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राष्ट्रीय पोषण माह 2023: ‘सुपोषित भारत, साक्षर भारत, सशक्त भारत’ पर होगा ज़ोर

पोषण अभियान के तहत सरकार पिछले पांच सालों से पूरे भारत में सफलतापूर्वक पोषण-आधारित अभियान चला रही है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अनुसार 2022 में देशभर में 17 करोड़ से अधिक गतिविधियां संपन्‍न हुई

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महिलाओं और बच्चों के बीच पोषण दर में सुधार लाने की दिशा में अपने प्रयासों में तेजी लाने के लिए इस वर्ष सरकार मानव जीवन चक्र के प्रमुख चरणों- गर्भावस्था (Pregnancy), शैशवावस्था (Infancy), बचपन (Childhood) और किशोरावस्था (Adolescence) पर ध्यान केंद्रित कर रही है

नई दिल्ली: सरकार का राष्ट्रीय प्रमुख कार्यक्रम पोषण अभियान (संपूर्ण पोषण के लिए प्रधानमंत्री की व्यापक योजना) 2023 में अपने छठे वर्ष में प्रवेश कर रहा है. इसे राष्ट्रीय पोषण मिशन के रूप में भी जाना जाता है. मार्च 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए इस कार्यक्रम का उद्देश्य छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं में कुपोषण के स्तर को कम करना है.

यह कार्यक्रम हर साल सितंबर महीने में एक नई थीम के साथ आयोजित किया जाता है. इसमें मुख्य रूप से विभिन्न पोषण संबंधी योजनाओं और कार्यक्रमों को लागू करके कुपोषण की समस्‍या पर जोर दिया जाता है.

पोषण माह का उद्देश्य

पोषण माह का उद्देश्य सामुदायिक गतिविधियों के जरिये छोटे बच्चों और महिलाओं में कुपोषण दूर करने एवं सभी के लिए स्वास्थ्य और पोषण सुनिश्चित करना और इसमें लोगों की भागीदारी को बढ़ाना है.

पोषण अभियान की चार महत्‍वपूर्ण बातें:

  1. पोषण अभियान (राष्ट्रीय पोषण माह) का उद्देश्य भूख और कुपोषण को समाप्त करने के प्रयासों में मजबूती लाना है
  2. यह प्रसव पूर्व देखभाल, आहार और स्तनपान पर ध्यान केंद्रित करके गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और किशोर लड़कियों के पोषण में सुधार लाना
  3. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय पोषण माह के तहत महीने भर चलने वाली गतिविधियों की योजना बना रहा है, जिसमें स्वच्छता और साफ-सफाई, एनीमिया की रोकथाम और मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा
  4. ‘स्वस्थ भारत’ के लक्ष्‍य को हासिल करने के लिए गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं, छह साल से कम उम्र के बच्चों और किशोर लड़कियों पर विशेष ध्यान देने के साथ आउटरीच कार्यक्रम, पहचान अभियान, स्‍वास्‍थ्‍य शिविरों और मेलों का आयोजन करना

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पोषण माह 2023 की थीम

महिलाओं और बच्चों के बीच पोषण दर में सुधार की दिशा में अपने प्रयासों में तेजी लाने के लिए इस वर्ष सरकार ने पोषण माह की थीम ‘सुपोषित भारत, साक्षर भारत, सशक्त भारत’ रखी है. इसके तहत जीवन चक्र के प्रमुख चरणों – गर्भावस्था (Pregnancy), शैशवावस्था (Infancy), बचपन (Childhood) और किशोरावस्था (Adolescence) पर फोकस रहेगा.

राष्ट्रीय पोषण कार्यक्रम के साथ सरकार पिछले पांच सालों से पूरे भारत में सफलतापूर्वक पोषण-आधारित कार्यक्रम चला रही है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (डब्ल्यूसीडी) के अनुसार 2022 में 17 करोड़ से अधिक पोषण-आधारित गतिविधियों का संचालन किया गया.

इस वर्ष सरकार स्तनपान को बढ़ावा देने, स्वस्थ बालक प्रतिस्पर्धा (छह साल से कम उम्र के बच्चों के पोषण और अच्छे स्वास्थ्य के मूल्य को बढ़ावा देने वाला एक राष्ट्रव्यापी वजन और ऊंचाई माप अभियान), पोषण भी पढ़ाई भी (पीबीपीबी) के जरिये पोषण के स्‍तर में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित करेगी. इसके सा‍थ ही मिशन लाइफ, मेरी माटी-मेरा देश अ‍भियान चलाया जाएगा जोकि भारत की मिट्टी और वीरता का जश्न मनाने और भारत की स्वतंत्रता और प्रगति के गौरव का अभियान है. साथ ही देश में आदिवासी समुदायों के बीच पोषण सुनिश्चित करने और महिलाओं में एनीमिया पर नियंत्रण के उपायों पर ध्‍यान दिया जाएगा.

पोषण माह 2023 की गतिविधियां

पोषण माह के दौरान देशभर में जमीनी स्तर तक पोषण जागरूकता से जुड़ी गतिविधियां चलाई जाएंगी. पोषण अभियान 2023 के लिए मंत्रालय द्वारा आयोजित गतिविधियों में आहार विविधता के लिए जागरूकता शिविर का आयोजन और शिशुओं को स्तनपान से पूरक आहार की ओर बढ़ना शामिल है. आंगनवाड़ी में बच्‍चों द्वारा मां और बच्चे के लिए पोषण के महत्व पर नाटक की प्रस्तुति. इसके अलावा शहरी झुग्‍गी बस्तियों (स्लम क्षेत्रों) में स्वस्थ बालक स्पर्धा व विकास माप अभियान चलाया जाएगा.

इसके अलावा आहार में बाजरे को शामिल करने जैसी स्‍वास्‍थवर्धक बातों को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान और सत्र आयोजित किए जाएंगे. केंद्र सरकार पूर्वोत्तर राज्यों और विशेष कार्रवाई समूह (एसएजी) के तहत आने वाले जिलों में किशोर लड़कियों (14-18 वर्ष) के लिए एनीमिया शिविर भी आयोजित करेगी.

विज्ञप्ति में कहा गया है,

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों को इन गतिविधियों को उत्साहपूर्वक आयोजित करने और ग्राम पंचायतों और शहरी व स्थानीय निकायों के तहत बड़ी सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करने और प्रधानमंत्री के सुपोषित भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया गया है.

भारत में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण और एनीमिया एक बड़ी समस्या है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 की रिपोर्ट के अनुसार देश की कुल आबादी में अल्पपोषित लोगों का अनुपात 16.3 प्रतिशत है, बाल विकास में रुकावट का स्‍तर 35.5 प्रतिशत है, बाल विकास दर 19.3 फीसदी और बाल मृत्यु दर 3.3 प्रतिशत है.

देश में एनीमिया की स्थिति के बारे में बात करें, तो लगभग 67 प्रतिशत बच्चे (6-59 महीने की उम्र), 59 प्रतिशत किशोरियां और लगभग 52 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं. इन दोनों समस्‍याओं को कम करना पोषण अभियान का मुख्य उद्देश्य है. इसके लिए कार्यक्रम में हर साल विभिन्न रणनीतिक उपायों के जरिये मौजूदा स्वास्थ्य प्लेटफार्मों में पोषण संबंधी कार्यक्रमों का एकीकरण कर उन्‍हें बेहतर बनाने के लिए कई तरह के प्रयास किए जाते हैं.

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