ताज़ातरीन ख़बरें

World Neglected Tropical Diseases Day 2023: जानिए सबकुछ

30 जनवरी को वर्ल्‍ड नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज डे 2023 के रूप में चिह्नित किया गया है. आइए जानते हैं यह दिन महत्वपूर्ण क्यों है.

Published

on

नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज में तेजी से गिरावट हुई है.

नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज‘ (एनटीडी) 20 स्थितियों का एक विविध समूह है, जो मुख्य रूप से ट्रॉपिकल एरिया में फेमस हैं, जहां ये ज्यादातर गरीब समुदायों को प्रभावित करते हैं और महिलाओं और बच्चों को असमान रूप से प्रभावित करते हैं. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि हालांकि ये बीमारियां रोकी जा सकती हैं और इनका इलाज किया जा सकता है, लेकिन गरीबी और पारिस्थितिक तंत्र से जुड़े होने के चलते एक अरब से अधिक लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है.

इसे भी पढ़ें: अन्य देशों में कोविड-19 संक्रमणों में वृद्धि के बीच भारत अलर्ट मोड पर

एनटीडी के बारे में बताते हुए पूर्व निदेशक, राष्ट्रीय वेक्टर बोर्न डिजिज कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीबीडीसीपी) और एनटीडी पर डब्ल्यूएचओ रणनीतिक और तकनीकी सलाहकार के सदस्य डॉ. नीरज ढींगरा ने कहा,

नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज (एनटीडी) में वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा बताईं गई 20 कंडिशन शामिल हैं. ये रोग ज्यादातर ट्रॉपिकल एरिया में प्रचलित हैं, जहां की जलवायु गर्म और ह्यूमिड रहती है. कुछ एनटीडी में काला अजार (आमतौर पर “ब्लैक फीवर” और वैज्ञानिक रूप से “विसरल लीशमैनियासिस”के रूप में जाना जाता है), लिम्फेटिक फाइलेरियासिस (आमतौर पर “एलिफेंटियासिस” के रूप में जाना जाता है), डेंगू, चिकनगुनिया, स्केबीज, सांप के काटने आदि शामिल हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर लगभग 1.7 बिलियन लोगों को कम से कम एक NTDs के लिए रोकथाम और ट्रीटमेंट की जरूरत है. इसके अलावा, एनटीडी से अब तक वैश्विक स्तर पर 2 लाख मौतें हुई हैं, और हर साल लगभग 19 मिलियन दिव्‍यांगता-समायोजित लोग एनटीडी के कारण अपना जीवन खो देते हैं.

नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज डे का गठन

31 मई 2021 को, विश्व स्वास्थ्य सभा (WHA) ने 30 जनवरी को वर्ल्‍ड नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज  (NTD) डे के रूप में मान्यता दी. यह दुनिया भर की सबसे गरीब आबादी पर एनटीडी के विनाशकारी प्रभाव के बारे में बेहतर जागरूकता पैदा करने के लिए किया गया था. इतना ही नहीं, यह दिन इन बीमारियों के कंट्रोल, एलिमिनेशन और उन्मूलन के लिए समर्थन जुटाने का मौका भी है.

इसे भी पढ़ें: Omicron XBB 1.5 और BF.7: नए COVID वैरिएंट के बीच भारत की क्‍या स्थिति है?

एनटीडी के बारे में तथ्य और यह दुनिया को कैसे प्रभावित कर रहा है

वर्ल्‍ड नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज डे की आधिकारिक साइट के अनुसार, दुनिया भर में 5 में से 1 व्यक्ति NTDs से प्रभावित है. इसमें यह भी कहा गया है कि सभी NTD बोझ का 35% उप-सहारा अफ्रीका में है. इसके अलावा, इसमें यह भी कहा गया है कि अब तक 47 देशों ने एनटीडी को खत्‍म कर दिया है, जो दर्शाता है कि प्रगति संभव है. इसमें कहा गया है कि 2010 की तुलना में 2020 में 600 मिलियन कम लोगों को एनटीडी के खिलाफ दखल देने की आवश्यकता थी. हालांकि, दुनिया भर में एनटीडी के नियंत्रण, उन्मूलन के लिए संसाधनों की कमी को एक महत्वपूर्ण बाधा के रूप में देखा गया है. कोविड-19 के दौरान, यह चुनौती केवल तेज हो गई है क्योंकि एनटीडी कार्यक्रमों में गंभीर देरी और व्यवधान हुआ है.

NTDs को कंट्रोल करने में भारत की स्थिति

2020 के आंकड़ों के आधार पर, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) बताता है कि भारत में आधी आबादी NTDs में से एक से प्रभावित हुई है. इसमें कहा गया है कि एलिफेंटियासिस (लसीका फाइलेरिया) के लिए दुनिया में सबसे ज्यादा बोझ भारत पर है, जिसमें लगभग 457 मिलियन लोगों को निवारक कीमोथेरेपी की आवश्यकता होती है. डब्ल्यूएचओ यह भी कहता है कि भारत में आंतों के कीड़े (soil-transmitted helminths) का सबसे अधिक बोझ है, साथ ही लगभग 436 मिलियन बच्चों को निवारक चिकित्सा की जरूरत है.हालाकि, सब कुछ इतना बुरा भी नहीं है. डब्ल्यूएचओ यह भी कहता है कि दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र ने वर्ल्‍ड नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज को खत्म करने की अपनी खोज में उल्लेखनीय प्रगति की है. इसमें कहा गया है, भारत 2015 में यॉस की महामारी को समाप्त करने वाला पहला देश था। इसमें कहा गया है कि भारत ने 2005 में कुष्ठ रोग के लिए राष्ट्रीय उन्मूलन लक्ष्यों को भी पूरा किया था, और स्थानिक क्षेत्रों में काला-अजार और लसीका फाइलेरिया के उन्मूलन में प्रगति की थी.

इसे भी पढ़ें: बेंगलुरु की मेघना नारायणन डेलीवेज वकर्स को मेडिकल और लाइफ इंश्‍योरेंस दिलाने में मदद कर रही हैं

एनटीडी के लिए भारत के रुख के बारे में प्रकाश डालते हुए, डॉ. नीरज ढींगरा ने कहा,

भारत ने कुछ अन्य एनटीडी के ट्रीटमेंट और उन्मूलन में बहुत अच्छा काम किया है, उदाहरण के लिए, देश ने गिनी वर्म रोग को सफलतापूर्वक खत्‍म कर दिया है. हमने कुष्ठ और ट्रेकोमा के मामलों की संख्या में भी भारी कमी देखी है.

एनटीडी के उन्मूलन के लिए रोडमैप

WHO ने 2030 तक NTDs को खत्म करने के लिए व्यापक वैश्विक लक्ष्य निर्धारित किए हैं, जो सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप भी हैं:

  • 90% कम लोगों को एनटीडी के खिलाफ दखल देने की जरूरत होनी चाहिए
  • 75% कम एनटीडी-संबंधित डीएएलवाई (विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष)
  • 100 देशों को कम से कम 1 NTD को खत्म करने की जरूरत है
  • 2 एनटीडी का उन्मूलन – ड्रैकुनकुलियासिस और यॉस

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version