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जानिए कीटाणुओं से लड़ना और स्वस्थ भारत का निर्माण करना क्‍यों है जरूरी

कीटाणुओं से लड़ने के महत्व और हाथ धोने और अच्छी स्वच्छता की हो रही है कमी

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नई दिल्ली: जर्म्‍स हर जगह हैं – चाहे हमारे इन्वायरमेंट में हों या हमारी बॉडी में. आम शब्दों में, जर्म्‍स मूल रूप से छोटे जीव या जीवित चीजें हैं, जो हयूमन बॉडी में बीमारी का कारण बनते हैं. ये इतने छोटे और डरपोक होते हैं कि बिना देखे ही हमारे शरीर में आ जाते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है, “जब कोई व्यक्ति अतिसंवेदनशील होता है और वे हानिकारक कीटाणुओं का सामना करते हैं, यह बीमारी और मृत्यु का कारण बन सकता है.” विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि सभी रोगाणु हानिकारक नहीं होते हैं, लेकिन उनसे सावधान रहने की जरूरत है जो शरीर के नेचुरल डिफेंस मेकनिज़म – इम्‍युन सिस्‍टम को नुकसान पहुंचा सकते हैं और हानिकारक बीमारियों का कारण बन सकते हैं.

डब्ल्यूएचओ कहता है कि हाथ जर्म्‍स ट्रांसमिशन का मुख्‍य रास्‍ता हैं और इस प्रकार इंफेक्‍शन के प्रसार से बचने और लोगों को स्वस्थ रखने के लिए हाथों की सफाई सबसे अहम है. लेकिन दुर्भाग्य से, दुनिया भर में अभी भी हजारों लोग खराब स्वच्छता के कारण मौत के मुंह में जा रहे हैं.

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हाथ धोना – कीटाणुओं से लड़ने का सबसे किफायती तरीका

“अपने हाथ धोएं” – हेल्‍दी लाइफ के लिए ये तीन सबसे महत्वपूर्ण चीजें हैं और जब से 100 वर्षों में दुनिया में आने वाली सबसे खराब महामारी COVID-19 आई है, हाथ धोने का महत्व बढ़ गया है. उन तथ्यों पर तुरंत नज़र डालें जो सुझाव देते हैं कि जर्म्‍स से लड़ने के लिए हाथ धोना सबसे अधिक कोस्‍ट-इफेक्टिव तरीका है:

  • डब्ल्यूएचओ के अनुसार, टॉयलेट जाने के बाद या खाने से पहले हाथ धोने से बच्चों को दस्त होने का खतरा 40 प्रतिशत से अधिक कम हो सकता है. जबकि, यूनिसेफ का कहना है कि हाथ धोने से COVID-19 इंफेक्‍शन की संभावना 36 प्रतिशत तक कम हो सकती है.
  • सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का कहना है कि अगर हर कोई रेगुलर हाथ धोता है, तो एक साल में 10 लाख मौतों को रोका जा सकता है. इसमें यह भी कहा गया है कि खाद्य जनित रोग ज्‍यादातर हाथ गंदे होने के कारण फैलते हैं और केवल हाथ धोने से खाद्य जनित बीमारी और अन्य संक्रमणों के जोखिम को कम किया जा सकता है. इसमें यह भी कहा गया है कि हाथ धोने से सामान्य आबादी में सर्दी जैसी सांस की बीमारियों के खतरे को 16-21% तक कम किया जा सकता है.
  • डब्ल्यूएचओ के अनुमान के अनुसार, 2019 में 5 वर्ष से कम उम्र के अनुमानित 5.2 मिलियन बच्चों की मृत्यु ज्यादातर रोके जाने योग्य और उपचार योग्य कारणों से हुई. इसमें आगे कहा गया है कि 1.5 मिलियन मौतें 1 से 11 महीने की उम्र के बच्चों की हुईं, जबकि 1 से 4 साल की उम्र के बच्चों में 1.3 मिलियन मौतें हुईं, जबकि बाकि 24 लाख मौतें नवजात शिशुओं (28 दिनों से कम) की हुईं. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि 2019 में पांच साल से कम उम्र के लोगों की आधी मौतें सिर्फ पांच देशों नाइजीरिया, भारत, पाकिस्तान, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और इथियोपिया में हुईं. और अकेले नाइजीरिया और भारत में सभी मौतों का लगभग एक तिहाई हिस्सा था. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि 5 साल से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु के प्रमुख कारणों में समय से पहले जन्म की जटिलताएं, निमोनिया, जन्मजात विसंगतियां, दस्त और मलेरिया हैं, जिनमें से सभी को सरल, सस्‍ते इलाज से रोका जा सकता है जिसमें हाथ धोने, अच्छी स्वच्छता, पर्याप्त पोषण, सुरक्षित पानी और भोजन शामिल हैं.

यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ दोनों का कहना है कि रेगुलर ‘हाथ धोना’ कीटाणुओं को किसी के शरीर में प्रवेश करने से रोकने का सबसे अच्छा तरीका है. वे इस बात की सिफारिश करते हैं कि बाथरूम का यूज करने के बाद हाथ गंदे होने पर साबुन और पानी से धीरे-धीरे 20 तक गिनती करते हुए हाथ धोने चाहिए.

डब्ल्यूएचओ दुनिया के नेताओं को हाथ की स्वच्छता में इंवेस्‍ट के लिए एक स्पष्ट आह्वान देता है और कहता है कि अगर विश्व के नेता हाथ धोने में निवेश नहीं करते हैं, तो हम दुनिया भर में हर साल पांच साल से कम उम्र के दस लाख से अधिक बच्चों को अनावश्यक रूप से मरते हुए देखेंगे. साबुन या अल्कोहल-बेस्‍ड हैंड रब से हाथों को अच्छी तरह से साफ करने से कई तरह की बीमारियों को रोकने में मदद मिलती है, जिसमें विश्व स्तर पर अंडर-फाइव्स के सबसे बड़े हत्यारे निमोनिया और दस्त शामिल हैं.

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लेकिन सुरक्षित हाथ धोना एक चुनौती है

यूनिसेफ के अनुसार, वैश्विक स्तर पर, 10 में से तीन लोगों या 2.3 बिलियन लोगों के पास घर पर उपलब्ध पानी और साबुन से हाथ धोने की सुविधा नहीं है. इसने यह भी कहा कि कम से कम विकसित देशों में स्थिति सबसे खराब है, 10 में से छह लोगों के पास हाथ की बुनियादी स्वच्छता तक पहुंच नहीं है. इसमें आगे कहा गया है कि नवीनतम अनुमानों के अनुसार, दुनिया भर में पांच में से दो स्कूलों में पानी और साबुन के साथ बुनियादी स्वच्छता सेवाएं नहीं हैं, जिससे 818 मिलियन छात्र प्रभावित होते हैं, जिनमें से 462 मिलियन बिना किसी सुविधा के स्कूलों में जाते हैं.

अगर हम जर्म्‍स का मुकाबला करते हैं, तो कुछ रोगों को रोका जा सकता है

हेल्‍थ एक्‍सपर्ट का कहना है कि डायरिया, कुपोषण, कृमि संक्रमण, हैजा, हेपेटाइटिस ए जैसी बीमारियों से केवल हाथ की स्वच्छता पर ध्यान देकर लड़ा जा सकता है, जो कई लोगों की जान ले लेता है.

डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि दुनिया भर में बच्चों के कुपोषण के 50% मामले बार-बार होने वाले दस्त और खराब स्वच्छता की स्थिति या सुरक्षित पानी की कमी के कारण आंतों में इंफेक्‍शन के कारण होते हैं. भारत में, 2002 से 2017 तक के रुझानों के अनुसार, 12 मई, 2020 को द लैंसेट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, मातृ कुपोषण के कारण 5 वर्ष से कम आयु के 68% बच्‍चों की मौतें हुई थी. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि अच्छा पोषण देने और बनाए रखने और इन बीमारियों से लड़ने के लिए साबुन से हाथ धोना महत्वपूर्ण है.

डब्ल्यूएचओ यह भी कहता है कि शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि हर साल हैजा के 1.3 से 4 मिलियन मामले होते हैं, और हैजा के कारण दुनिया भर में 21,000 से 1,43,000 मौतें होती हैं. इसमें कहा गया है कि अगर हाथ धोने और अच्छी स्वच्छता को अप्‍लाई किया जाए तो इस बीमारी को आसानी से रोका जा सकता है.

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