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‘स्वच्छता की पाठशाला’ बच्चों को सिखा रही है स्वस्थ जीवनशैली

‘डेटॉल-बनेगा स्वस्थ इंडिया’ ने पूर्व क्रिकेटर सुरेश रैना, माते (Indian baby care brand)की को-फाउंडर प्रियंका रैना और प्लान इंडिया के कार्यकारी निदेशक मोहम्मद आसिफ के साथ बच्चों के बीच हाथों की स्वच्छता का संदेश फैलाने के लिए एक विशेष ‘स्वच्छता की पाठशाला’ का आयोजन किया

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नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा हर साल 5 मई को विश्व हाथ स्वच्छता दिवस मनाया जाता है. डब्ल्यूएचओ ने 2009 में “सेव लाइव्स: क्लीन योर हैंड्स” नामक इस ग्लोबल कैंपेन की शुरुआत की, जो आगे चलकर विश्व हाथ स्वच्छता दिवस के रूप में एक सालाना आयोजन बन गया. हाथ की स्वच्छता हर साल लाखों लोगों की जान बचाने में कारगर साबित हुई है. यह इंफेक्शन को रोकने और रोगाणुरोधी प्रतिरोध यानी एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस का सबसे अच्छा तरीका है. इस वर्ष, डब्‍ल्‍यूएचओ (WHO) ने सुरक्षा और गुणवत्ता की संस्कृति के निर्माण का आह्वान किया है, जिसमें हाथ की स्वच्छता में सुधार को काफी तरजीह दी गई है.

इस दिन को मनाने के लिए, डेटॉल-बनेगा स्वस्थ इंडिया ने पूर्व क्रिकेटर सुरेश रैना के साथ एक विशेष ‘स्वच्छता की पाठशाला’ का आयोजन किया, ताकि बच्चों के बीच हाथ की स्वच्छता के संदेश को पहुंचाया जा सके. किसी भी बदलाव के लिए बच्चों से बेहतर कोई जरिया नहीं है, क्योंकि वे घर और समुदाय में संदेश फैलाने का काम करते हैं.

रैना ने उनसे बीमार पड़ने से बचने, कीटाणुओं को दूर रखने और दूसरों को कीटाणुओं के फैलाव से बचने के लिए नियमित रूप से हाथ धोने के महत्व के बारे में बताया.

पाठशाला में माते की सह-संस्थापक प्रियंका रैना और प्लान इंडिया के कार्यकारी निदेशक मोहम्मद आसिफ भी शामिल हुए.

पाठशाला में मजेदार खेलों को भी शामिल किया गया, जिनके जरिये छात्रों को अच्छी तरह से हाथ की सफाई करने के बारे में बताया गया. उन्होंने ‘साँप सीढ़ी’ खेलकर शुरुआत की. इस खेल में बच्चों को पासा फेंक कर लक्ष्य तक पहुंचना था. इसमें सेहत से जुड़ी अच्छी आदतें सीढ़ी के रूप में थीं और बुरी आदतें सांप के रूप में प्रदर्शित की गई थीं.

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रैना ने कहा कि बच्चों में स्वस्थ आदतें डालने में स्कूल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

मुझे यकीन है कि यह पाठशाला अच्छे नतीजे देगी और बच्चों को यह समझने में मदद करेगी कि घर और स्कूल दोनों जगह हाथ धोना और व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखना कितना जरूरी है. ‘एनडीटीवी-डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया’ द्वारा की गई पहल की इसमें बहुत अहम भूमिका है.

डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया का ‘स्वास्थ्य मंत्र’ वीडियो पॉडकास्ट

रैना ने डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया वीडियो पॉडकास्ट स्वास्थ्य मंत्र को भी लॉन्च किया, जो भारत का पहला सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता पॉडकास्ट है.

वीडियो पॉडकास्ट में दिलचस्प कहानियों के जरिये हाथ की स्वच्छता के महत्व को समझाते हुए बताया गया है कि यह क्यों महत्वपूर्ण है और हाथ धोना कब महत्वपूर्ण है. इस पॉडकास्ट के 32 एपिसोड है.

भारत के इस पहले सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता वीडियो पॉडकास्ट के उद्देश्य के बारे में बात करते हुए, SOA, रेकिट (Reckitt) के डायरेक्टर, एक्सटर्नल अफेयर्स एंड पार्टनरशिप रवि भटनागर ने कहा कि हाथ धोना अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक उपायों में से एक है, और रेकिट रोचक तरीके से देश में इस संदेश को फैलाने के लिए प्रतिबद्ध है.

इस बार का पॉडकास्ट बहुत अच्छी तरह से सोच-विचार कर तैयार किया गया है. ये वीडियो पॉडकास्ट नई शिक्षा नीति पर आधारित है. इसका पूरा कंटेंट घर में स्वच्छता, आस-पड़ोस में स्वच्छता, व्यक्तिगत साफ-सफाई और बीमारी के दौरान स्वच्छता जैसी मूलभूत बातों पर आधारित है. मैं एनडीटीवी को हमारे विचारों को जीवंत करने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं.

‘स्वास्थ्य मंत्र’ वीडियो पॉडकास्ट दो भाषाओं – अंग्रेजी और हिंदी में उपलब्ध हैं, हालांकि, रेकिट अधिक क्षेत्रीय भाषाओं में पॉडकास्ट लॉन्च करने के लिए प्रतिबद्ध है.

एक खिलाड़ी के रूप में अपने सफर के बारे में बात करते हुए रैना ने कहा कि स्वच्छता हमेशा उनके लिए सर्वोच्च प्राथमिकता रही है और वह बच्चों को भी यही संदेश देना चाहते हैं.

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एक खिलाड़ी अनुशासित जीवन जीता है और हमें स्वास्थ्य और स्वच्छता से संबंधित बहुत सारे उपायों पर ध्यान देना होता है. पिछले तीन वर्षों में, जब से देश में कोरोना वायरस आया है, मैंने मैच खेलते समय सभी प्रोटोकॉल का पालन किया है, चाहे वह नियमित रूप से दस्ताने बदलना हो, नी पैड पहनने के बाद हाथ धोना हो या किसी से हाथ मिलाना हो. मेरा मानना है कि इन आदतों ने मुझे किसी भी संक्रमण से बचने में मदद की. ऐसे और भी कई तरीके हैं, जिनसे आप अपने शरीर की देखभाल कर सकते हैं, और हाथ धोना सबसे आसान और प्रभावी तरीकों में से एक है.

माते की सह-संस्थापक और पूर्व क्रिकेटर सुरेश रैना की पत्नी प्रियंका रैना ने कहा कि जागरूकता स्वास्थ्य संदेश देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि बच्चों को शुरुआत से ही स्वच्छता के महत्व के बारे में सिखाया जाए, लेकिन व्यवहार में बदलाव लाने की जागरूकता बढ़ाने का काम कुछ गतिविधियों के जरिये ही किया जा सकता है. बच्चे केवल उन ही आदतों को अपनाते हैं, जिन्हें वह घर में बड़ों को करता देखते हैं. इसलिए यदि हम चाहते हैं कि वे अच्‍छी सेहत के लिए स्वच्छता की आदतों को अपनाएं और नियमित रूप से अपने हाथ धोएं, तो हमें उनके साथ इस इसकी शुरुआत करवाना जरूरी है.

सुरेश रैना और प्रियंका रैना दोनों ही व्यापक स्तर पर हाथ की स्वच्छता और साफ-सफाई का संदेश देने की दिशा में काम कर रहे हैं और उन्होंने इसके लिए उत्तर प्रदेश के 30 से अधिक स्कूलों में काम किया है. दोनों ने इन स्कूलों में शौचालय बनवाए हैं और स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया है.

रेकिट अपने स्कूल स्वच्छता शिक्षा कार्यक्रम के माध्यम से हाथ की स्वच्छता के संदेश को फैलाने के लिए भी काम कर रहा है. वर्षों से हाइजीन बडी किट (Hygiene Buddy Kits) वितरित करके स्वच्छता के विज्ञान को पढ़ाने जैसे कारगर तरीकों से हाथों की सफाई के बारे में समझाने और इसे आदत में शामिल करने के मामले में क्रांतिकारी बदलाव लाया है. शुरुआती चरण में इस कार्यक्रम का उद्देश्य सिखाना और आदतों में बदलाव लाना था, ताकि व्यवहार और सीख के जरिये नई पीढ़ी के जीवन को बेहतर बनाया जा सके.

कार्यक्रम के बारे में बात करते हुए, प्लान इंडिया के मोहम्मद आसिफ ने कहा,

यह आइडिया एक व्यवहारिक परिवर्तन लाने का है और 2014 से इस स्वच्छता कार्यक्रम के जरिये ऐसा ही करने की कोशिश की जा रही है. हमने 2,500 स्कूलों से इस महत्वाकांक्षी अभियान की शुरुआत थी, जो आज 8,40,000 स्कूलों तक पहुंच गया है. इसके जरिये हमने अब तक करीब 2.5 करोड़ छात्रों से संपर्क किया है.

आसिफ ने कहा कि पिछले वर्षों में देशभर के स्कूलों में केवल 11 प्रतिशत ही बच्चे अपने हाथ साफ करते थे, लेकिन आज यह संख्या बढ़कर 82 प्रतिशत हो गई है. इस तरह हमने जमीनी स्‍तर पर बदलाव देखा है.

पाठशाला में अतिथियों ने डेटॉल की डीआईवाई हाइजीन वर्क बुक का भी अनावरण किया. ये पुस्तकें 2023 के एकेडमिक सेशन में कक्षा 1 से 3 तक के छात्रों के लिए तैयार की गई हैं. भटनागर ने कहा,

डीआईवाई वर्कबुक दो चरणों वाला पाठ्यक्रम है, जोकि सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त निजी स्कूलों के छात्रों के लिए है. हम सभी विद्यार्थियों को हाथों की स्वच्छता का संदेश देना चाहते हैं, क्योंकि स्वच्छता अमीर-गरीब नहीं देखती, यह सबके लिए है.

ये अभ्‍यास पुस्तिकाएं (वर्कबुक) बच्‍चों को उन सभी सुरक्षा, विकल्पों और स्वच्छता की आदतों के बारे में जानकारी देती हैं, जिनका स्वस्थ जीवन जीने के लिए बच्चों को पालन करना चाहिए. ये पुस्तकें इस मूल मंत्र पर आधारित हैं कि अच्छा स्वास्थ्य और स्वच्छता शारीरिक, मानसिक विकास का मार्ग प्रशस्त करती है, साथ ही यह सुनिश्चित करती है कि हम स्वस्थ भारत के निर्माण के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.

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