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कोई पीछे नहीं रहेगा

ट्रांसजेंडर्स के लिए एक डॉक्टर की मार्गदर्शिका: जानिए क्या है जेंडर अफर्मेशन, इसकी लागत, इलाज और कठिनाईयों के बारे में

जेंडर अफर्मेशन सर्जरी क्या है और यह एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति की कैसे मदद करती है

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ट्रांसजेंडर्स के लिए एक डॉक्टर की मार्गदर्शिका: जानिए क्या है जेंडर अफर्मेशन, इसकी लागत, इलाज और कठिनाईयों के बारे में

नई दिल्ली: जेंडर अफर्मेशन यानि कि लिंग पुष्टिकरण सर्जरी क्या हैं, यह LGBTQIA+ समुदाय की कैसे मदद करती है, उपचार प्राप्त करने की प्रक्रिया क्या है – इसके बारे में सब कुछ जानने और यह कैसे ट्रांसजेंडरों के जीवन को आसान बनाने में मदद कर सकता है, टीम बनेगा स्वस्थ इंडिया ने डॉ. भीम एस नंदा से बात की. डॉ. नंदा नई दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में प्लास्टिक और कॉस्मेटिक सर्जरी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार और उपाध्यक्ष हैं. उन्होंने साल 2013 में ट्रांसजेंडर रोगियों का इलाज करना शुरू किया था.

शुरुआती दौर के बारे में बताते हुए डॉ नंदा ने कहा,

जब मुझे पहली बार एक ट्रांसजेंडर रोगी मिला, तो मुझे उसके जीवन के बारे में जानकर उससे बहुत सहानुभूति हुई. उस समय मुझे एहसास हुआ कि भारत में उनके स्वास्थ्य के लिए बेहद कम लोग काम कर रहे हैं. यहां तक कि अस्पतालों में और डॉक्टरों के बीच ट्रांसजेंडर्स को एक कलंक माना जाता है. 2014 और 2015 आते-आते मेरे मरीजों की संख्या बढ़ गई. मुझे याद है ये सर्जरी करने पर मेरे अस्पताल के कर्मचारी तक मेरा मजाक उड़ाते थे. लोग मुझसे पूछते थे कि मैं ये सर्जरी क्यों और किस लिए कर रहा हूं. लोगों के इस तरह के व्यवहार ने मुझे इस रास्ते पर चलने के लिए और अधिक प्रेरित किया. जिसके बाद मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. आगे चलकर मुझे भारत में इस मुद्दे की गंभीरता का एहसास हुआ और मैंने अपनी सारी सर्जरियां LGBTQIA+ समुदाय को समर्पित करने का फैसला किया.

अन्य महत्वपूर्ण बिन्दु जिन पर हमने चर्चा की:

एनडीटीवी: जेंडर अफर्मेशन यानि कि लिंग पुष्टिकरण सर्जरी क्या है और यह क्यों की जाती है?

डॉ. भीम एस नंदा: जेंडर अफर्मेशन सर्जरी उन लोगों के लिए की जाने वाली एक प्रक्रिया है, जो जेंडर डिस्फोरिया से पीड़ित हैं. जब लोगों को जन्म के समय बताए गए अपने लिंग को लेकर लगातार परेशानी का सामना करना पड़ता है, क्योंकि यह व्यक्ति की पहचान से मेल नहीं खाता है, तो इसे जेंडर डिस्फोरिया कहा जाता है. ऐसे लोगों की मदद करने के लिए डॉक्टर प्रक्रियाओं/सर्जरियों की एक सीरीज करते हैं जो लोगों को उनकी खुद की पहचान वाले लिंग में बदलाव करने में मदद करते हैं. सर्जरी इसलिए की जाती है ताकि उनका भौतिक शरीर उनकी लिंग पहचान से मेल खाए.

एनडीटीवी: हमें लिंग परिवर्तन के बारे में विस्तार से बताएं, इसका पहला कदम क्या है?

डॉ. भीम एस नंदा: जब कोई ट्रांसजेंडर व्यक्ति मेरे पास आता है, तो पहला कदम उन्हें सहज बनाना, उनकी वर्तमान स्थिति जानना और उनकी आवश्यकताओं को समझना है. जिससे यह पता चल सके कि आखिर वे कौन सी सर्जरी कराना चाहते हैं. पहला कदम उन्हें यह समझाना है कि यदि वे अपने परिवर्तन के लिए किसी भी प्रकार की सर्जरी कराना चाहते हैं, तो उन्हें पहले मनोचिकित्सक या फिजियोलॉजिस्ट से लिंग पुनर्मूल्यांकन सर्जरी प्रमाणपत्र (Gender Reassignment Surgery certificate) प्राप्त करने की आवश्यकता है. यह प्रमाणपत्र मूल रूप से बताता है कि व्यक्ति किसी अन्य बीमारी से नहीं बल्कि लिंग डिस्फोरिया से पीड़ित है और लिंग परिवर्तन सर्जरी से कराने के लिए पूरी तरह से फिट है. आमतौर पर, मैं अपने मरीजों से कहता हूं कि कम से कम छह महीने तक मनोचिकित्सक से इलाज कराएं ताकि वे मरीज का अच्छी तरह से आकलन कर सकें और खुद भी सर्जरी के बारे में निश्चिंत हो सकें, क्योंकि यह सर्जरी अपरिवर्तनीय है, जिसमें एक बार होने के बाद बदलाव की गुंजाइश नहीं बचती है.

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एनडीटीवी: लिंग पुष्टिकरण सर्जरी में शामिल अलग-अलग तरह की सर्जरी और हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी) क्या है?

डॉ. भीम एस नंदा: सर्जरी करने से पहले, LGBTQIA+ समुदाय को हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी पर रखा जाता है, जिसका मतलब है कि एक ट्रांस पुरुष (महिला से पुरुष में संक्रमण) को पुरुष हार्मोन मिलना शुरू हो जाएगा और एक ट्रांस महिला (पुरुष से महिला में संक्रमण) को महिला हार्मोन मिलना शुरू हो जाएगा. एचआरटी आम तौर पर व्यक्ति को माध्यमिक वांछित विशेषताओं को प्राप्त करने में मदद करता है जैसे कि ट्रांस पुरुषों में दाढ़ी आना शुरू हो जाएगी, आवाज भारी हो जाएगी, ट्रांस महिलाओं में स्तन का कुछ प्राकृतिक गठन होगा, अनचाहे बालों का विकास रुक जाएगा आदि. लेकिन ट्रांस महिलाओं में एचआरटी के जरिए आवाज हल्की नहीं होगी, उन्हें वॉयस ट्रांसफॉर्मेशन सर्जरी करानी होगी. न ही एचआरटी के माध्यम से ट्रांस महिलाओं को मासिक धर्म (पीरियड्स) का अनुभव होगा.

दरअसल, समस्या यह है कि दुनिया भर में एचआरटी अध्ययनों का अभी भी अभाव है. हम अभी भी कई सवालों के जवाब नहीं जानते हैं जैसे कि इस थेरेपी का दीर्घकालिक प्रभाव क्या होगा. क्या यह अगले 10-12 सालों में ऐसे मरीजों में कैंसर का कारण बन सकता है या नहीं, इन सबसे हम अभी भी अनजान हैं.

यह LGBTQIA+ समुदाय पर निर्भर है कि वह सर्जरी अपने एचआरटी उपचार के बीच में या उसके बाद बाद कराना चाहता है. कुछ मरीज केवल टॉप सर्जरी करा सकते हैं, जिसे मास्टेक्टॉमी (एक प्रक्रिया जिसमें पूरा स्तन हटा दिया जाता है) कहा जाता है, यह आमतौर पर ट्रांस पुरुषों के लिए किया जाता है. ट्रांस महिलाओं के लिए, शीर्ष सर्जरी का मतलब स्तन का प्रत्यारोपण है. वहीं कुछ मरीज पूरे बदलाव के लिए बॉटम सर्जरी करा सकते हैं, जिसमें जन्म के लिंग के जननांगों को हटा दिया जाता है, इसके बाद वांछित लिंग के जननांगों का पुनर्निर्माण किया जाता है. इसके बाद चेहरे की विशेषताओं को अधिक मर्दाना या स्त्रैण यानि कि महिलाओं की तरह (Feminine) बनाने के लिए चेहरे की विशिष्ट सर्जरी होती हैं.

एनडीटीवी: LGBTQIA+ समुदाय की इन सर्जरी के लिए सहमति उम्र क्या है?

डॉ. भीम एस नंदा: बात सिर्फ इन सर्जरी की ही नहीं है, किसी भी सर्जरी के लिए सहमति की उम्र 18 साल है. लेकिन होता यह है कि सामान्य सर्जरी में माता-पिता सहमति दे सकते हैं. लेकिन ट्रांस लोगों के मामले में परिवार वैसा समर्थन नहीं देता. जिससे उन्हें इलाज शुरू करने के लिए 18 वर्ष की आयु तक इंतजार करना पड़ता है.

एनडीटीवी: क्या लिंग पुष्टिकरण सर्जरी लिंग डिस्फोरिया रोगियों के लिए एकमात्र इलाज है?

डॉ. भीम एस नंदा: नहीं, ये सर्जरी बिल्कुल भी जरूरी नहीं हैं. एक व्यक्ति, जो जेंडर डिस्फोरिक से पीड़ित है, वह भी ये सर्जरी करवाए बिना रह सकता है. यह सब व्यक्ति पर निर्भर करता है और उसका लिंग डिस्फोरिया किस स्तर पर सुलझ सकता है. यह एचआरटी लेने के बाद भी ठीक हो सकता है, जो मर्दाना या स्त्री विशेषताओं को बढ़ाता है या सिर्फ एक मनोचिकित्सक या फिजियोलॉजिस्ट के पास जाने से, या जब वे दुनिया के सामने खुलकर आते हैं और अपने वांछित लिंग में रहना शुरू करते हैं. जो लोग सर्जरी के साथ या उसके बिना सामाजिक रूप से अपने वास्तविक लिंग में परिवर्तन करना चाहते हैं, वे आमतौर पर एक नया नाम अपनाते हैं, अलग-अलग सर्वनाम चुनते हैं, अलग-अलग कपड़े पहनकर या हेयर स्टाइल बदलकर खुद को अपनी वांछित लिंग पहचान के रूप में प्रस्तुत करना शुरू कर देते हैं. इसलिए, सर्जरी बिल्कुल भी आवश्यक नहीं है. यह सब इस पर निर्भर करता है कि व्यक्ति का व्यक्तिगत मानसिक स्वास्थ्य कैसा है और उसका लिंग डिस्फोरिया किस स्तर पर है .

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एनडीटीवी: लिंग पुष्टि सर्जरी कराने वाले किसी व्यक्ति के लिए पूरे शरीर परिवर्तन की आदर्श अवधि क्या है?

डॉ. भीम एस नंदा: पूर्ण परिवर्तन के लिए आदर्श अवधि के बारे में कोई पक्के तौर पर नहीं कह सकता क्योंकि यह कई चीजों पर निर्भर करता है, यहां तक कि पैसे पर भी. लेकिन, प्रत्येक सर्जरी के बीच आदर्श अंतर कम से कम 3 महीने का होना चाहिए, लेकिन यह व्यक्ति के ठीक होने के पर निर्भर करता है. अगर उसे ठीक होने में ज्यादा समय लग रहा है तो दूसरी सर्जरी कराने का समय भी बढ़ेगा. ये उन ट्रांस पुरुषों के मामले में होता है जो बॉटम हिस्से की सर्जरी का विकल्प चुनते हैं, उनके निजी अंगों के पुनर्निर्माण के बाद, हमें उनमें संवेदना के अपने आप शुरू होने का इंतजार करना पड़ता है, जो 12 महीने तक चल सकता है. उसके बाद हम एक कृत्रिम प्रत्यारोपण लगाते हैं और जिसके बाद रिकवरी का समय आता है.

एनडीटीवी: सर्जरी से पहले और बाद की देखभाल के बारे में बताएं.

डॉ. भीम एस नंदा: हर सर्जरी अलग होती है और सभी में उनके होने के बाद देखभाल जरूरी है. आम तौर पर, हम अपने मरीजों को सर्जरी से 10 दिन पहले एचआरटी बंद करने के लिए कहते हैं क्योंकि हम नहीं जानते कि इससे क्या कठनाईयां पैदा हो सकती हैं. इसके साथ ही हम मरीजों को सर्जरी से 10 दिन पहले धूम्रपान छोड़ने की भी सलाह देते हैं. टॉप सर्जरी का विकल्प चुनने वाले लोगों के लिए अस्पताल में रहने की न्यूनतम अवधि 24 घंटे है और निचली सर्जरी के लिए यह 7 दिन है. यदि मरीज उसी शहर से नहीं है जहां उसका अस्पताल स्थित है, तो इस कंडीशन में बॉटम सर्जरी कराने वालों के लिए शहर में कम से कम एक महीने का रहना जरूरी है और वहीं टॉप सर्जरी वालों के लिए यह अवधि 10 दिन है.

एनडीटीवी: इन सर्जियों की कीमत कितनी है? क्या कोई ऐसा तरीका है जिससे इन्हें कम किया जा सके?.

डॉ. भीम एस नंदा: अगर हम टॉप सर्जरी की बात करें तो यह 1,20,000 से 1,30,000 रुपये के तक होती है और यदि लोग इसमें इम्प्लांट का विकल्प चुनते हैं तो इसकी राशी बढ़ भी सकती है. ट्रांस पुरुषों के लिए जो सिर्फ योनि हटाने का विकल्प चुनते हैं, उसकी कीमत 50-60 हजार के बीच होती है और जननांगों के पुनर्निर्माण के लिए 4 से 5 लाख के बीच होती है. ऐसे मामलों में इम्प्लीमेंट लागत अलग हो सकती है. लागत का बढ़ना इस बात पर निर्भर करता है कि कौन सा व्यक्ति कौन सी सर्जरी चुन रहा है. भारत में, भारत सरकार ने इन सर्जरी की लागत को आयुष्मान भारत के तहत शामिल करने का निर्णय लिया है, लेकिन इसके लिए प्रतीक्षा अवधि बहुत लंबी है.

एनडीटीवी: भारत में लिंग पुष्टि सर्जरी कितनी आम है?

डॉ. भीम एस नंदा: अधिकांश मरीज केवल टॉप सर्जरी कराने के लिए जाते हैं, वहीं केवल 1 से 4 प्रतिशत लोग ही बॉटम की सर्जरी कराते हैं. इसका एक कारण तो यह है कि यह बहुत खर्चीली है, वहीं दूसरा कारण यह है कि ऐसी सर्जरी में सफलता की दर ज्यादा नहीं होती है. अगर मैं 10 मरीजों की सर्जरी कर रहा हूं और जननांगों का पुनर्निर्माण कर रहा हूं, तो 10 में से 6 लोग के लोगों के दोबारा समस्याओं के साथ आने की संभावना होती है, ऐसे मामलों में उन्हें दोबारा सर्जरी करानी पड़ सकती है.

एनडीटीवी: लिंग पुष्टि सर्जरी कराने से पहले किसी को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

डॉ. भीम एस नंदा: कुछ चीजें हैं, जिन्हें समुदाय को समझना की जरूरत है :

  • ये सर्जरी अपरिवर्तनीय हैं
  • आप कभी भी बॉयोलॉजिकल माता-पिता नहीं बन सकते
  •  ऐसी सर्जरी कराने की कानूनी उम्र 18 वर्ष है, इससे पहले, लोगों को केवल प्यूबर्टी ब्लॉकर्स के लिए अनुमति है और यह सर्जरी मनोचिकित्सक से प्रमाण पत्र मिलने के बाद ही हो सकती है.
  • लिंग डिस्फोरिया की समस्या ट्रांस पुरुषों में ट्रांस महिलाओं के मुकाबले बहुत अधिक होती है क्योंकि 13 वर्ष की आयु तक ऐसे लोग सोचते हैं कि वे पुरुष हैं और अचानक जब उनमें महिलाओं जैसी विशेषताएं जैसे कि जब उनके स्तन बनते हैं या मासिक धर्म शुरू होता है, तो उनके लिए यह सब स्वीकार करना बहुत मुश्किल हो सकता है. ऐसे मामलों में, यौवन अवरोधक को अपनाना चाहिए. यौवन अवरोधक मूल रूप से एक हार्मोन होते हैं जो पुरुषों में महिलाओं जैसी विशेषताएं लाने में देरी करते हैं ताकि वो सर्जरी के लिए निर्धारित वैध उम्र को पा सकें और यह तय कर सकें कि उन्हें सर्जरी करानी है या नहीं.

समुदाय के लिए मेरा संदेश यह है कि उनका लक्ष्य यथार्थवादी होना चाहिए. उन्हें यह समझना चाहिए कि हम डॉक्टर हैं भगवान नहीं, लेकिन हम उन्हें सर्वोत्तम संभव परिणाम देने की कोशिश करते हैं. उन्हें धैर्य रखना चाहिए और यह समझना चाहिए कि वे जैसे पैदा हुए थे उसे स्वीकारें और जानें कि परिवर्तन प्रक्रिया में समय लगता है.

जब स्वास्थ्य देखभाल की बात आती है, तो मैं चाहता हूं कि समुदाय की मदद के लिए अधिक से अधिक डॉक्टर आगे आएं. मैं स्वास्थ्य कर्मियों से भी आग्रह करता हूं कि वो ऐसी सर्जरी तभी करें जब उन्हें इसका अनुभव हो, उन्होंने ऐसे मामलों को हैंडल करने के लिए कई लोगों को प्रशिक्षित किया हो. साथ ही यह भी आग्रह करना चाहता हूं कि वे अपने प्रयोगों में ऐसे रोगियों को शामिल न करें.

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