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फिर फैल रहा डेंगू: जानिए इसके कारण, लक्षण और बचाव के उपाय
डेंगू एक वेक्टर जनित रोग है जो टाइगर मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलता है और दुनिया भर में डेंगू के सबसे ज्यादा मामले ट्रॉपिकल और सब-ट्रॉपिकल जलवायु में पाए जाते हैं
नई दिल्ली: मानसून यानी बारिश का मौसम पूरे जोरों पर है. इस बीच देश के विभिन्न इलाकों में डेंगू के मामलों में वृद्धि देखने को मिल रही है. राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी) की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले दो महीनों में 900 से अधिक डेंगू के मामले दर्ज किए गए हैं. जो इस वेक्टर जनित बीमारी के एक बार फिर से सिर उठाने का स्पष्ट संकेत है.
डेंगू बुखार और इससे बचने के लिए लोगों द्वारा अपनाए जा सकने वाले निवारक उपायों के बारे में अधिक जानने के लिए ‘एनडीटीवी-डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया’ ने फोर्टिस अस्पताल, नोएडा के विभागाध्यक्ष डॉ. अजय अग्रवाल और दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. धीरेन गुप्ता से बात की.
डॉ. अजय अग्रवाल ने कहा कि डेंगू एक वेक्टर जनित बीमारी है. उन्होंने बताया,
वेक्टर-जनित बीमारियां मच्छरों जैसे जीवित वाहकों के जरिये मनुष्यों में फैलती हैं. चिकनगुनिया, पीला बुखार, जीका वायरस और मलेरिया हमारे देश में अकसर फैलने वाली अन्य वेक्टर जनित बीमारियां हैं. डेंगू मनुष्यों में एडीज मच्छरों के माध्यम से फैलता है, जिन्हें जंगली या टाइगर मच्छरों के नाम से भी जाना जाता है. मच्छरों की यह प्रजाति ज्यादातर दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्रों में पाई जाती है.
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डेंगू के विभिन्न प्रकारों के बारे में बात करते हुए डॉ. धीरेन गुप्ता ने बताया,
डेंगू के चार प्रकार हैं – DENV-1, DENV-2, DENV-3, और DENV-4, ये सभी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करने में सक्षम हैं. इनमें 99 प्रतिशत मामलों में हल्के से मध्यम लक्षण होते हैं. हाल के दिनों में डेंगू के एक पांचवें स्ट्रेन DENV-5 की भी पहचान की गई है.
डेंगू बुखार के कारण
डॉ. गुप्ता ने कहा कि रुका हुआ या धीमी गति से बहने वाला पानी मच्छरों को अंडे देने के लिए उपयुक्त माहौल प्रदान करता है. यहां पनपने वाले मच्छर घरों में दरवाजों, खिड़कियों, झरोखों और चिमनियों के सूक्ष्म छिद्रों के रास्ते प्रवेश करके लोगों को संक्रमित कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि मौसम की स्थिति भी इन मच्छरों की वृद्धि और डेंगू के मामलों में बढ़ोतरी में सहायक होती है. इस बारे में और विस्तार से बताते हुए डॉ. गुप्ता ने कहा,
डेंगू का प्रकोप मानसून के मौसम में सबसे आम है, जब मच्छरों की आबादी बढ़ जाती है. गर्म तापमान मच्छरों के शरीर में डेंगू वायरस की प्रतिकृति को बढ़ाता है, जिससे वे लोगों को अधिक तेजी से संक्रमित करने में सक्षम हो जाते हैं.
डेंगू के लक्षण
डॉ. अग्रवाल और डॉ. गुप्ता ने कहा कि डेंगू के लक्षण हल्के से लेकर मध्यम, जबकि कुछ मामलों में गंभीर भी होते हैं. उन्होंने हल्के और मध्यम लक्षणों के बारे में बताया, जो कि करीब 99 प्रतिशत रोगियों में देखने को मिलते हैं. इन लक्षणों में यह बातें शामिल हैं:
- सिरदर्द
- हल्का बुखार
- गले में दर्द
- शरीर में दर्द
- उल्टी आना
- बार-बार दस्त आना
- ग्रंथियों में सूजन
- मन मिचलाना
- आंखों में दर्द
- हल्की सांस फूलना
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डॉ. गुप्ता ने कहा कि कुछ मरीजों गंभीर लक्षण भी देखने को मिलते हैं, जो डॉक्टरों के लिए ज्यादा चिंताजनक होते हैं. इन लक्षणों में,
- तेज बुखार आना
- प्लेटलेट काउंट में कमी
- शरीर में पानी की काफी कमी हो जाना
- पेट में तेज दर्द
- रक्तचाप में गिरावट
- थकान
- कमजोरी
- लगातार उल्टी और दस्त होना
- आंखों में पीलापन
डॉ. गुप्ता ने कहा कि अगर बुखार का देर से पता चलता है, तो स्थिति बिगड़ सकती है और रोगी को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ सकती है.
कौन लोग आते हैं डेंगू बुखार की चपेट में
डॉ. अजय अग्रवाल ने कहा कि डेंगू बुखार की समस्या मुख्य रूप से बुजुर्गों, नवजात शिशुओं या एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों और अधेड़ से ज्यादा उम्र वाले लोगों में देखने को मिलती है. इसके अलावा यह बीमारी कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (वीक इम्यूनिटी) वाले लोगों और डायबिटीज (मधुमेह) जैसी बीमारी से ग्रस्त लोगों में सबसे ज्यादा देखने को मिलती है.
डॉ. गुप्ता ने ऐसे व्यक्तियों के एक और समूह पर प्रकाश डाला, जो डेंगू बुखार से ग्रस्त हो जाते हैं. यह हैं मोटे लोग और ऐसे व्यक्ति जो पहले संक्रमित हो चुके हैं पर शुरुआत में उनमें कोई लक्षण नहीं दिखाई देते.
डेंगू बुखार का इलाज
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि हल्के या मध्यम लक्षणों वाले रोगियों को घर पर रहना चाहिए. अपने आहार में ज्यादा तरल पदार्थ शामिल करने चाहिए और डॉक्टर द्वारा बताई गई बुखार को कम करने के लिए दवाओं का उपयोग करना चाहिए. उन्होंने कहा कि गंभीर लक्षणों वाले मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने और प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता हो सकती है.
डेंगू बुखार से बचाव
डॉ. धीरेन गुप्ता ने जोर देकर कहा, “लक्षणों को जटिल होने से रोकना ही डेंगू का प्रमुख उपचार है.” उन्होंने कहा कि शुरुआती लक्षणों को पहचानने के तुरंत बाद डॉक्टर से परामर्श करने से डेंगू के मामलों की महत्वपूर्ण संख्या को कम करने में मदद मिल सकती है.
डॉ. गुप्ता ने कहा, व्यक्तिगत स्वच्छता और साफ-सफाई बनाए रखने से डेंगू बुखार के मामलों को काफी हद तक कम करने में मदद मिल सकती है. उन्होंने कहा कि व्यक्ति जिन अन्य निवारक उपायों का पालन कर सकते हैं, उनमें बारिश मौसम में मच्छरों द्वारा काटे जाने से बचने के लिए शरीर को ज्यादा से ज्यादा ढकने वाले कपड़े पहनना शामिल है. इसके अलावा घर पर कीट नियंत्रक दवाओं का छिड़काव करना, घरेलू कबाड़, गमलों और फूलदानों में पानी जमा होने से रोकें, क्योंकि इसमें ही डेंगू वाले मच्छर पनपते हैं. इसके अलावा जलभराव न होने देने के लिए पानी के बहाव में किसी भी प्रकार की रुकावट को रोकने के लिए घर पर नालियों की सफाई करना भी जरूरी है.
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