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2023 की हाईलाइट : ‘हेल्थ फॉर ऑल’ के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में भारत के प्रयासों पर एक नजर

केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ और किफायती बनाने के लिए 2023 में कई कार्यक्रम शुरू किए. 2023 में ‘हेल्थ फॉर ऑल’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई कुछ प्रमुख पहलों के बारे में जानिए

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अब तक इस दिशा में हुई प्रगति के बारे में बात करते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मंडाविया ने कहा कि सरकार देश के दूरदराज के इलाकों में भी स्वास्थ्य सेवाओं पहुंचाने के लिए प्रयास कर रही है

नई दिल्ली: ‘हेल्थ फॉर ऑल’ का मकसद स्वास्थ्य सेवाओं को सभी के लिए सुलभ और किफायती बनाना है, इसका मतलब है कि स्वास्थ्य सेवाओं को हर किसी की पहुंच में लाना है. सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल (SDG 3) को हासिल करने के लिए भी यह जरूरी है. भारत का हेल्थ केयर पर खर्च GDP का लगभग 4 प्रतिशत रहा है और पिछले 20 सालों में यह गिरकर लगभग 2 प्रतिशत रह गया है. 2023 में ‘हेल्थ फॉर ऑल’ के अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार द्वारा की गई कुछ प्रमुख पहलों के बारे में यहां बताया गया है.

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आयुष्मान भव अभियान: केंद्र ने सितंबर में एक स्वास्थ्य पहल ‘आयुष्मान भव:’ की शुरुआत की, जिसका मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं का विस्तार करना और यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी इन सेवाओं का लाभ उठाने से छूट न जाए. इस अभियान का लक्ष्य अपने तीन घटकों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं को देश के हर कोने तक पहुंचाना है.

आयुष्मान आपके द्वार 3.0: इसके अंतर्गत सरकार प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) के तहत नामांकित पात्र लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड प्रदान करती है और यह सुनिश्चित करती है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच हो.

आयुष्मान मेला: स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (HWC) तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) पर लगने वाले आयुष्मान मेले ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों को ABHA (Ayushman Bharat Health Account) आईडी (Health ID) बनाने और आयुष्मान भारत कार्ड जारी करने की सुविधा प्रदान करते हैं. उन्हें मिलने वाली दूसरी सेवाओं में जल्दी डायग्नोज, व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं, स्पेशलिस्ट के साथ टेली कंसल्टेशन और मुफ्त दवाएं शामिल हैं. सितंबर से अब तक इस अभियान के तहत लगभग 9.9 लाख स्वास्थ्य मेले आयोजित किए जा चुके हैं. मुफ्त दवाएं पाने वाले लोगों की संख्या 468.81 लाख है, जबकि 372.61 लाख लोगों को मुफ्त निदान सेवाएं (diagnostics services) हासिल हुईं हैं.

आयुष्मान सभा: आयुष्मान सभा एक समुदाय-स्तरीय सभा है, जिसका नेतृत्व ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम स्वास्थ्य और स्वच्छता समिति (Village Health and Sanitation Committee – VHSNC) या शहरी वार्डों में वार्ड समिति/नगरपालिका सलाहकार समिति (Municipal Advisory Committee – MAS) करती है. ये सभाएं आयुष्मान कार्ड वितरित करके, ABHA ID बनाकर और नॉन-कम्युकेबल डिजीज, ट्यूबरक्लोसिस, सिकल सेल डिजीज जैसी बीमारियों और ब्लड और ऑर्गन डोनेशन ड्राइव जैसी कई स्वास्थ्य देखभाल योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाकर व्यापक स्वास्थ्य कवरेज सुनिश्चित करती हैं.

आयुष्मान भव अभियान के बारे में बात करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने कहा,

यह अभियान ‘स्वस्थ गांव’ और ‘स्वस्थ ग्राम पंचायत’ बनाने और देश में यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (UHC) की नींव रखने के दृष्टिकोण से जुड़ा हुआ है.

राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन: जुलाई 2023 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक इस बीमारी को खत्म करने के लक्ष्य के साथ राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन (NSCEM) लॉन्च किया. यह भारत के जनजातीय समुदायों में प्रचलित बीमारी को संबोधित करने वाली अपनी तरह की पहली पहल है. इस मिशन के तहत, लाभार्थियों को विवाह से पहले और गर्भधारण से पहले परामर्श देने के मकसद से सिकल सेल जेनेटिक स्टेटस कार्ड भी दिए जाते हैं.

इस मिशन के बारे में बात करते हुए डॉ. मंडाविया ने कहा,

सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन के तहत, सरकार ने अगले तीन सालों में 12 राज्यों के 278 जिलों में रहने वाली सात करोड़ आदिवासी आबादी की जांच करने का निर्णय लिया है.

भारत का टीकाकरण कार्यक्रम: इस साल, सरकार ने एक प्रमुख टीकाकरण अभियान चलाया, जिसे ‘सघन मिशन इंद्रधनुष 5.0’ (IMI 5.0) कहा जाता है, जिसमें देश भर में छूटे हुए बच्चों और गर्भवती महिलाओं के बीच खसरा और रूबेला टीकाकरण कवरेज पर विशेष ध्यान दिया गया है. सरकार का लक्ष्य 2023 तक इन दोनों संक्रमणों को खत्म करना था. मिशन अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में तीन राउंड में संपन्न हुआ, जिसमें 34 लाख से ज्यादा बच्चों और 6 लाख गर्भवती महिलाओं को कवर किया गया. यह पहला साल है जब ये अभियान देश के सभी जिलों में चलाया गया और इसमें पांच साल तक के बच्चों को भी शामिल किया गया. पिछले अभियानों में केवल दो साल तक के बच्चे ही शामिल किए गए थे.

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मलेरिया वैक्सीन: स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में इस साल की सबसे बड़ी कामयाबी में से एक सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII), पुणे और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित मलेरिया वैक्सीन, R21/Matrix-M को सेफ्टी और क्वालिटी जैसे स्टैंडर्ड पर खरा उतरने के बाद WHO की मंजूरी मिलना था.

पिछले एक दशक में विकास और भारत की प्रगति के बारे में बात करते हुए, राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NVBDCP) के पूर्व निदेशक और उपेक्षित उष्णकटिबंधीय (Tropical) रोगों (NTD) पर WHO रणनीतिक और तकनीकी सलाहकार समूह के सदस्य, डॉ. नीरज ढींगरा ने कहा,

भारत ने पिछले एक दशक में मलेरिया को कम करने में जबरदस्त कामयाबी हासिल की है, जब से WHO ने 2015 में इस बीमारी को जड़ से खत्म करने का आह्वान किया था. हमने एक व्यापक परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से 2016 में मलेरिया उन्मूलन के लिए एक राष्ट्रीय ढांचा (NFME) विकसित किया है. वर्तमान में हो रहे डेवलपमेंट से मलेरिया को खत्म करने और 2030 में शून्य मलेरिया के लक्ष्य को हासिल करने में सरकार के मौजूदा प्रयासों में तेजी आएगी.

राष्ट्रीय TB (Tuberculosis) उन्मूलन कार्यक्रम प्रगति: 2025 तक TB को खत्म करने के लक्ष्य के साथ, इस बीमारी को खत्म करने के ग्लोबल गोल यानी, सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल 2030 के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) की 2022 में शुरुआत की थी. इस कार्यक्रम के तहत, सरकार ने व्यक्तियों को खुद को रजिस्टर करने और उनकी देखभाल के लिए टीबी रोगियों को गोद लेने के लिए एक नि-क्षय मित्र पोर्टल की स्थापना की, जिसकी मदद से 2023 में 9.55 लाख से ज्यादा मरीजों को गोद लिया गया.

इन कार्यक्रमों/पहलों के अलावा, सरकार ने हाल ही में 15 नवंबर को विकसित भारत संकल्प यात्रा (VBSY) शुरू की है. इस यात्रा का मकसद लोगों के बीच सरकार की विकास नीतियों और योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उनका फायदा पहुंचाना है. यात्रा के दौरान दी जाने वाली ऑन-स्पॉट सेवाओं के लिए आयुष्मान कार्ड बनाए जाएंगे और उन्हें वितरित किया जाएगा. 20 दिसंबर तक कुल 96.03 लाख आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं.

नवंबर 2023 से जनवरी 2024 के तीसरे सप्ताह तक आयोजित होने वाली यह यात्रा राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम और सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन का भी प्रदर्शन करेगी. इसके अलावा, स्वास्थ्य शिविर भी आयोजित किए जा रहे हैं, जिसमें टीबी, गैर-संचारी रोगों और सिकल सेल रोग के लिए स्क्रीनिंग और रेफरल, नि-क्षय मित्र रजिस्ट्रेशन और आयुष्मान कार्ड का निर्माण किया जा रहा है.

इस दिशा में अब तक हुई प्रगति के बारे में बात करते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मंडाविया ने कहा कि सरकार 6,000-7,000 की आबादी के लिए एक स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र स्थापित करके, देश के दूरदराज के हिस्सों में स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने का प्रयास कर रही है. पिछले नौ सालों में, केंद्र ने 1,60,000 प्राथमिक स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र स्थापित किए हैं.

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NDTV-डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया टीम ने ‘हेल्थ फॉर ऑल’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए मौजूदा योजनाओं और जरूरी हस्तक्षेपों को कैसे और तेज किया जाए, यह जानने के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों से भी बात की.

चेन्नई के सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित पद्मश्री डॉ. रवि कन्नन ने कहा कि टीबी उन्मूलन जैसी योजनाएं इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों तक विभिन्न पहलों की पहुंच सुनिश्चित करने पर सरकार को फोकस करने की जरूरत है.

रुधिर रोग विशेषज्ञ (Hematologist) और स्वामी विवेकानंद मेडिकल मिशन में मुख्य चिकित्सा अधिकारी पद्मश्री डॉ. धनंजय दिवाकर सगदेव ने, 2047 तक सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए तीन महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में बताया जिन पर सरकार को फोकस करने की जरूरत है.

हमारी ज्यादातर स्वास्थ्य प्रणालियां शहरी क्षेत्रों को सुविधाएं दे रही हैं. हमें अपनी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को ग्रामीण क्षेत्रों तक ले जाने के लिए एक ठोस योजना बनाने की जरूरत है. सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित करने की बड़ी पहल की है, लेकिन सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना काफी नहीं है, उनमें डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ की उपलब्धता सुनिश्चित करना भी उतना ही जरूरी है. तीसरा, ग्रामीण लोगों और डॉक्टरों के बीच कम्युनिकेशन गैप को खत्म करने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, जिन्हें स्वास्थ्य मित्र भी कहा जाता है, उनकी संख्या बढ़ाना है.

हेल्थ कॉन्क्लेव में NDTV टीम से बात करते हुए हेल्थ पार्लियामेंट के संस्थापक और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के पूर्व सलाहकार प्रोफेसर राजेंद्र प्रताप गुप्ता ने दूरदराज के इलाकों में मोबाइल मेडिकल यूनिट और टेली मेडिसिन की उपलब्धता बढ़ाने के बारे में बात की.

ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर आपातकालीन सेवाएं हासिल करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. मोबाइल यूनिट और टेली मेडिसिन सर्विस की उपलब्धता से इस मुश्किल को दूर किया जा सकता है.

डॉ. सागदेव ने वंचित आबादी को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए मल्टीपर्पज हेल्थ वर्कर (M.P.H.W.) को तैनात किए जाने की जरूरत पर रोशनी डाली.

सभी विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी योजनाओं को लागू करने में तेजी लाने की जरूरत है, ताकि देश के दूरदराज के हिस्से में रहने वाला हर व्यक्ति उनका फायदा उठा सके और ‘हेल्थ फॉर ऑल’ के लक्ष्य को हासिल किया जा सके.

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