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#SwasthBharat: जानें कितनी तरह के होते हैं कीटाणु, इनसे कैसे बचा जा सकता है

Global Handwashing Day: शरीर को बीमार करने वाले कई तरह के कीटाणुओं से खुद को बचाने या स्वस्थ रखने में हाथ धोने का अहम रोल होता है. जानें कैसे…

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नई दिल्ली: जर्म्स यानी कीटाणु भले ही हमें न दिखे, लेकिन ये हवा, पानी, मिट्टी, फूड, पेड़-पौधे और यहां तक की ह्यूमन बॉडी में भी मौजूद होते हैं. भले ही सभी जर्म्स नुकसादायक नहीं होते, लेकिन कई शरीर को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं. इनके कारण कोल्ड, खांसी और डायरिया जैसी समस्याएं अकसर लोगों को परेशान करती हैं.

यहां कई तरह के कीटाणुओं और उन तरीकों के बारे में जानें. साथ ही ये भी बताएंगे कि आप उनसे अपना बचाव कैसे कर सकते हैं?

क्या होते हैं जर्म्स?

आम शब्दों में कहे तो कीटाणु छोटे जीव या जीवित चीजें हैं, जो इंसानी शरीर में बीमारी का कारण बन सकते हैं. ये इतने छोटे होते हैं कि कब हमारे शरीर में घुस जाते हैं, हमें पता भी नहीं चलता. नवी मुंबई में स्थित अपोलो हॉस्पिटल के डॉक्टर भारत अग्रवाल कहते हैं कि,

एक बार जब कीटाणु हमारी बॉडी में घुस जाते हैं तो उसके बाद वे लंबे समय तक वहीं मौजूद रहते हैं. वे पोषक तत्वों और ऊर्जा से भोजन करते हैं और बदले में टॉक्सिन्स का उत्पादन करते हैं, जो कि शरीर को कई मायनों में नुकसान पहुंचाता है. टॉक्सिन से होने वाले संक्रमणों की बात करें तो इसमें बुखार, छींक, रैशेज, खांसी, उल्टी और डायरिया के नाम शामिल हैं.

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जानें कितनी तरह के होते हैं जर्म्स?

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, वातावरण में चार सबसे आम प्रकार के कीटाणु पाए जाते हैं.

-बैक्टीरिया छोटे, एक-कोशिका वाले जीव हैं, जो किसी भी वातावरण में जीवित रह सकते हैं. इनका खाना पोषक तत्वों पर निर्भर होता है. देखा जाए तो बैक्टीरिया के लिए ऐसा ही एक वातावरण मानव शरीर हो सकता है. लेकिन कुछ सामान्य संक्रमण जो बैक्टीरिया पैदा कर सकते हैं, उनमें कान में संक्रमण, गले में खराश और निमोनिया शामिल हैं.

-वायरस वे जीव हैं जिन्हें बढ़ने के लिए जीवित कोशिकाओं की जरूरत होती है. ज्यादातर वायरस किसी जीवित वस्तु जैसे पौधे, जानवर या व्यक्ति के अंदर ही रहते हैं तो वे अधिक समय तक जीवित रहते हैं. वायरस लोगों के शरीर के अंदर पहुंच जाते हैं और उनमें फैल कर वे उन्हें बीमार कर सकते हैं. इनके कारण चिकनपॉक्स, खसरा, फ्लू और कोविड-19 जैसे खतरनाक संक्रमण का खतरा बना रहता है.

– फंफूद जिसे फंगस भी कहा जाता है, ये मिट्टी और पानी अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते. इसके बजाय ये पौधों, लोगों और जानवरों से अपना पोषण प्राप्त करते हैं. इन्हें नमी और गर्म क्षेत्रों में रहना पसंद करते हैं. कई बार स्वस्थ लोगों के लिए फंगस खतरनाक नहीं होते हैं. ये लोगों को कभी-कभी उनके पैर की अंगुलियों के बीच हो जाता है.

-प्रोटोजोआ एक-कोशिका वाले जीव हैं जो अक्सर पानी के जरिए बीमारियां फैलाते हैं. कुछ प्रोटोजोआ आंतों में संक्रमण का कारण बनते हैं, जिससे दस्त और पेट दर्द भी हो सकता है.

डॉ. भारत अग्रवाल ने बताया कि जर्म्स कैसे मानव शरीर में फैल सकते हैं और इससे होने वाले जोखिम से कैसे निजात पाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि,

मानव शरीर प्रतिदिन लाखों कीटाणुओं से निपटता है और जर्म्स हर जगह मौजूद होते हैं, क्योंकि ये किसी भी हालत में जीवित रह सकते हैं. डॉ. अग्रवाल के मुताबिक हाथ ही इन जर्म्स के फैलने का सबसे बड़ा कारण होते हैं, इसलिए इनसे बचने के लिए हाथों का हाइजीन रहना बहुत जरूरी है. साथ ही पानी, खाना, किसी सरफेस को छूना, टी रिमोट, टेलिफोन भी जर्म्स के फैलने का कारण हो सकते हैं. साथ ही साफ-सफाई से जुड़ी चीजें जैसे कूड़ादान, सिंक, टॉयलेट और भी अन्य चीजें जर्म्स के फैलने की वजह हो सकती हैं.

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हम खुद को जर्म्स से कैसे सुरक्षित रख सकते हैं?

हाथों को धोना- जर्म्स से लड़ने का ये बेस्ट तरीका है: यूनीसेफ के मुताबिक, कीटाणुओं को शरीर में प्रवेश करने से रोकना है, तो इसके लिए नियमित रूप से ‘हाथ धोना’ सबसे अच्छा तरीका है. सलाह दी जाती है कि हाथ धोते समय करीब 20 तक जरूर गिनना चाहिए.

साबुन से हाथ धोने की महत्ता पर बोलते हुए ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय में रसायन विज्ञान के स्कूल के प्रोफेसर पल्ली थोरडार्सन ने कहा, “जब हम साबुन से हाथ धोते हैं तब, साबुन के इंग्रेडिएंट्स जर्म्स की फैट परत खत्म कर देते हैं या कहा जाए की निष्क्रिय कर देते हैं. इस वजह से जर्म्स खत्म हो जाते हैं. यह भी कह सकते हैं कि कुछ समय के लिए वहीं जर्म्स ‘इनएक्टिव’ स्टेज पर आ जाते हैं, यानी कि यह किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचा सकते. अब हर किसी के मन में यही सवाल आता है कि आखिर यह जर्म्स ह्यूमन स्किन पर क्यों रहते हैं? तो इसका जवाब यह है कि ह्यूमन स्किन पर काफी सारा प्रोटीन और फैटी एसिड जमा होते हैं, जो जर्म्स का मनपसंद खाना होते हैं. अब यह जर्म्स आपके हाथों से चेहरे फिर आंखों में, फिर नाक और मुंह तक भी पहुंच सकते हैं. इसके बाद धीरे-धीरे यह आपके शरीर में भी एंटर हो सकते हैं और इसीलिए हाथों को साबुन से धोना जरूरी माना जाता है.

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का कहना है कि लोगों को हाथ धोने के बारे में सिखाने से उन्हें और उनकी कम्युनिटी को स्वस्थ रहने में मदद मिलती है. इस बात पर जोर देने के लिए कुछ पॉइंट्स जो हाथ धोने के फायदों को बताते हैं:

-हाथ धोने से दुनिया में डायरिया से बीमार होने वालों की संख्या 23-40 फीसदी तक कम हो सकती हैं.

– कमजोर इम्युनिटी वाले दुनिया भर के लोगों में दस्त की बीमारी को 58 फीसदी तक कम हो सकती हैं.

– दुनिया भर में सामान्य आबादी में सर्दी और सांस की बीमारियों के 16-21 फीसदी तक कम किए जा सकते हैं.

– दुनिया भर के स्कूली बच्चों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारी के कारण अनुपस्थिति को 29-57 फीसदी तक कम किया जा सकता है

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अच्छी व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखना: यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ दोनों का सुझाव है कि अपने हाथों और अन्य लोगों से कीटाणुओं को दूर रखने के लिए अपने हाथों पर खांसने के बजाए अपनी कोहनी के ऊपर खांसने और छींकने जैसी आदतें डालनी चाहिए.

अमेरिकन लंग एसोसिएशन के रिसर्च के मुताबिक, एक खांसी 50 मील प्रति घंटे की स्पीड से और लगभग 3,000 बूंदों को केवल एक बार में ट्रांसफर कर सकती हैं. वहीं, छींक 100 मील प्रति घंटे की स्पीड से 100,000 बूंदों को एक ही बार में ट्रांसफर कर सकती हैं. अब सवाल यह आता है कि यह एक समस्या क्यों है?

डॉ. भरत अग्रवाल कहते हैं,

छींक या खांसी इंसानी शरीर से बाहर कीटाणुओं को इंजेक्ट करने का शरीर का नेचुरल तरीका है. इसलिए, जब कोई व्यक्ति ऐसा करता है, तो शरीर का टारगेट उस चीज से छुटकारा पाना होता है जो शरीर को अंदरूनी रूप से नुकसान पहुंचा रही है. इसलिए, हम कहते हैं,”अच्छी पर्सनल हाइजीन बनाए रखना हेल्दी लाइफ जीने के लिए जरूरी है.

डेली छूने वाली चीजों को सेनिटाइज करें: यूनिसेफ का कहना है कि कीटाणु काउंटरटॉप्स, दरवाज़े के हैंडल और फोन जैसी सरफेस पर रहना पसंद करते हैं, इसलिए, इन्हें फैलने से रोकने के लिए, डेली छूने वाली चीजों को साफ करने के लिए एक हेबिट बना लेनी चाहिए. सेण्टर फॉर डिसीस कण्ट्रोल एंड प्रिवेंशन का मानना है कि डेली छूने वाली चीजों को डोमेस्टिक क्लीनर से साफ करना चाहिए, जिसमें साबुन या डिटर्जेंट हो, क्योंकि इससे सरफेस पर कीटाणुओं की संख्या कम हो जाती है और सरफेस से संक्रमण का खतरा भी कम हो जाता है.

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