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कॉमिक्स के जरिए मेंसुरेशन के बारे में जानकारी

बच्चों को पीरियड्स के बारे में समझाने के लिए ट्रेडिशनल एजुकेशन काफी नहीं है. लेकिन हमारे पास अब एक कॉमिक बुक है, जो इस टॉपिक पर बड़े होते बच्चों को जानकारी देना का एक मनोरंजक तरीका है

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मेंस्ट्रुपीडिया (Menstrupedia) 88 पेज की एक बुक है, जो प्यूबर्टी यानी युवावस्था के दौरान होने वाले बदलावों, मेंसुरेशन की फिजियोलॉजी और इसके पीछे की बायोलॉजी के बारे में जानकारी देती है

नई दिल्ली: 12 साल की सहीद कहती है, “पीरियड्स (periods) के बारे में अपने माता-पिता से खुलकर बात करो. हम इस टॉपिक को इतना छुपाकर क्यों रखते हैं? यह बस एक बायोलॉजिकल प्रोसेस ही तो है. अगर पीरियड्स न होते, तो हम भी न होते.” 15 साल की चांदनी कहती है, “मेंसुरेशन शुरू होते ही हमारी बॉडी पूरी तरह से बदल जाती है. हमारे ब्रेस्ट (स्तन) डेवलप होने लगते हैं, बांहों के नीचे बाल आने लगते हैं, हमारी आवाज बदल जाती है. अब मैं समझ चुकी हूं कि यह सब बदलाव पीरियड्स की वजह से होते हैं”

सहीद और चांदनी, उन हजारों बच्चों में से हैं, जो जानते हैं कि मेंसुरेशन क्या होता है और इसका शर्म से कोई लेना-देना नहीं है, यह सब उन्हें मेंस्ट्रुपीडिया की वजह से पता चला है.

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मेंस्ट्रुपीडिया क्या है?

मेंस्ट्रुपीडिया मेंसुरेशन यानी मासिक धर्म के बारे में एक कॉमिक है. “स्कूल की टेक्स्ट बुक के माध्यम से बच्चों को पीरियड्स के बारे में पढ़ाना और इससे जुड़ी शर्म को दूर करना मुश्किल है. मेंस्ट्रुपीडिया के को-फाउंडर तुहिन पॉल (Tuhin Paul) कहते हैं, ”कॉमिक्स इस टॉपिक को ज्यादा आसान तरीके से समझाती है और कॉमिक्स की रिकॉल वैल्यू भी ज्यादा होती है.”

इस बात का अहसास होने पर तुहिन ने अपनी पत्नी अदिति गुप्ता के साथ मिलकर एक नॉनप्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन मेंस्ट्रुपीडिया की शुरुआत की. यह ऑर्गेनाइजेशन इसी नाम से कॉमिक पब्लिश कराती है.

इस प्लेटफॉर्म ने भारत भर के लगभग 25,500 स्कूलों में पीरियड्स पर बातचीत शुरू करने में खास योगदान दिया है. यह आइडिया कैसे अस्तित्व में आया, इस बारे में NDTV-डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया से बात करते हुए अदिति ने कहा,

जब मैं बड़ी हो रही थी, मुझे नहीं पता था कि मेंसुरेशन क्यों होता है, मेंसुरेशन शुरू होने के बाद आप क्या शारीरिक बदलाव महसूस करते हैं. इसके बारे में मुझे जानकारी नहीं दी गई थी! मैं यह मानते हुए बड़ी हुई कि मेंसुरेशन यानी मासिक धर्म अशुद्ध होता है और इसलिए मेरा शरीर भी अशुद्ध है. मेरी इस सोच में बदलाव तब आया जब तुहिन, उस वक्त वो मेरे कॉलेज के दोस्त थे जो अब मेरे पति हैं के साथ इस विषय पर एक बार मुझे बात करने का मौका मिला.

दोनों ने इस टॉपिक पर बहुत गहराई से बात की और पाया कि अदिति ऐसा सोचने वाली अकेली लड़की नहीं थी. लाखों ऐसी लड़कियां थीं जो इस बात से पूरी तरह से अनजान थीं कि मासिक धर्म कैसे होता है और मासिक धर्म के दौरान क्या होता है. यही कारण मेंस्ट्रुपीडिया की नींव रखने की वजह बना.

यह कॉमिक 88 पन्नों की एक किताब है, जो युवावस्था के दौरान होने वाले बदलावों, उसकी फिजियोलॉजी और बायोलॉजी, सही न्यूट्रिशन, वेलनेस टिप्स, पीरियड मैनेजमेंट, मेंटल हेल्थ मैनेजमेंट, पैड हाइजीन और घर पर पैड बनाने के टिप्स के बारे में बताती है.

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अदिति कहती हैं,

यह किताब उन कॉमन इन्फेक्शन के बारे में भी बताती है जो लड़कियां बड़े होने के दौरान एक्सपीरियंस कर सकती हैं.

मेंस्ट्रुपीडिया से जुड़ी मेंस्ट्रुअल एजुकेटर नाज फरहीन आश्रय घरों (शेल्टर होम) और सरकारी स्कूलों में बच्चों को पीरियड हेल्थ और हाइजीन के बारे में सिखाती हैं. पीरियड्स पर बात करना कॉमिक बुक ने काफी आसान बना दिया है, उसके बारे में बात करते हुए फरहीन ने कहा,

बचपन एक ऐसी चीज है जिसे हम कॉमिक्स के साथ जोड़ कर देखते हैं. इस तरीके से, पीरियड के बारे में बात करना बहुत आसान हो जाता है. फिर यह टॉपिक बड़ी आसानी से क्लासरूम में और बच्चों के ग्रुपों में ओपन डिस्कशन में बदल जाता है.

फरहीन कहती हैं,

इन टॉपिक पर हमारे घरों में चर्चा नहीं की जाती है. इसलिए, क्लासरूम सेटअप में, कॉमिक बुक हम टीचर्स के लिए, इस जानकारी को जन-जन तक पहुंचाने के लिए एक टूल के तौर पर काम करती है.

अदिति और तुहिन ने मेंसुरेशन पर किताबों से शुरुआत की थी, और अब इस कपल ने हजारों प्यूबर्टी गाइड क्रिएट की हैं. इनके इफेक्ट के बारे में बात करते हुए, तुहिन ने बताया कि दुनिया भर में 30 मिलियन से ज्यादा लोगों को इन बुक्स के माध्यम से पीरियड्स और प्यूबर्टी के बारे में एजुकेट किया गया है. ये किताबें 11 देशों में लोकली प्रिंट और पब्लिश भी होती हैं.

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