NDTV-Dettol Banega Swasth Swachh India NDTV-Dettol Banega Swasth Swachh India
    • Home/
    • ताज़ातरीन ख़बरें/
    • द केरल स्टोरी: भारत के इस राज्‍य ने पेश की मेंस्ट्रुअल हाइजीन मैनेजमेंट की अनूठी मिसाल

    ताज़ातरीन ख़बरें

    द केरल स्टोरी: भारत के इस राज्‍य ने पेश की मेंस्ट्रुअल हाइजीन मैनेजमेंट की अनूठी मिसाल

    मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के मामले में केरल किस तरह आगे बढ़ रहा है और पूरा देश इस राज्य से क्या सीख सकता है, इस पर एक नज़र

    Read In English
    द केरल स्टोरी: भारत के इस राज्‍य ने पेश की मेंस्ट्रुअल हाइजीन मैनेजमेंट की अनूठी मिसाल
    केरल आज भारत में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन में सबसे बेहतर राज्‍य माना जाता है

    नई दिल्ली: केरल में विभिन्न मासिक धर्म स्वच्छता कार्यक्रमों को चलाने वाले राज्‍य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने एक महत्वपूर्ण नियम को प्रचलित किया है, “मासिक धर्म स्वच्छता लड़कियों के लिए एक मौलिक अधिकार है.”

    इसके चलते केरल आज भारत में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन में सबसे बेहतर राज्‍य माना जाता है. वह इस मामले में अपनी कई अनूठी पहलों के लिए जाना जाता है – जैसे कि यह सभी राज्य विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाली छात्राओं को मासिक धर्म की छुट्टी देने वाला एकमात्र राज्य है. छात्राओं को सेनेटरी नैपकिन मुहैया कराने के लिए राज्य के सभी स्कूलों में सेनेटरी वेंडिंग मशीनें लगाने और सेनेटरी नैपकिन का एक इको फ्रेंडली, टिकाऊ और किफायती विकल्प के रूप में मेंस्ट्रुअल कप के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 10 करोड़ रुपये की राशि देने जैसे प्रगतिशील और अनूठे कदम केरल सरकार ने उठाए हैं.

    मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के लिए केरल द्वारा द्वारा उठाए गए कुछ महत्वपूर्ण कदम इस प्रकार हैं:

    1. केरल स्‍टेट यूनिवर्सिटीज की छात्राओं को मेंस्ट्रुअल लीव देने वाला देश का राज्य

    केरल सरकार ने इस साल की शुरुआत में जनवरी में यह घोषणा की कि उच्च शिक्षा विभाग के तहत आने वाले सभी राज्य विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाली छात्राओं को मेंस्ट्रुअल लीव यानी मासिक धर्म की छुट्टी दी जाएगी. उच्च शिक्षा मंत्री, आर बिंदु ने उस समय के फैसले की घोषणा करते हुए कहा,

    लड़कियों को उनके माहवारी के मुश्किल भरे दिनों में आराम करने दें.

    मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने सोशल मीडिया पर एक ट्वीट में कहा, “एक बार फिर, केरल देश के लिए एक मॉडल पेश करता है. हमारे उच्च शिक्षा विभाग के तहत सभी संस्थानों की छात्राओं को मासिक धर्म और मातृत्व अवकाश प्रदान किया जाएगा.”

    हालांकि यह कदम हाल ही में उठाया गया है, लेकिन मासिक धर्म की छुट्टी का विचार राज्य के लिए नया नहीं है. इतिहासकार पी भास्करानुन्नी द्वारा लिखित किताब “19वीं शताब्दी में केरल” के अनुसार 1912 में कोचीन (वर्तमान में एर्नाकुलम जिले) में स्थित त्रिपुनिथुरा में सरकारी गर्ल्स स्कूल ने छात्राओं को उनकी वार्षिक परीक्षा के समय माहवारी होने पर ‘पीरियड लीव’ लेने की अनुमति दी थी और उन्‍हें बाद में परीक्षा देने की अनुमति दी गई थी,

    इसे भी पढ़ें: मिलिए कश्मीर की ‘पैडवुमन’ से, जो सेनेटरी नैपकिन बना रही हैं और मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में ग्रामीण महिलाओं को जागरूक कर रही हैं

    2. नॉन-बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन से छुटकारे के लिए केरल की ग्रीन फाइट

    हाल ही में केरल के दो गाँव – एर्नाकुलम में कुंबलंगी और अलप्पुझा जिले में मुहम्मा सैनिटरी नैपकिन मुक्त हो गए हैं, राज्य द्वारा पंचायत-स्तर पर चलाए जाने वाले स्थायी मासिक धर्म अभियानों के तहत ग्रीन मोमेंटम को जारी रखते हुए गैर-बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन कचरे से छुटकारा पाने के लिए मेंस्ट्रुअल कप और कपड़े के पैड वितरित किए गए. इस वर्ष के राज्य के बजट आवंटन में इसके लिए विशेष रूप से 10 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.

    इस अभियान की घोषणा करते हुए, वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने अपने बजट भाषण में कहा,

    स्कूलों, कॉलेजों और कार्यस्थलों पर सरकार के स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम और अभियान चलाए जाएंगे. इसके लिए 10 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है.

    2022 में राज्य ने अपने ‘कप ऑफ लाइफ’ अभियान के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी जगह बनाई. इसे एक योजना के तहत केरल के एर्नाकुलम जिले में लागू किया गया और एक साथ 126 स्थानों पर 1 लाख से अधिक मेंस्ट्रुअल कप मुफ्त में वितरित करके केरल ने एक नया इतिहास रच दिया.

    3. सभी स्कूलों में लगाई सेनेटरी वेंडिंग मशीन

    छात्राओं को आसानी से सेनेटरी नैपकिन मुहैया कराने लिए और राज्य में मासिक धर्म स्वच्छता जागरूकता को बढ़ाने के लिए अपने एक हालिया कदम के तहत केरल सरकार ने राज्य भर के सभी स्कूलों में सेनेटरी वेंडिंग मशीन लगाने की घोषणा की. सोशल मीडिया पर इस कदम की घोषणा करते हुए सीएम विजयन ने एक ट्वीट में कहा,

    राज्य सरकार ने मासिक धर्म स्वच्छता को लड़कियों के मौलिक अधिकार के रूप में लागू करते हुए केरल के सभी स्कूलों में सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन स्थापित करने का निर्णय लिया है. इस परियोजना का उद्देश्य वर्जनाओं को तोड़ना, स्वास्थ्य को बढ़ावा देना और हमारी लड़कियों को आत्मविश्वास के साथ ऊंची उड़ान भरने के लिए सशक्त बनाना है.

    4. प्रसिद्ध ‘शी पैड’ अभियान के तहत मुफ्त सैनिटरी पैड देना

    मासिक धर्म स्वच्छता को प्राथमिकता देने और लड़कियों को सशक्त बनाने के मामले में केरल का काफी बेहतरीन ट्रैक रिकॉर्ड रहा है. राज्‍य सरकार ने 2017 में कक्षा 6 से 12 तक पढ़ने वाली लड़कियों के बीच मेंस्ट्रुअल हाइजीन सुनिश्चित करने के लिए राज्य में ‘शी पैड’ योजना शुरू की थी. इसके तहत सरकार ने स्थानीय स्वयं सहायता समूहों के सहयोग से राज्य के सभी सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में मुफ्त सैनिटरी पैड देना शुरू किया.

    मेंस्ट्रुअल हाइजीन के आंकड़े सुनाते हैं राज्‍य की उपलब्धियों की कहानी

    मासिक धर्म स्वच्छता पर अंतिम उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार – राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5, 2019-2020 को कवर करते हुए, केरल में सैनिटरी नैपकिन, टैम्पोन और मेंस्ट्रुअल कप का वितरण NFHS-4 के 90 प्रतिशत से बढ़कर NFHS-5 में 93 प्रतिशत हो गया. रिपोर्ट के मुताबिक सैनिटरी नैपकिन राज्य में मासिक धर्म की सुरक्षा के लिए प्रमुख रूप से इस्तेमाल की जाने वाली विधि थी. इसका उपयोग अनुसूचित जनजातियों में 86.1 प्रतिशत और अनुसूचित जातियों में 88.1 प्रतिशत रहा.

    इसे भी पढ़ें: मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) और उससे जुड़ी स्वास्थ्य जटिलताओं को समझें और जानें

    यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (यूडीआईएसई) प्लस 2021-22 की रिपोर्ट के अनुसार केरल को छोड़कर पूरे भारत में सभी स्तरों पर लड़कियों की ड्रॉपआउट (पढ़ाई छोड़ने) की दर लड़कों की तुलना में अधिक है. रिपोर्ट के अनुसार, 2020-21 और 2021-22 के बीच केरल में एक भी छात्रा ने पढ़ाई नहीं छोड़ी. विशेषज्ञों का मानना है कि अच्छे मेंस्ट्रुअल हाइजीन का राज्य में लड़कियों की शिक्षा के बेहतरीन आंकड़ों से सीधा संबंध है, क्योंकि जब एक शिक्षित लड़की मां बनती है, तो उनकी संतानें भी निश्चित रूप से शिक्षित होती हैं. साथ ही इससे बच्‍चों को अच्‍छा पालन-पोषण मिलने, बेहतर बुनियादी स्वास्थ्य सुविधा, बेहतर शिक्षा और ज्‍यादा प्रति व्यक्ति आय के रूप में भी इसके सकारात्‍मक परिणाम देखने को मिलते हैं.

    इन दोनों चीजों के बीच संबंध पर विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि मुफ्त स्वच्छता उत्पादों के साथ पर्याप्त मेंस्ट्रुअल हाइजीन और लड़कों और लड़कियों को शिक्षा, स्वास्थ्य, कल्याण के समान अवसरों को सुनिश्चित करने के लिए स्कूली स्‍तर पर उठाए जाने वाले कदम काफी सकारात्मक और महत्वपूर्ण साबित होते हैं. इसका परिणाम समाज में लड़कियों की स्थिति में परिवर्तन और उत्थान के रूप में देखने को मिलता है.

    इसे भी पढ़ें: Opinion: खराब मेन्स्ट्रूअल हाईजीन से सर्वाइकल कैंसर का खतरा बढ़ता है

    Highlights Of Season 9 Finale

    Reckitt’s Commitment To A Better Future

    India’s Unsung Heroes

    Women’s Health

    हिंदी में पढ़ें

    This website follows the DNPA Code of Ethics

    © Copyright NDTV Convergence Limited 2023. All rights reserved.