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मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) और उससे जुड़ी स्वास्थ्य जटिलताओं को समझें और जानें

रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) महिला के जीवन में एक पड़ाव है जो उसके मासिक धर्म चक्र के अंत का संकेत है

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मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) और उससे जुड़ी स्वास्थ्य जटिलताओं को समझें और जानें
पेरिमेनोपॉज और मेनोपॉज दोनों ट्रांजिशनल फेज हैं, जो एक महिला के प्रजनन वर्षों के अंत का संकेत देते हैं

नई दिल्ली: “मुझे ‘ब्रेन फॉग’ था और ध्यान केंद्रित कर पाना कठिन हो रहा था.” “सारी रात पसीना, चिंता, मैं रो रही थी – मैं रोना बंद ही नहीं कर पा रही थी।” – ये उन महिलाओं के कुछ किस्से हैं जिन्होंने अपने जीवन में मेनोपॉज का अनुभव किया है. मेनोपॉज एक महिला के जीवन में एक ऐसा चरण है जब उसका मासिक धर्म चक्र बंद हो जाता है. यह एक महिला के प्रजनन वर्षों के खत्म होने का संकेत देता है और आमतौर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार बायोलॉजिकल एजिंग के नेचुरल पार्ट के रूप में 45 से 55 साल की उम्र के बीच होता है. इंडियन मेनोपॉज सोसाइटी (IMS) के अनुसार, भारत में 150 मिलियन महिलाएं मेनोपॉज के साथ जी रही हैं. लेकिन विषय पर कितनी बार चर्चा की जाती है? मासिक धर्म स्वच्छता दिवस 2023 पर हम मेनोपॉज की मिस्ट्री से पर्दा उठाएंगे.

मेनोपॉज के बारे में समझने के लिए 5 बातें:

1. पेरिमेनोपॉज और मेनोपॉज दोनों ट्रांजिशनल फेज हैं, जो एक महिला के प्रजनन वर्षों के अंत का संकेत देते हैं. पेरिमेनोपॉज का अर्थ है ‘मेनोपॉज के आसपास’ और यह 30 के दशक के मध्य से लेकर 50 के दशक के मध्य तक कहीं भी शुरू हो सकता है. इस समय के दौरान, अंडाशय कम हार्मोन का उत्पादन करते हैं जिससे मासिक धर्म चक्र अनियमित हो जाता है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि बिना पीरियड के सीधे 12 महीने बीत जाने के बाद महिलाएं पेरिमेनोपॉज स्टेज से मेनोपॉज में आ जाती हैं.

2. पेरिमेनोपॉज आमतौर पर मेनोपॉज से 8-10 साल पहले शुरू होता है. लेंथ अलग-अलग होती है, लेकिन औसतन यह 4 वर्ष है. इंडियन मेनोपॉज सोसाइटी (2023-2024) की सीनियर प्रैक्टिसिंग गायनेकोलॉजिस्ट और नेशनल प्रेसिडेंट डॉ पुष्पा सेठी का कहना है कि महिलाएं औसतन 46.7 साल (प्लस या माइनस एक से दो साल) की उम्र में मेनोपॉज से गुजरती हैं.

3. WHO के अनुसार, मेनोपॉज के लक्षणों में शामिल हैं:

  • हॉट फ्लशेस और रात को पसीना. हॉट फ्लश यानी चेहरे, गर्दन और छाती पर अचानक गर्म फील करना. कई बार ये त्वचा पर फ्लशिंग, पसीना, तेज धड़कन और तीव्र शारीरिक असहजता महसूस करने के साथ शुरू होता है जो कई मिनट तक रह सकता है;
  • मासिक धर्म चक्र की नियमितता और प्रवाह में परिवर्तन, मासिक धर्म की समाप्ति;
  • योनि में सूखापन, संभोग के दौरान दर्द;
  • सोने में कठिनाई;
  • मूड़ में चेंज, डिप्रेशन और/या अनेक्सिटी

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4. डॉ. पुष्पा सेठी कहती हैं, मेनोपॉज से जुड़े फिजिकल रिस्क में एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट के कारण कैल्शियम लॉस शामिल है. इसके कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। उन्होंने कहा,

एस्ट्रोजन की कमी से हृदय संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं. महिलाओं को वजन बढ़ने, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसे शारीरिक परिवर्तन और यहां तक कि रात में नींद की कमी, अवसाद जैसे मनोवैज्ञानिक इश्यू का भी अनुभव हो सकता है.

5. मेनोपॉज से जुड़े हृदय संबंधी जोखिमों के बारे में बताते हुए कार्डियो-डायबिटीज सोसाइटी ऑफ इंडिया के नेशनल प्रेसिडेंट इलेक्ट, डॉ. अशोक तनेजा ने कहा,

एस्ट्रोजेन की कमी से कोलेस्ट्रॉल का निर्माण होता है जिससे हृदय और रक्त वाहिकाओं में अधिक रुकावट आती हैं. यह ब्लड शुगर के स्तर को भी बढ़ा सकता है जिसकी वजह से डायबिटीज होती है

मेनोपॉज के दौरान अपने दिल, हड्डियों और शरीर को कैसे प्रोटेक्ट करें

1. डॉ. अशोक तनेजा कुछ सावधानियां सुझाते हैं जिनका पालन सभी महिलाएं जटिलताओं से बचने के लिए कर सकती हैं. वह शरीर और मन दोनों के डिटॉक्सिफिकेशन का सुझाव देते हैं. वह कहते हैं,

डाइट के जरिए बॉडी डिटॉक्सिफिकेशन हासिल किया जा सकता है. कार्बोहाइड्रेट और वसा कम करें और अपने आहार में प्रोटीन बढ़ाएं. अपने ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और लिपिड को नियंत्रण में रखने के लिए रिफाइंड नमक, चीनी और आटे से बचें. महिलाओं को रोजाना 10,000 कदम चलना चाहिए और व्यायाम भी करना चाहिए.

2. मेनोपॉज के कारण बोन मास और डेंसिटी लॉस को रोकने के बारे में बात करते हुए फोर्टिस हॉस्पिटल के बोन एंड जॉइंट स्पेशलिस्ट डॉ. सिद्धांत नरूला ने कहा,

हार्मोनल चेंज से हड्डियों का द्रव्यमान यानी बोन मास और हड्डियों का घनत्व यानी डेंसिटी कम हो जाती है जिससे फ्रैक्चर और हड्डी में दर्द का खतरा बढ़ सकता है. इससे बचने के लिए महिलाओं को अपना मसल मास बरकरार रखना चाहिए. उनको आहार में प्रोटीन बढ़ाना चाहिए; रेसिस्टेंस ट्रेनिंग हफ्ते में तीन से चार बार करें; विटामिन डी और कैल्शियम सप्लीमेंट लें.

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3. फोर्टिस हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. सचिन धवन के अनुसार, मेनोपॉज के बाद के लक्षणों में त्वचा और बालों का रूखापन शामिल है; बाल झड़ना; महिलाओं के चेहरे पर बालों में बढ़ोतरी हो सकती है. वह कहते हैं, “महिलाओं को एलर्जी होने का खतरा अधिक हो सकता है. कुछ महिलाओं को मुंहासे या पिगमेंटेशन हो जाता है. डॉ. धवन मेनोपॉज स्टेज से पहले सावधानी बरतने का सुझाव देते हैं और कहते हैं,

अपने बालों के लिए बायोटिन और कोलेजन जैसे सप्लीमेंट्स लें. त्वचा के लिए विटामिन ई और ओमेगा 3 सप्लीमेंट लें. व्यायाम करने से त्वचा और बालों में रक्त की आपूर्ति बढ़ जाती है. यह त्वचा को पतला होने से रोकता है और आपको एक चमक देता है, इसलिए सुनिश्चित करें कि आप खूब व्यायाम करें.

4. विशेषज्ञ मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखने की सलाह देते हैं क्योंकि मेनोपॉज के कारण मूड स्विंग, चिंता और कुछ मामलों में अवसाद भी हो सकता है.

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