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बनेगा स्वस्थ इंडिया सीजन 9 फिनाले: रेकिट के रवि भटनागर ने कहा, “भारत को एक स्वास्थ्य और स्वच्छता काउंसिल बनाने की दिशा में काम करने की जरूरत है”
डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया सीजन 9 के फिनाले में, एसओए, रेकिट के निदेशक, विदेश मामले और भागीदारी, रवि भटनागर ने अभियान की अब तक की उपलब्धियों के बारे में बात की और आगे के अभियान के लिए लक्ष्य निर्धारित किए
नई दिल्ली: ‘एनडीटीवी-डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया’ अभियान के 15 अगस्त यानि कि स्वतंत्रता दिवस के मौके पर नौ साल पूरे हो गए हैं. इस अवसर पर अभियान के एंबेसडर अमिताभ बच्चन, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया और पद्म पुरस्कार विजेता प्रतिष्ठित डॉक्टरों ने एक मंच साझा किया. 2 घंटे के स्पेशल शो में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के हीरोज को ट्रिब्यूट दिया गया, जिन्होंने निस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा के लिए खुद को समर्पित किया है.
इस पैनल में रेकिट, एसओए, विदेश मामलों और भागीदारी के निदेशक रवि भटनागर भी शामिल हुए, जिन्होंने अभियान की अब तक की उपलब्धियों के बारे में बात की. उन्होंने कहा,
अभियान के साथ यह मेरा 9वां सीजन है. हमने उस बस से शुरुआत की, जो भारत के लगभग 30 शहरों तक जाती थी, जिसमें केवल 75 गांव शामिल थे. वहां से लेकर भारत के सभी 100 प्रतिशत जिलों को कवर करने की यात्रा तक, हमने बहुत कुछ हासिल किया है. आज, हम अलग-अलग क्षेत्रों में हाइजीन प्ले पार्क मुहैया करा रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पब्लिक सेटिंग में हर एक स्कूली बच्चा स्वच्छता पाठ्यक्रम तक पहुंच सके, जो बच्चे को स्कूल में स्वच्छता, व्यक्तिगत स्वच्छता और पड़ोस में स्वच्छता के बारे में शिक्षित कर सके. हम सिद्दी जनजातियों जैसी आदिवासी और स्थानीय आबादी तक पहुंचने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.
भटनागर ने यह भी कहा कि अभियान किसी को भी पीछे न छोड़ते हुए संपूर्ण स्वास्थ्य का या ‘हेल्थ फॉर ऑल’ के लक्ष्य को प्राप्त करने की सोच में विश्वास रखता है. उन्होंने कहा,
हमारा मानना है कि मूल जनजातियों के साथ बहुत काम किया जाना है, खासकर नवजात देखभाल के मामले में. इस दौरान पहले 1000 दिनों में मां और बच्चे दोनों की देखभाल सुनिश्चित करना जरूरी है. राजस्थान में, हम कालबेलिया जैसी जनजातियों के साथ काम कर रहे हैं, जो खानाबदोश हैं और वहां हम यह आश्वस्त करने की कोशिश कर रहे हैं कि स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाओं तक उनकी पहुंच हों.
अभियान की नई पहल और इसके लक्ष्यों जलवायु परिवर्तन को कैसे शामिल किया जा रहा है, इसके बारे में बात करते हुए, भटनागर ने कहा,
एक नई चीज जो हमने शुरू की है, वह है बच्चों को जलवायु परिवर्तन के बारे में जानकारी देना. एनडीटीवी के साथ मिलकर हमने हाल ही में उत्तराखंड में पहला क्लाइमेट रेजिलिएंट स्कूल लॉन्च किया है. हम हाल ही में समाचारों में देख रहे हैं कि हिमाचल के कुछ हिस्सों और अन्य पहाड़ी इलाकों में लगातार बारिश के कारण क्या हो रहा है. इसलिए, हम क्लाइमेट रेजिलिएंट स्कूल बना रहे हैं और हम जल्द ही सभी चार धामों – बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री को कवर करेंगे. सरकार इस काम में पूरी शिद्दत से लगी हुई है. उत्तराखंड सरकार ने वादा किया है कि एक बार यह मॉडल स्थापित हो जाने के बाद वे पूरे भारत में जलवायु अनुकूल स्कूल स्थापित करने के लिए हमारे साथ काम करेंगे. इसलिए, हमारी जिम्मेदारी सिर्फ स्वच्छता पर काम करना नहीं है, बल्कि ‘एक स्वास्थ्य (One Health)’ की अवधारणा पर उससे भी आगे काम करना है.
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भटनागर ने बनेगा स्वस्थ भारत अभियान के सीजन 1 से 9 तक के सफर और उपलब्धियों के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा,
बनेगा स्वस्थ इंडिया के पहले सीजन में हमने स्वच्छता सूचकांक (हाइजीन इंडेक्स) बनाने की बात की थी, हमने सिर्फ एक शहर से शुरुआत की, 1 से हम 2 शहरों में गए, 2 से हम 5 और 5 से 25 शहरों में गए और फिर हमें इस हाइजीन इंडेक्स को पब्लिक यानि कि सार्वजनिक करने का मौका मिला. आज उस इंडेक्स का इस्तेमाल पूरे भारत में स्वच्छ सर्वेक्षण के रूप में रैंकिंग के लिए किया जा रहा है.
आगामी सीजन के लिए विशलिस्ट पर रोशनी डालते हुए भटनागर ने कहा,
अब हमारा लक्ष्य भारत में एक हेल्थकेयर काउंसिल स्थापित करने का है, जिसकी फिलहाल कमी है. मुझे लगता है यह भारत के लिए इस पर काम करने का एक बड़ा अवसर है, हमारी आबादी 1.4 बिलियन है, हमें अपने देश में कई सफल डॉक्टरों के एक समूह के साथ एक थिंक टैंक बनाना चाहिए, जो ‘वन हेल्थ और वन प्लेनेट” के लक्ष्य को प्राप्त करने में हमारी मदद कर सके.
हेल्थ काउंसिल के निर्माण के महत्व को बताते हुए भटनागर ने कहा,
कुछ साल पहले, मैंने लंदन में रेकिट ग्लोबल इंस्टीट्यूट की स्थापना की, उस समय हमारे पास एम्स से डॉ. रणदीप गुलेरिया थे, हमारे पास हर महाद्वीप से डॉक्टर भी थे. हमने विश्व स्तर पर एक काउंसिल की स्थापना की और हमने हाल ही में लंदन के बड़े विश्वविद्यालयों में से एक के साथ एक अध्ययन प्रकाशित किया है, जो डायरिया पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के बारे में बताता है. अध्ययन के कारण, हमें एहसास हुआ कि डायरिया कोई ऐसी बीमारी नहीं है जो अधिक बाढ़ या सूखे के कारण होती है. मैं भारत में बैठकर देश के लिए एक हेल्थ काउंसिल बनाना चाहता हूं. मुद्दा यह है कि, अगर हमारे पास देश में इस तरह की अधिक काउंसिल्स होंगी, तो हेल्थकेयर सर्विस को आखिरी छोर तक पहुंचाने की संभावना भी ज्यादा होगी, समस्याओं के समाधान की संभावना अधिक होगी, जिससे ‘हेल्थ फॉर ऑल’ का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकेगा.
भटनागर ने इस बात का भी जिक्र किया कि भारत के लिए रिसर्च में निवेश करना महत्वपूर्ण है. बनेगा स्वस्थ इंडिया अभियान के आगामी सीजन के लिए अपनी विशलिस्ट शेयर करते हुए, उन्होंने कहा,
हमें एथनोग्राफी रिसर्च (अक्सर सामाजिक और व्यवहार विज्ञान में उपयोग की जाने वाले डाटा इकट्ठा करने का एक क्वालिटेटिव मेथड) पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है. जैसे, यदि हम अपने रिसर्चर्स को उन सेटिंग्स में रहने के लिए नहीं भेजते हैं, तो हम कुछ भी प्राप्त नहीं कर पाएंगे. हमें सभी क्षेत्रों की गतिशीलता और लॉजिस्टिक्स को समझने की जरूरत है और फिर समाधान के साथ आना होगा और मुझे लगता है कि, भारत में एक हेल्थ काउंसिल के बनने से यह समस्या काफी हद तक हल हो जाएगी.
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