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निपाह वायरस के बारे में जानने योग्य 10 खास बातें

निपाह वायरस से संक्रमित लोगों को बुखार, खांसी, गले में खराश, चक्कर आना, मांसपेशियों में दर्द, थकान और एन्सेफलाइटिस जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं, जानिए इस संक्रामक वायरस के बारे में 10 अहम बातें

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Highlights
  • इंसानों में निपाह वायरस का पहला मामला मलेशिया से सामने आया था
  • निपाह के संक्रमण से बचने के लिए नियमित रूप से साबुन और पानी से हाथ धोएं
  • निपाह वायरस से बचने के लिए फलों को साफ करके ही खाना चाहिए

नई दिल्ली: केरल के कोझीकोड और मलप्पुरम जिलों में पहली बार तबाही मचाने के तीन साल बाद, 5 सितंबर को राज्य में फिर से संक्रामक निपाह वायरस का एक मामला सामने आया. कोझिकोड जिले में 12 साल के बच्चे की मौत के बाद देश में कोविड-19 के मामलों में 60 फीसदी का उछाल आने के बाद राज्‍य को हाई अलर्ट पर रखा गया है. घातक वायरस के प्रसार को रोकने के लिए अधिक सैम्‍पल की जांच जारी है. केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज के अनुसार, भले ही पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) को भेजे गए लड़के के संपर्क में आए सभी लोगों के सैम्‍पल में निपाह नहीं मिला है, राज्य ने इस बीमारी को कंट्रोल करने के उपायों को तेज कर दिया है और क्षेत्र की निगरानी शुरू कर दी है.

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इससे पहले मई 2018 में, केरल के कोझीकोड जिले में पहला निपाह वायरस (NiV) मामला सामने आने के बाद राज्य में 17 लोगों की मौत हुई थी और 19 मामलों की पुष्टि हुई थी. कोझीकोड और मलप्पुरम जिलों में 2,000 से अधिक लोगों को अलग रखा गया था और महामारी के दौरान निगरानी में रखा गया था, जिसे आधिकारिक तौर पर 10 जून, 2018 को घोषित किया गया था. 2019 में केरल के एर्नाकुलम जिले में एकमात्र मामला सामने आया, लेकिन किसी जानमाल का नुकसान नहीं हुआ. केरल के अलावा, 2001 और 2007 में क्रमशः पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी और नादिया जिलों में भी निपाह का पता चला था, जिससे लगभग 50 मौतें हुईं.

जैसा कि केरल में निपाह वायरस का खतरा फिर से उभर रहा है, जानिए इसके बारे में 10 अहम बातें:

  1. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, निपाह वायरस एक ‘जूनोटिक’ वायरस है, यानी यह जानवरों से इंसानों में फैलता है. वायरस दूषित भोजन के जरिए या सीधे लोगों के बीच भी फैल सकता है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि निपाह वायरस के आम कारण फ्रूट बैट या फ्लाइंग फॉक्स हैं.
  2. इंसानों के बीच निपाह वायरस का पहला मामला मलेशिया (1998) और सिंगापुर (1999) से सामने आया था. चूंकि इसे पहली बार 1998-99 में पहचाना गया था, निपाह वायरस के कई मामले सामने आए, ये सभी दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में हैं.
  3. आमतौर पर, यह सूअर, कुत्ते और घोड़ों जैसे जानवरों को प्रभावित करता है. यदि यह मनुष्यों में फैलता है, तो निपाह वायरस गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है जिसके परिणामस्वरूप मौत तक हो सकती है. निपाह वायरस से बचने के लिए फलों को अच्छी तरह धोकर ही खाना चाहिए. जमीन पर पड़े या कटे फलों के सेवन से बचना चाहिए.
  4. डब्ल्यूएचओ के अनुसार निपाह वायरस संक्रमण के निम्‍न लक्षण हैं:
    • बुखार
    • सिरदर्द
    • खांसी
    • गले में खराश
    • मांसपेशियों में दर्द
    • थकान
    • सांस लेने में दिक्‍कत
    • उल्टीगंभीर लक्षण, जैसे:• डिसॉरीअन्टैशन, सुस्‍ती, या भ्रम
    • न्यूमोनिया
    • दौरा पड़ना
    • बेहोशी
    • मस्तिष्क में सूजन (एन्सेफलाइटिस)
  5. निपाह वायरस की इन्क्यूबेशन अवधि औसतन 5-14 दिन होती है. लेकिन कुछ मामलों में, यह 45 दिनों तक जा सकती है, जिसका अर्थ है कि संक्रमित व्यक्ति को अनजाने में दूसरों को संक्रमित करने में बहुत समय लगता है.
  6. निपाह वायरस की पहचान करने के लिए उपयोग किए जाने वाले मुख्य टेस्‍ट शारीरिक तरल पदार्थों से रीयल-टाइम पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) और एंजाइम-लिंक्ड इम्यूनोसॉर्बेंट असे (एलिसा) के माध्यम से एंटीबॉडी का पता लगाना है. अन्‍य टेस्‍ट में सेल कल्चर द्वारा पीसीआर और वायरस आसोलेशन शामिल हैं.
  7. निपाह वायरस मनुष्यों में फैल सकता है, यदि वे निपाह संक्रमित लोगों, चमगादड़ या सूअर के साथ निकट संपर्क में आते हैं. ऐसे में पैरामेडिकल स्टाफ और संक्रमित लोगों के करीबी रिश्तेदार खतरे में आ जाते हैं. निपाह वायरस के कारण मरने वाले लोगों के शरीर से भी वायरस फैल सकता है और इसलिए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) कहता है कि सरकारी सलाह के अनुसार शवों की निगरानी की जानी चाहिए.
  8. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मृत्यु दर 40 प्रतिशत से 75 प्रतिशत मानी जा रही है और यह दर अलग भी हो सकती है. डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि यह दर महामारी विज्ञान निगरानी और क्लिनिकल मैनेजमेंट के लिए स्थानीय क्षमताओं के आधार पर बीमारी से अलग हो सकती है.
  9. निपाह वायरस को फैलने से रोकने के लिए और उससे बचने के लिए, नियमित रूप से साबुन और पानी से हाथ धोना चाहिए, विशेष रूप से किसी संभावित संक्रमित व्यक्ति या जानवर के संपर्क में आने के बाद.
  10. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्तमान में, निपाह वायरस के इलाज के लिए कोई लाइसेंस प्राप्त दवाएं या इसके खिलाफ कोई टीका नहीं है. गावी (पूर्व में टीके और टीकाकरण के लिए ग्लोबल अलायंस) के अनुसार, द वैक्सीन एलायंस, एक निपाह वायरस वैक्सीन कैंडिडेट (HeV-sG-V) का चरण 1 अध्ययन फरवरी 2020 में शुरू हुआ और इसके सितंबर 2021 में पूरा होने की उम्मीद है. डब्ल्यूएचओ निपाह संक्रमण से उत्पन्न गंभीर श्वसन और तंत्रिका संबंधी जटिलताओं के इलाज के लिए गहन सहायक देखभाल की सिफारिश करता है.

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