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लोकल सोसाइटी को प्‍लास्टिक पॉल्‍यूशन से बचा रहे हैं ये यंग पर्यावरणविद्

उन युवा पर्यावरण प्रेमियों के काम पर एक नज़र, जिन्होंने अपनी परियोजनाओं के जरिए प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने का जिम्‍मा उठाया है.

प्लास्टिक प्रदूषण सबसे गंभीर पर्यावरणीय मुद्दों में से एक बन गया है, लेकिन इन किशोरों ने अपने इलाकों में इस खतरे को कम करने का बीड़ा उठाया है.

मुंबई के 16 वर्षीय व्योम अग्रवाल ने एक ऐसी चीज़ को हल करने का ऑप्‍शन चुना, जिसका उनके जैसे स्‍टूडेट सबसे अधिक यूज करते हैं - ये है पेन! इसी के लिए, उन्होंने बेंगलुरु स्थित गैर-लाभकारी संगठन, 1 मिलियन फॉर 1 बिलियन (1M1B) के मार्गदर्शन के साथ प्रोजेक्ट मुओवी लॉन्च किया.

प्लास्टिक पेन फेंकने वाली संस्कृति का एक हिस्सा है जिसे लोग पिछले कई वर्षों से अनजाने में विकसित कर रहे हैं. प्रोजेक्ट मुओवी का निर्माण किशोरों (13-17 वर्ष की आयु के बीच) को एकजुट करके प्लास्टिक पेन की रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देने और संचालित करने के उद्देश्य से किया गया था.

इस परियोजना के तहत, व्योम और उसके दोस्त कॉलोनी में साप्ताहिक अभियान चलाते हैं, घर-घर जाकर प्लास्टिक पेन इकट्ठा करते हैं और फेंकने की संस्कृति पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता फैलाते हैं.

रिसाइकल करने वाले इसका सेग्रीगेशन और दाना प्रोसेस के लिए कई वेस्‍ट मैनेजमेंट कारखानों में भेजते हैं. फिर उन्हें अन्य प्लास्टिक वस्तुओं जैसे बोतलें, बोतल के ढक्कन, मैलेट, कोस्टर इत्यादि में बदल दिया जाता है.

अब तक, प्रोजेक्ट मुओवी 2,700 से अधिक घरों तक पहुंच कर पेन इकट्ठा कर चुका है, उन्हें प्लास्टिक पेन प्रदूषण के बारे में जागरूक कर चुका है और 3,500 से अधिक पेन को रिसाइकल कर चुका है. व्योम के साथ लगभग 50 युवा स्वयंसेवक इस पर काम कर रहे हैं.

बेंगलुरु की 15 वर्षीय ईशा नाहर एक और किशोर हैं, जिन्होंने जागरूकता बढ़ाकर प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने का फैसला किया है. माल्या अदिति इंटरनेशनल स्कूल में 10वीं कक्षा की छात्रा, ईशा अपने प्रोजेक्ट 'स्वच्छ संसार' के माध्यम से लोगों से हर दिन प्लास्टिक को 'नहीं' कहकर अपने घरों में प्लास्टिक प्रोडक्‍ट को कम करने और विकल्पों का उपयोग करने का आग्रह करती है.

वह लोगों को उन विकल्पों के बारे में शिक्षित करती हैं जिनका उपयोग डेली यूज के लिए प्लास्टिक के बजाय किया जा सकता है, जैसे कि स्टील के बर्तन, किराने का सामान खरीदते समय कपड़े के थैले, बांस के टूथब्रश, कंघी, नारियल के छिलके से बने कटलरी मोमबत्ती के गोले आदि और भी बहुत कुछ.

ईशा वंचित बच्चों के बीच रिसाइकिल कपड़े, बैग, टूथब्रश, पेन, पेंसिल भी बांटती हैं. 'स्वच्छ संसार' प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 700 लोगों तक पहुंचा है और उन्हें प्रभावित किया है.

इस युवा पर्यावरण प्रेमी ने विभिन्न आयु वर्ग के लोगों तक पहुंचने के लिए दो वंचित स्कूलों और तीन अपार्टमेंट कैंपस के साथ-साथ दो ऑफिस में युवा छात्रों के बीच जागरूकता सेशन भी आयोजित किए हैं.

Highlights: Banega Swasth India Launches Season 10

Reckitt’s Commitment To A Better Future

India’s Unsung Heroes

Women’s Health

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