ताज़ातरीन ख़बरें
मच्छर की मूर्ति की कहानी, मूर्तिकार की जुबानी
विश्व मलेरिया दिवस 2024 पर विशेष : मलेरिया से सचेत करती है डॉ. बिबूती की बनाई मच्छर की मूर्ति
नई दिल्ली : गर्मी की एक रात, जब मेरे घर में सभी लोग आराम से सो रहे थे, मैं जाग रहा था. हालांकि गर्मी असहनीय नहीं थी, पर जो चीज मुझे सोने नहीं दे रही थी, वह थी लगातार मेरे कान के पास भिनभिनाता और काटता एक मच्छर.
इस मच्छर ने मुझे आधी रात के भोजन के रूप में चुना था. हालांकि, नाराज होने के बजाय, मैं मच्छर का शुक्रगुजार था. तकलीफ दे रहे इस मच्छर के काटने के कारण ही कबाड़ की चीजों से मच्छर की एक विशाल मूर्ति बनाने का विचार मेरे मन में आया था. यह प्रोजेक्ट वर्तमान में मोर्टिन के मिशन जीरो मलेरिया का एक हिस्सा है.
मैंने योजना बनाना शुरू कर दिया. सबसे पहले मैंने मच्छर का एक स्केच बनाया. यह ठीक वैसा ही था, जैसी मूर्ति बनाने की मैं सोच रहा था.
मच्छर की यह मूर्ति 16 फीट ऊंची है. इसमें 3 खंभे हैं, जिन पर 3 मच्छर सजे हुए हैं. इस कलाकृति में 3 मच्छर जन्म, जीवन और मृत्यु का प्रतीक हैं. इसका आधार सिट्रोनेला घास और मैरीगोल्ड से बनाया गया है, जो मच्छर भगाने के प्राकृतिक उपाय हैं.
तीनों खंभों के बीच में रखी गई एक एलईडी स्क्रीन ‘मिशन जीरो मलेरिया’ के तहत लोगों को इस बात का संदेश देगी कि किस तरह वे मलेरिया को पहचानें, एक्शन लें और इस बीमारी का खात्मा करें.
जब सड़क के किनारे कोई कलाकृति प्रदर्शित की जाती है, तो यह सभी का ध्यान आकर्षित करती है. एक कलाकार के रूप में हम यही चाहते हैं कि हमारी कलाकृति जनता को एक सार्थक संदेश दे सके.
कलाकृति पब्लिक हेल्थ को बढ़ावा देने का एक शक्तिशाली माध्यम का काम करती है. एक रचनात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम से यह लोगों को शिक्षित करती है और जागरूकता बढ़ाती है.
मच्छर की मूर्ति दोहरे मकसद को पूरा कर रही है. सबसे पहले तो यह मलेरिया के बारे में लोगों को एक संदेश देती है. इसके अलावा इसमें चीजों को दोबारा इस्तेमाल करने यानी रीसाइक्लिंग का संदेश भी छुपा हुआ है.
इस मूर्ति को बनाने के लिए कबाड़ का इस्तेमाल करके मैं लोगों को यह समझाना चाहता था कि वे अपनी रसोई के इस्तेमाल में न रहने वाले बर्तनों से लेकर कई तरह की बेकार चीजों का इस्तेमाल करके लोगों को जागरूक करने वाली कोई कलाकृति बना सकते हैं.
डॉ. बिबूती अधिकारी एक बहुमुखी कलाकार हैं. उन्होंने अपने काम को ग्लोबल स्तर पर प्रदर्शित किया है. उनकी इन इनोवेटिव कला के लिए उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया जा चुका है. इसके अलावा उन्होंने इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के साथ-साथ एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स से स्वर्ण पदक भी जीता है. उन्होंने गणतंत्र दिवस समारोह के लिए कई झांकियां तैयार की हैं. उनका मंत्र है,
कला वह है, जो लोगों का ध्यान आपके संदेश की ओर खींचे.
इसे भी पढ़ें: पर्यावरण को बेहतर बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं ये इको-वॉरियर्स!