ताज़ातरीन ख़बरें

34 साल का यह डॉक्टर ‘डॉक्टर ऑन व्हील्स’ के जरिए वरिष्ठ नागरिकों के घर तक पहुंचा रहा है स्वास्थ्य सेवा

4 साल के डॉक्टर स्वामीनाथन चंद्रमौली, “डॉक्टर ऑन व्हील” नाम से एक मोबाइल हेल्थकेयर मुहिम चला रहे हैं. इस मुहिम का मकसद मदुरई के बुजुर्गों का घर बैठे इलाज करना और ध्यान रखना है

Published

on

‘डॉक्टर्स ऑन व्हील्स’ घर जाकर सेवाएं देने वाली एक मूविंग हेल्थ केयर वैन है

नई दिल्ली: रात के 2 बज रहे हैं, 34 साल के डॉक्टर स्वामीनाथन चंद्रमौली ने अपना घर छोड़ दिया है. डॉक्टर चंद्रमौली बुजुर्गों के इलाज के लिए पूरे मदुरई में चक्कर लगाने के लिए तैयार हैं. घर से निकलकर डॉ. चंद्रमौली मारुति ईको एम्बुलेंस की पैसेंजर सीट पर बैठकर जाते हैं. डॉक्टर चंद्रमौली अपनी ईको को “मिनी आईसीयू” भी कहते हैं. डॉक्टर अपने दिन की शुरुआत एक समय में एक मरीज को देखकर करते हैं. 34 साल के डॉ. चंद्रमौली वरिष्ठ नागरिकों यानि बुजुर्गों को घर पर मेडिकल सेवाएं देते हैं. इसके लिए डॉक्टर एक मोबाइल-हेल्थकेयर मुहिम चलाते हैं जिसे वो “डॉक्टर ऑन व्हील्स” कहते हैं. 16 सितंबर 2019 को डॉक्टर चंद्रमौली और उनकी टीम ने इस मोबाइल हेल्थकेयर की शुरुआत की थी. अब तक डॉक्टर 25,000 से अधिक मरीजों का इलाज कर चुके हैं. डॉक्टर औसतन एक दिन में तमिलनाडु के मदुरई में लगभग 40 बुजुर्ग मरीजों की सेवा करते हैं.

इसे भी पढ़ें: मिलिए ‘अप्पा’ से, जो चेन्नई में एचआईवी पॉज़िटिव बच्चों के लिए शेल्टर चलाते हैं

तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में जन्मे डॉक्टर चंद्रमौली का पालन-पोषण उनकी मां ने अकेले कनाडा में किया था. साल 2006 में अपनी स्कूली शिक्षा को पूरा करने के बाद, मेडिकल की पढ़ाई के लिए भारत लौटे. उन्होंने इमरजेंसी फिजिशियन और डायबिटीज एक्सपर्ट के रूप में काम शुरू किया और भारत में ही काम करने के लिए रुक गए. अपने काम के दौरान डॉक्टर चंद्रमौली को लगा कि भारत में मेडिकल हेल्थ केयर का व्यवसायीकरण हो गया है. इसके साथ-साथ उन्होंने महसूस किया कि हेल्थकेयर में क्वालिटी की भी कमी आ गई है. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर चंद्रमौली ने कम फीस में बेहतर सेवाएं देने का फैसला किया.

डॉक्टर चंद्रमौली याद करते हुए बताते हैं,

मैंने आठ साल तक कॉरपोरेट्स के साथ काम किया लेकिन उस दौरान कोई जुड़ाव महसूस नहीं कर पाया. जल्द ही मुझे एहसास हो गया था कि ये काम मेरे बस की बात नहीं है. मेडिकल फील्ड आज एक बिजनेस बन गया है. मैंने महसूस किया कि आम लोगों को लाभ नहीं मिल रहा था, खासकर वरिष्ठ नागरिक जिनके पास स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पर्याप्त साधन नहीं थे और वे अक्सर अकेले अस्पताल पहुंच रहे थे.

मदुरई में मौजूद डॉक्टर चंद्रमौली

और तभी डॉक्टर चंद्रमौली ने अपनी अच्छी खासी सैलरी वाली कॉरपोरेट नौकरी को अलविदा कहा और वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को आसान बनाने की दिशा में काम करने का फैसला किया. उनका ये प्रयोग अपनी तरह का पहला था.

उन्होंने कहा,

मैंने सोचा, अगर खाने को घर पर पहुंचाया जा सकता है, तो अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं घर तक क्यों नहीं पहुंचाई जा सकती हैं?

पहले दो हफ्तों में डॉक्टर चंद्रमौली को केवल आठ मरीज मिले, जिसके बाद उन्हें अपने फैसले पर आशंका होने लगी. उन्होंने सोचा कि क्या वह अपनी पहल के जरिए जरूरतमंद लोगों तक मदद पहुंचा पाएंगे? इसके बाद उन्होंने मौखिक प्रचार के जरिए, डॉक्टर ऑन व्हील्स की मार्केटिंग शुरू की. इसके बाद कोविड का दौर आया, जो इस पहल के लिए बड़ा गेम चेंजर साबित हुआ. इसके बाद उनके पास ज्यादा मरीज संपर्क करने लगे.

हमने 99 फीसदी की रिकवरी दर के साथ घर पर 700 कोविड-19 के मरीजों का इलाज किया.

इसे भी पढ़ें: चार दशक से वायनाड के आदिवासियों की सेवा कर रहे हैं पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित डॉ. धनंजय दिवाकर सागदेव

अपने काम के बारे में बताते हुए, डॉक्टर चंद्रमौली ने कहा,

पहले मैं केवल इमरजेंसी मामलों को ही देखता था लेकिन मेरे लिए मदुरई के एक छोर से दूसरे छोर तक जाना कठिन है. अब मैं अपॉइंटमेंट के आधार पर मरीजों की देखभाल करता हूं. पूरे दिन आने वाली कॉल्स के आधार पर रात 10 बजे तक हम अगले दिन के लिए एक रूट मैप तैयार करते हैं. ऐसा एक ही इलाके में दिन में दो बार जाने से बचने के लिए किया जाता है.

डॉक्टर चंद्रमौली का मानना है कि वरिष्ठ नागरिक बड़े बच्चों की तरह होते हैं, जिन्हें अन्य मरीजों की तुलना में ज्यादा स्नेह और देखभाल की जरूरत होती है. वे चाहते हैं कि कोई बैठे और उनकी स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के बारे में धैर्य से सुने. मुझे लगता है कि डॉक्टरों को अच्छा श्रोता बनने की जरूरत है, लेकिन स्वास्थ्य के मामले में समय की बहुत बड़ी भूमिका होती है. डॉक्टर चंद्रमौली हर मरीज के साथ करीब 20 से 25 मिनट का समय बिताते हैं, उनकी समस्याओं को समझते हैं और इलाज की सलाह देते हैं. परामर्श के बाद डॉक्टर्स दो से तीन घंटों के अंदर बुजुर्ग मरीजों तक जरूरी दवाएं पहुंचा देते हैं. अगर किसी इलाज के दौरान मेडिकल टेस्ट की जरूरत होती है, तो टीम घर पर टेस्ट की सर्विस दी जाती है. उन्होंने कहा,

हम अपने स्तर पर जो कुछ भी कर रहे हैं, वो अस्पताल की जगह तो नहीं ले सकता है. किसी भी इमरजेंसी केस में एक अस्पताल में ही बेहतर इलाज हो सकता है. हम इस तरह के इलाज को उन लोगों के लिए दोहरा सकते हैं जो इसका खर्च नहीं उठा सकते हैं. हम अपने दो स्तरीय अस्पताल में हर संभव सुविधा देने की कोशिश करते हैं.

डॉक्टर स्वामीनाथन चंद्रमौली अपनी टीम के साथ

उदाहरण के लिए, नवंबर 2023 में, अलागरसामी कीलावसल की 90 वर्षीय मां को कम्युनिटी एक्वायर निमोनिया हो गया था. उनकी मां पहले से क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी बीमारी से पीड़ित थीं. तो अलागरसामी ने डॉक्टर चंद्रमौली को फोन किया. इसके बाद हमने उनकी वृद्ध मां का घर पर इंट्रावेनस एंटीबायोटिक दवाओं और एक गैर-इनवेसिव वेंटिलेशन (एनआईवी) मशीन के जरिए इलाज किया. इलाज के बाद वह ठीक हो गईं. कीलावासल याद करते हुए कहते हैं,

अगले महीने मेरी मां को यूरेनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) हो गया था, मैंने फिर से डॉक्टर चंद्रमौली को बुलाया. गहन जांच और जरूरी टेस्ट के बाद, मां को कुछ दवाएं दी गईं और वो तीन से चार दिनों में ठीक हो गईं. डॉक्टर बहुत दयालु है, वह आधी रात को भी आते हैं.

इसे भी पढ़ें: सुंदरबन के ग्रामीण हिस्सों में मुफ्त स्वास्थ्य सेवा के साथ ‘सभी के लिए स्वास्थ्य’ सुनिश्चित कर रहे हैं यह पद्म पुरस्कार विजेता

जब कुछ केस में दूसरी राय की जरूरत होती है तो डॉक्टर चंद्रमौली अपने साथी डॉक्टर्स से कॉल पर सलाह लेते हैं. अगर किसी मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है, तो वह मुफ्त में एम्बुलेंस की सर्विस भी देते हैं.

घर जाकर दी जाने वाली अपनी सर्विस के लिए, डॉक्टर चंद्रमौली 300 से 800 रुपये तक लेते हैं. उन्होंने बताया कि फीस की कीमत मरीज की फाइनेंशियल सुरक्षा और यात्रा की दूरी पर भी निर्भर करता है. सुरक्षा और मरीज तक की दूरी के आधार पर वो अपनी फीस चार्ज करते हैं. उन्होंने कहा,

अगर मैं लोगों का मुफ्त इलाज करूंगा तो मेरी सेवाओं की सराहना नहीं की जाएगी. 30 फीसदी बुजुर्गों के इलाज के मामलों में किसी तरह की कोई फीस नहीं ली जाती है. उनका मुफ्त इलाज किया जा सकता है. हमारे पास सभी तरह की सामाजिक-आर्थिक हालातों वाले मरीज आते हैं.

मदुरई में डॉक्टर स्वामीनाथन मरीज का इलाज करते हुए

इस मुहिम से जुड़े, डॉक्टर चंद्रमौली और दूसरे हेल्थ वॉरियर अपने निजी और पारिवारिक समय से समझौता करते हैं. डॉक्टर और दूसरा स्टाफ रोजाना 12 घंटे से अधिक काम करते हैं. डॉक्टर चंद्रमौली अपने काम और सफलता का श्रेय पत्नी और बेटे को देते हैं, जो उनसे अक्सर नहीं मिल पाते लेकिन उनका परिवार हमेशा उनका समर्थन करता रहता है. उन्होंने कहा,

बुजुर्गों के चेहरों पर मुस्कान देखकर मेरा दिल खुश हो जाता है. लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और उनकी मदद करने में मुझे अपार खुशियां मिलती हैं.

मदुरई में रहने वाले लोगों के लिए डॉक्टर चंद्रमौली काफी मददगार साबित हो सकते हैं. डॉक्टर चंद्रमौली से मोबाइल नंबर +91 9942362310 पर संपर्क किया जा सकता है. इसी नंबर पर मरीज घर बैठे अपने लिए अपॉइंटमेंट ले सकते हैं. इसके अलावा मदुरई के मरीज हेल्पलाइन नंबर +91 7094312185 भी डायल कर सकते हैं.

इसे भी पढ़ें: अब ‘खुशी बेबी’ ऐप के साथ बस एक क्लिक दूर है हेल्थकेयर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version