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मासिक धर्म की थीम पर बना है कोलकाता का यह दुर्गा पूजा पंडाल
कोलकाता में दुर्गा पूजा बहुत धूमधाम से मनाई जाती है और इस मौके पर अक्सर पंडाल सजाने के लिए इंटरेस्टिंग थीम अपनाई जाती है. इस बार एक पूजा पंडाल ने लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए मासिक धर्म को एक थीम के तौर पर इस्तेमाल किया है
नई दिल्ली: कोलकाता का ‘पाथुरीघाट पंचर पल्ली’ दुर्गा पूजा पंडाल मासिक धर्म से जुड़े सामाजिक मानदंडों और वर्जनाओं को चुनौती देते हुए अपनी अनूठी थीम के साथ दुर्गा पूजा का जश्न मना रहा है. पूरे हॉल में खून के धब्बे दिखाने वाली कलाकृतियों, मेंसुरेशन यानी मासिक धर्म के विषय से जुड़ी हर जानकारी पर रोशनी डालने वाले पोस्टर लगाए गए है. इस पंडाल ने नारी शक्ति का जश्न मनाने के लिए ऋतुमती (Menstrual Hygiene) की एक अनूठी थीम को अपनाया है.
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#WATCH | West Bengal: A puja committee in Kolkata has made a Durga Puja pandal based on the theme of menstrual hygiene. pic.twitter.com/91JPBozuKy
— ANI (@ANI) October 12, 2023
एनडीटीवी से बात करते हुए पूजा ऑर्गेनाइजर एलोरा साहा ने कहा,
मासिक धर्म हमारे समाज में हमेशा से एक दबी जुबान में बात करने वाला विषय रहा है. लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए. दुर्गा पूजा देवी दुर्गा के बारे में है जो नारी शक्ति को दर्शाती है, अगर हम अपने रोजमर्रा के जीवन में नारी का सम्मान नहीं करते हैं तो दुर्गा पूजा मनाने का जो मकसद है वो कहीं पीछे छूट जाता है. इसलिए हमने इसे एक थीम के तौर पर अपनाकर जनता को जागरूक करने का निर्णय लिया है.
वह आगे कहती हैं,
आज इस युग में भी, मासिक धर्म से संबंधित बहुत सारी वर्जनाएं (Taboos) समाज में मौजूद हैं. कई घरों में आज भी महिलाओं को उन दिनों के दौरान रसोई में जाने की इजाजत नहीं होती, बिस्तर पर लेटने की इजाजत नहीं होती और उनसे एक अछूत व्यक्ति की तरह व्यवहार किया जाता है. ऐसा नहीं होना चाहिए, जीवन के हर पहलू में महिलाओं का सम्मान किया जाना चाहिए.
एलोरा साहा ने यह भी कहा कि मासिक धर्म एक सामान्य बायोलॉजिकल प्रोसेस है और हमें इसे समझना चाहिए. उन्होंने साथ में जोड़ा,
यह मानव सभ्यता यानी ह्यूमन सिविलाइजेशन का बेसिक सिस्टम है और फिर भी इसके साथ सैकड़ों वर्जनाएं जुड़ी हुई हैं. कोलकाता में दुर्गा पूजा बहुत धूमधाम से मनाई जाती है और अक्सर पंडाल सजावट के लिए दिलचस्प थीम को अपनाते हैं. इस बार, हमने मासिक धर्म को थीम के तौर पर अपनाने का फैसला किया है और मैं लोगों की प्रतिक्रिया देखकर आश्चर्यचकित हूं. बुजुर्ग लोगों से लेकर युवा पीढ़ी तक, पुरुष, महिलाएं और बच्चे, हर कोई हमारे पंडाल में आ रहा है और इस विषय के बारे में लोगों को जागरूक करने के हमारे आइडिया को सभी सपोर्ट कर रहे हैं.
इस प्रोजेक्ट के मेन आर्टिस्ट मानश रॉय ने ANI से बात करते हुए पंडाल की सजावट के बारे में बताते हुए कहा,
हमारा आइडिया हर संभव तरीके से मासिक धर्म से जुड़ी जानकारी को सामने लाना था. हमने कला के माध्यम से मासिक धर्म स्वच्छता और इसके चक्र पर फोकस किया.
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अधिकारियों के मुताबिक इस पंडाल के निर्माण, पेंटिंग और ग्राफिक्स के इंस्टोलेशन में तीन महीने लगे और लगभग 18 लाख रुपये का खर्च हुआ है.