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सुंदरबन के ग्रामीण हिस्सों में मुफ्त स्वास्थ्य सेवा के साथ ‘सभी के लिए स्वास्थ्य’ सुनिश्चित कर रहे हैं यह पद्म पुरस्कार विजेता
पद्म पुरस्कार से सम्मानित 70 वर्षीय डॉ. अरुणोदय मंडल दो दशकों से अधिक समय से ग्रामीण सुंदरबन में मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं
नई दिल्ली: ट्रेन, ऑटो-रिक्शा, नाव और आखिर में एक मोटरसाइकिल से 100 किलोमीटर से ज्यादा सफर के बाद की यात्रा तय करने के बाद, 70 वर्षीय डॉ. अरुणोदय मंडल दूरदराज के द्वीपों में सस्ती स्वास्थ्य सेवा लेकर अपने क्लिनिक ‘सुजन सुंदरबन’ पहुंचते हैं. डॉ मंडल को पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में अपने क्लिनिक तक पहुंचने में 5 घंटे से अधिक का समय लगता है. उनका मुख्य उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को सस्ती चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करना है. वह प्रत्येक सप्ताह के आखिर तक 160 से भी ज्यादा लोगों का इलाज करते हैं, जिनमें से 80 प्रतिशत गरीब हैं. वह दवाओं की व्यवस्था भी करते हैं और चिकित्सा शिविर और रक्तदान अभियान भी चलाते हैं.
टीम बनेगा स्वस्थ इंडिया के साथ एक साक्षात्कार में, पद्म श्री पुरस्कार विजेता डॉ अरुणोदय मंडल ने कहा,
हमारी प्रतिबद्धता इन मरीजों को किसी भी कीमत पर मुफ्त दवाएं उपलब्ध कराना है. शुरुआत में, मैंने ये दवाएं सामुदायिक विकास औषधीय इकाई (सीडीएमयू) से खरीदीं हैं, लेकिन हालिया दिनों में मैंने प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र से दवाएं खरीदनी शुरू कर दी हैं, जहां मुझे सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण उत्पाद मिलते हैं.
डॉ. मंडल ने कहा कि जो बात उन्हें सबसे ज्यादा परेशान करती है वह है ग्रामीण लोगों में उच्च रक्तचाप और मधुमेह के रोगियों की संख्या, जिसके परिणामस्वरूप अधिक गंभीर बीमारियां और स्ट्रोक होते हैं. डॉ. मंडल के मरीज उनकी तुलना भगवान से करते हैं.
डॉ मंडल के मरीजों में से एक बसंती माझी ने उनके द्वारा दी जाने वाली स्वास्थ्य सेवा की सराहना की और कहा,
अगर हमें कहीं भी आना जाना हो तो इसके लिए हमें 400 से 500 रुपये के बीच खर्च करने पड़ते हैं, और डॉक्टर की फीस अलग से. लेकिन यहां हमें सिर्फ 100 रुपए में न सिर्फ अच्छी सेवा मिलती है बल्कि दवाइयां भी मुफ्त मिलती हैं.
ग्रामीण सुंदरबन में जन्मे और पले-बढ़े, डॉ मंडल बस अपने समुदाय को कुछ वापस लौटाना चाहते हैं और सुजान सुंदरबन इसे पूरा करने का एक तरीका है. उन्होंने समझाया,
इस इलाके (सुंदरबन) के लोगों तक सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं अब भी नहीं पहुंच पाई हैं. जहां तक संभव हो पाएगा मैं इस बात के लिए प्रतिबद्ध हूं कि इन इलाकों के वंचित और गरीब लोगों के लिए वैज्ञानिक चिकित्सा उपचार दे पाऊं.
डॉ मंडल ने सुझाव दिया कि सुंदरबन में लोगों की भलाई के लिए इन द्वीपों पर आउटडोर क्लीनिकों की जरुरत है, ताकि उनकी सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज किया जा सके. उन्होंने कहा,
मुझे लगता है कि अगर सुंदरबन के हर द्वीप पर एक चैरिटेबल या मेडिकल यूनिट स्थापित की जा सके जिसमें एक डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, एक हेल्थिंग स्टाफ और दो या तीन सहायकों के साथ अच्छी दवाएं इन लोगों को मिल सकें और वे एक इलाके से दूसरे इलाके तक आसानी से आ जा सकें तो इस परिधी में रहने वाले लोगों को आसानी से इलाज मिल सकता है.
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डॉ मंडल पिछले दो दशकों से भी अधिक समय से सुंदरबन के लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं. डॉ मंडल ने साल 2000 में अपने पैतृक घर चाराल खली, जिसे अब चंदनपुर नाम से जाना जाता है, से नियमित अंतराल पर जागरूकता कार्यक्रमों और सभी प्रकार की दवाओं के साथ मुफ्त चिकित्सा उपचार देना शुरू किया था. बाद में उन्होंने यहां जमीन खरीदी और दो मंजिला इमारत का निर्माण किया. जहां से उन्होंने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट ‘सुजान’ की शुरुआत की.
डॉ मंडल नियमित रूप से रक्तदान शिविर, कैंसर का पता लगाने और रोकथाम शिविर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जांच शिविर, स्त्री रोग संबंधी जांच शिविर और नियमित टीकाकरण भी आयोजित करते हैं. सुंदरबन के लोगों के प्रति उनकी अथक सेवा और समर्पण के लिए, डॉ मंडल को भारत सरकार द्वारा साल 2020 में पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया था. उन्हें ‘सुंदरबन के सुजान’ के नाम से भी जाना जाता है.
President Kovind presents Padma Shri to Dr Arunoday Mondal for Medicine. He is known for his medical service to the downtrodden people of Sundarbans, West Bengal. pic.twitter.com/XyaMffHCIO
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 8, 2021
सुंदरबन भौगोलिक रूप से एक संवेदनशील स्थान है क्योंकि यह नियमित तौर पर प्राकृतिक आपदाओं का सामना करता रहता है और डेल्टा की यह संवेदनशीलता अक्सर इस इलाके के लिए मुश्किल खड़ी करती रहती है और लोगों की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच को प्रभावित करती है. उच्च ज्वार, तूफान और चक्रवात जब लोगों का जीवन और आजीविका छीन लेते हैं, तो स्वास्थ्य देखभाल की उनकी मांग पीछे छूट जाती है. ऐसे स्थिति में, डॉ मंडल की निस्वार्थ सेवा सुंदरबन के लोगों के लिए आशा की किरण बनकर सामने आती है.
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