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स्वास्थ्य सेवा विशेषज्ञों की राय : प्राथमिक से तीसरे स्तर तक हेल्‍थ केयर सिस्टम को मजबूत करने की जरूरत

फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा 26-27 अक्टूबर को आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन ‘फिक्की हील 2023’ में स्वास्थ्य सेवा के विशेषज्ञों ने पैनलिस्ट के रूप में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भारत की स्थिति और भविष्य पर की चर्चा

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26-27 अक्टूबर तक आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन, 'हेल्थकेयर मेटामोर्फोसिस' विषय पर केंद्रित रहा

नई दिल्ली : फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) ने केंद्र सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) और नीति आयोग के साथ मिल कर अपनी 17वीं वार्षिक हेल्‍थ केयर कॉन्‍फ्रेंस ‘FICCI HEAL 2023’ का आयोजन देश की राजधानी नई दिल्‍ली में किया. 26-27 अक्टूबर तक आयोजित यह दो दिवसीय सम्मेलन, ‘हेल्थकेयर मेटामोर्फोसिस’ विषय पर केंद्रित था. हेल्‍थ केयर सेक्टर के कई विशेषज्ञ इस दो दिवसीय सम्मेलन में पैनलिस्ट के रूप में शामिल हुए. सम्मेलन में विभिन्न सत्रों के तहत भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के विकास के लिए आवश्यक रणनीतियों और अवसरों पर गहन चर्चा की गई.

भारत में कैंसर केयर को किफायती बनाना

सम्मेलन के पहले दिन प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (भारत सरकार) की संयुक्त सचिव, इंद्राणी कौशल ने कैंसर केयर को अधिक किफायती और सुलभ बनाकर देश भर में कैंसर रोगियों के लिए परिणामों में सुधार पर जोर दिया। उन्होंने कहा,

कैंसर केयर एक सार्वजनिक हित का कार्य है, शुद्ध रूप से बाजार के नियमों पर चलने वाला सिस्टम इस तरह के सार्वजनिक हित के कार्य के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है. आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए कैंसर केयर को कैसे वित्त पोषित किया जाए, हम उम्मीद करते हैं कि आज के विचार-विमर्श से हमें इसे लेकर कोई न कोई समाधान देखने को मिलेगा.

सुश्री कौशल ने कैंसर देखभाल की लागत को घटा कर इसे किफायती बनाने के लिए सरकार के साथ सभी स्टेक होल्डर्स को इस कवायद में शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया.

कैंसर को एक ‘महामारी’ बताते हुए फिक्की की कैंसर केयर टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष और सीमेंस हेल्थिनियर्स में सरकारी मामलों के प्रमुख विनीत गुप्ता ने व्यापक कैंसर देखभाल प्रदान करने में तकनीक की भूमिका पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी नेटवर्क बना सकती है, साथ ही यह बुनियादी ढांचे और संसाधन मॉडल में सुधार कर सकती है और उपलब्ध कैंसर केयर सेवाओं के पूरी दक्षता पूर्वक उपयोग को संभव बना सकती है.

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घरेलू हेल्‍थ केयर सिस्टम को देना होगा बढ़ावा

अपने दृष्टिकोण को साझा करते हुए, फिक्की स्वास्थ्य सेवा समिति के सह-अध्यक्ष और अपोलो होम केयर के अध्यक्ष और सीईओ डॉ. महेश जोशी ने मरीजों को चौबीसों घंटे सेवाएं प्रदान करने के लिए एक उपयुक्त घरेलू स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की आवश्यकता पर प्रकाश डाला. डॉ. जोशी ने बताया कि इसके लिए बीमा कंपनियां मरीजों को ऊंची गुणवत्ता वाली देखभाल प्रदान करने के लिए घरेलू स्वास्थ्य देखभाल कंपनियों के साथ मिलकर काम करेंगी.

हेल्‍थ केयर सिस्टम को कम खर्चीला बनाना और इसके लिए साझेदारी करना

स्वास्थ्य विशेषज्ञ और केंद्रीय परिवार कल्याण मंत्रालय के सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रशासन के सलाहकार, डॉ. के. मदन गोपाल और मेडिका सिनर्जी हॉस्पिटल्स के अध्यक्ष डॉ. नंदकुमार जयराम ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने और इसे लागत प्रभावी (कॉस्ट इफेक्टिव) बनाने की दिशा में ध्यान केंद्रित करने के महत्व के बारे में जोर दिया, ताकि अधिक से अधिक लोग स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं का लाभ उठा सकें.

सत्र के दूसरे दिन नीति आयोग के सदस्य डॉ विनोद के पॉल ने प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को मजबूत करने के लिए केंद्र द्वारा की गई पहल पर प्रकाश डाला. उन्होंने देश की तृतीयक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली (टर्सरी हेल्‍थ केयर सिस्टम) को मजबूत करने के लिए निजी क्षेत्र से समर्थन की भी अपील की. डॉ. पॉल ने कहा,

प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के प्रति हमारी प्रतिबद्धता काफी सुदृढ़ है और मैं उस दिशा में आगे बढ़ने के अवसर की प्रतीक्षा कर रहा हूं. हम माध्यमिक और तृतीयक देखभाल में एक बड़ी साझेदारी की उम्मीद कर रहे हैं.

इस दिशा में भारत की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए डॉ. पॉल ने आगे कहा कि देश ने एलोपैथी चिकित्‍सा के लिए प्रति हजार व्यक्तियों पर एक डॉक्टर के विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के बेंचमार्क को पार कर लिया है. इसके अतिरिक्त, आयुष डॉक्टरों की संख्या 1.3 है, इसके बावजूद देश को अभी भी इस दिशा में एक लंबा रास्ता तय करना है। उन्होंने कहा,

निश्चित रूप से हमें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है, क्योंकि जिन देशों से हम अपनी तुलना करते हैं, वहां आम तौर पर प्रति हजार पर लगभग तीन डॉक्टर हैं और निश्चित रूप से प्रति हजार पर दो डॉक्टर तो हैं ही.

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हेल्थ केयर प्रणाली को डिजिटल बनाने की दिशा में भारत की प्रगति

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (नेशनल हेल्‍थ अथॉरिटी) के संयुक्त निदेशक डॉ. अक्षय जैन ने डिजिटल स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से की गई पहल के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सरकार प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के स्तर पर भी स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटल प्रारूप में उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है. सरकार की पहल ‘आयुष्मान भव अभियान’ के बारे में बात करते हुए डॉ. जैन ने कहा,

माननीय राष्ट्रपति ने इस वर्ष सितंबर में आयुष्मान भव अभियान का उद्घाटन किया. इस अभियान के तहत देश भर में हम घर-घर सर्वेक्षण कर रहे हैं, आयुष्मान मेलों का आयोजन कर रहे हैं, आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना के सभी लाभार्थियों का नामांकन कर रहे हैं और उनका स्वास्थ्य बीमा कार्ड भी जारी किया जा रहा है. हम यह सुनिश्चित करने के लिए हर गांव और हर दरवाजे तक जा रहे हैं कि हर किसी को आधार आईडी मिले। इस जन अभियान के माध्यम से, हमारा लक्ष्य बीमा योजना के जनसंख्या कवरेज को बढ़ाने के साथ-साथ अपने डिजिटल मिशन को आगे बढ़ाने का भी है.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रोफेसर एस पी सिंह बघेल ने भी डिजिटल स्वास्थ्य देखभाल पहल के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के जरिये सरकार देश के उन नागरिकों को चिकित्सा कवरेज प्रदान करने का प्रयास कर रही है, जो टेलीमेडिसिन के माध्यम से किफायती स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच नहीं पा रहे हैं. उन्होंने कई अभियानों के माध्यम से अंगदान और रक्तदान को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया और निजी क्षेत्र से भी इसमें भरपूर सहयोग देने का आग्रह किया.

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हेल्‍थ केयर का दायरा महिलाओं तक बढ़ाना

महाजन इमेजिंग एंड लैब्स की सह-संस्थापक और कार्यकारी निदेशक रितु महाजन ने महिलाओं के स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों में सभी स्टेक होल्डर्स को शामिल करने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा,

महिलाओं का स्वास्थ्य किसी राष्ट्र की जीवन शक्ति की धड़कन है.

संयुक्त राष्ट्र, महिला (यूएन वूमेन) में भारत की प्रतिनिधि सुसान फर्ग्यूसन ने कहा कि अब समय आ गया है कि मांओं को दी जाने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं (मेटरनल हेल्‍थ केयर) से आगे बढ़कर सभी महिलाओं को होने वाली अन्य स्वास्थ्य समस्याओं पर ध्यान दिया जाए. इसी तरह की भावना व्यक्त करते हुए फिक्की एमवीटी समिति की सदस्य और यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल्स की प्रबंध निदेशक उपासना अरोड़ा ने कहा,

लगभग 24 फीसदी महिलाएं कुपोषण से पीड़ित हैं. उनमें खून की कमी होती है और उन्हें पता भी नहीं चलता कि उन्हें यह समस्या है. इसका कारण यह है कि उन्हें हमेशा अपने परिवार की प्राथमिकता में पीछे रखा जाता है.

बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की इनोवेटिव हेल्थ टूल्स की वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी अमृता शेखर ने समग्र आर्थिक विकास के लिए महिलाओं के स्वास्थ्य में अधिक निवेश करने की आवश्यकता पर जोर दिया.उन्होंने कहा,

आंकड़ों से पता चलता है कि आज महिलाओं के स्वास्थ्य पर किया जाने वाला 300 मिलियन डॉलर का निवेश समाज के लिए लगभग 13 बिलियन डॉलर का आर्थिक लाभ उत्पन्न करता है.

इस सत्र के दौरान फिक्की ने ‘एम्पावरिंग हर हेल्थ’ शीर्षक वाली एक रिपोर्ट भी जारी की, जिसे फिक्की और अपोलो हॉस्पिटल्स के साथ साझेदारी में यूएन वूमेन द्वारा तैयार किया गया है.

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