किंगडम की तरह खराब न हों. हमें ओमिक्रॉन पर ज्यादा डाटा की जरूरत है. जब भी दुनिया के अन्य हिस्सों में मामलों में बढ़ोतरी होती है, तो हमें इसकी बारीकी से निगरानी करने और किसी भी घटना के लिए तैयार रहने की जरूरत है. सतर्क रहने से बेहतर है कि आप तैयार रहें.
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एनडीटीवी से बात करते हुए, डॉ गुलेरिया ने बताया कि ओमिक्रॉन चिंता का कारण क्यों है,
B.1.1.529 वेरिएंट कंसर्न (variant of concern) वाला है, जो अद्वितीय उत्परिवर्तन यानी युनीक म्यूटेशन से बना हुआ है. इसमें 50 से ज्यादा म्यूटेशन हैं और 30 स्पाइक प्रोटीन दृष्टि से हुए हैं, इसलिए ये कई कारणों से चिंता का कारण कहा जा रहा है. एक यह है कि स्पाइक प्रोटीन वह प्रोटीन है, जिसके खिलाफ एंटीबॉडी बनते हैं और जो हमें कोविड-19 के लिए पुन: संक्रमण और गंभीर संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करता है. इसलिए, अगर हमारे पास उस तरफ इतने सारे उत्परिवर्तन होंगे, तो यह चिंतित करने वाली बात होगी. यह सब टीकाकरण के बाद भी फिर से संक्रमण होने की संभावना को बढ़ाएगा.
ओमिक्रॉन दुनिया को कैसे प्रभावित कर रहा है, इस पर एक नजर
26 नवंबर को, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने नए कोविड-19 वैरिएंट B.1.1.529 का नाम दिया, जिसे दक्षिण अफ्रीका में ‘ओमाइक्रोन’ के रूप में पाया गया था. डब्ल्यूएचओ ने ओमिक्रॉन को ‘चिंता के प्रकार’ यानी ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ के रूप में वर्गीकृत किया.
डब्ल्यूएचओ के ताजा अपडेट के अनुसार, कोरोनवायरस का ओमिक्रॉन संस्करण 89 से अधिक देशों में फैल गया है और सामुदायिक प्रसारण वाले क्षेत्रों में मामलों की संख्या 1.5 से 3 दिनों में दोगुनी हो रही है. डब्ल्यूएचओ ने हाल के अपडेट में कहा है कि ओमिक्रॉन उच्च स्तर की जनसंख्या प्रतिरक्षा वाले देशों में तेजी से फैल रहा है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह वैरिएंट की प्रतिरक्षा से बचने की क्षमता के कारण है, इसकी अंतर्निहित बढ़ी हुई संप्रेषण क्षमता या दोनों के संयोजन के कारण है.
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