ताज़ातरीन ख़बरें

कंजंक्टिवाइटिस पर दिल्ली पुलिस की ‘काला चश्मा’ एडवाइजरी

काले गॉगल्स और लोकप्रिय गाने ‘काला चश्मा’ का इस्तेमाल करते हुए सोशल मीडिया पोस्ट पर दिल्ली पुलिस ने कंजंक्टिवाइटिस मरीजों को गहरे रंग के चश्मे (Dark glasses) पहनने के लिए प्रेरित किया

Published

on

दिल्ली समेत देश में कई जगह कंजंक्टिवाइटिस या 'पिंक आई' के मामले बढ़ रहे हैं

नई दिल्ली: भारी बारिश के कारण कुछ क्षेत्रों में बाढ़ आ गई है, जिससे नई दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र और पूर्वोत्तर राज्यों सहित देश के कई हिस्सों में कंजंक्टिवाइटिस या ‘गुलाबी आंख’ के मामले बढ़ रहे हैं.एक तरफ गुजरात के वड़ोदरा में रोजाना 500 केस दर्ज किए जा रहे हैं तो दूसरी तरफ पुणे में पांच दिनों के भीतर 2300 केस सामने आए. ऐसे मामले बढ़ने के दौरान दिल्ली पुलिस ने बॉलीवुड के अंदाज में एक एडवाइजरी साझा की है. एक सोशल मीडिया पोस्ट में दिल्ली पुलिस ने काले चश्मे के प्रयोग वाला एक वीडियो ग्राफिक जारी करते हुए लोकप्रिय गाने ‘काला चश्मा’ को बैकग्राउंड में जोड़ा है.

इस ग्राफिक पर लिखा है, “जो भी कंजंक्टिवाइटिस के शिकार हैं, उनके लिए ‘तेनु काला चश्मा जंचदा ऐ, जंचदा ऐ तेरे मुखड़े पे’. कृपया आंखों पर चश्मा लगाएं और जल्द स्वस्थ हों.”

कंजंक्टिवाइटिस आंख की बाहरी सतह पर एक सूजन होती है. मॉनसून के दौरान जल इकाइयों में बाढ़ जैसे हालात और आर्द्रता के कारण भी यह संक्रमण तेजी से फैलता है.

बेशक एडवाइजरी ऐसे समय में जरूरी है लेकिन यह ध्यान देने वाली बात है कि काला चश्मा या गॉगल लगाने से संक्रमण फैलने से नहीं रुकता है. विशेषज्ञों के अनुसार, कंजंक्टिवाइटिस के मरीजों को तेज रोशनी या धूल आदि से आंखों को बचाने के लिए काले चश्मे पहनने चाहिए.

इसे भी पढ़ें: एक्सपर्ट टॉक : मानसून के दौरान खुद को संक्रमण से कैसे बचाएं? 

अस्पतालों के एक नेटवर्क नारायण हेल्थ ने एक ब्लॉग में स्पष्ट किया कि

संक्रमण के फैलने से बचने के लिए काले चश्मे का प्रयोग जरूरी नहीं है. हां, गंभीर कंजंक्टिवाइटिस हो जाने पर अगर किसी को तेज रोशनी से बचाव करना हो तो थोड़े वक्त के लिए काले चश्मे का उपयोग किया जा सकता है.

शार्प साई आई हॉस्पिटल्स के सह संस्थापक और निदेशक डॉ कमल बी कपूर ने भी ऐरोसॉल संक्रमण से बचाव के लिए काले चश्मे के प्रयोग का सुझाव दिया.

कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण:

सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण इस तरह हैं:

  • आंखों का लाल होना
  • कंजंक्टिवा (आंख के सफेद भाग और पलक के भीतर की झीनी सी सतह) और/या पलकों पर सूजन
  • खुजली, जलन जैसी सेंसेशन
  • आंसू ज्यादा निकलना
  • खास तौर से सुबह के समय पलकों पर पपड़ी

कंजंक्टिवाइटिस के इलाज:

असल में कंजंक्टिवाइटिस अपने आप ठीक हो जाने वाली बीमारियों में से है. विशेषज्ञ कहते हैं कि इसके इलाज के लिए अपने मन से फार्मा दुकान के काउंटर पर बैठे किसी कर्मचारी के बताए अनुसार दवाएं न लें. और हां, सबसे पहले तो यही कि आंखों को छुएं नहीं.

नेत्र विशेषज्ञ डॉ नवीन सखूजा ने समझाया,

अगर आपकी आंखें लाल हैं, ज्यादा आंसू निकल रहे हैं या दर्द है तो इन्हें चिकना रखने की जरूरत होगी. एंटिबायोटिक्स का इस्तेमाल अन्य किसी बैक्टीरियल संक्रमण से बचाव के लिहाज से दिए जाते हैं, जिनकी आशंका वायरल कंजंक्टिवाइटिस के समय रहती है. इस संक्रमण से ठीक होने में 7 से 10 दिन लग सकते हैं. एक आंख से दूसरी में संक्रमण होने का खतरा बहुत अधिक होता है. जब तक आपको पूरी मेडिकल जांच के बाद कहा नहीं जाए तब तक स्टेरॉइड का इस्तेमाल न करें.

कंजंक्टिवाइटिस फैलने से बचाव कैसे करें :

डॉ सखूजा का मानना है कि इस साल कंजंक्टिवाइटिस काफी संक्रामक है. अगर परिवार में किसी एक को यह वायरस लगता है तो दूसरे सदस्यों के संक्रमित होने के आसार बढ़ जाते हैं.

संक्रमण एक से दूसरे में फैलने को समझाते हुए डॉ सखूजा ने समझाया कि जिसे कंजंक्टिवाइटिस है उसको देखने से यह नहीं फैलता है. उन्होंने बताया,

कंजंक्टिवाइटिस छूने से फैलता है. उदाहरण के लिए आपको संक्रमण है और आप घर की मेज छूते हैं. कोई और भी उसी मेज को छूता है और फिर अपनी आंखों को भी. बस तुरंत संक्रमण उस तक पहुंच जाता है.

डॉ सखूजा ने कहा कि इस वायरस के फैलने में साफ सफाई न होना एक कमजोर कड़ी है. उन्होंने आंख को प्रभावित करने वाले इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए सलाह दी कि आप कोई भी चीज छुएं तो थोड़ी थोड़ी देर में अपने हाथ जरूर धोते रहें.

कांटेक्ट लेंस पहनने वालों के लिए टिप्स :

गुरुग्राम स्थित फोर्टिस में नेत्र रोग विभाग की प्रमुख और निदेशक डॉ अनिता सेठी मानती हैं कि इस मामले में कांटेक्ट लेंस लगाने वाले लोगों को सबसे ज्यादा जोखिम होता है. उन्होंने बताया,

लेंस और संक्रमण के चलते आंख की पुतली की रक्षा करने वाले हिस्से से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं और दृष्टि जाने तक का खतरा हो सकता है. अगर आपको थोड़ी सी भी खुजली आदि है तो कांटेक्ट लेंस न पहनें. साथ ही, तैराकों को भी सतर्क रहना चाहिए, चूंकि संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं इसलिए तैराकी को टाला भी जा सकता है.

इसे भी पढ़ें: मिशन जीरो मलेरिया लॉन्च करने के लिए मॉर्टिन और ‘मलेरिया नो मोर’ एक साथ आए

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version