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फिजिशियन से डेटा साइंटिस्ट तक एआई के युग में डॉक्टरों की बदल रही भूमिका
डॉक्टरी कामकाज को ऑटोमेट करने और फैसले लेने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक मदद कर रही है. सहूलियत और समय की बचत होने से डॉक्टर अन्य महत्वपूर्ण कामों के लिए वक्त निकाल पा रहे हैं
नई दिल्ली: क्या डॉक्टरों की जगह धीरे-धीरे मशीनें लेती जा रही हैं? पूरी तरह से तो नहीं, पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के युग में डॉक्टर अपनी विशेषज्ञता बढ़ाने और मरीजों की देखभाल के तौर-तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए मशीनों और नई तकनीकों की भरपूर मदद ले रहे हैं. इसके चलते तेजी से डिजिटल होती जा रही दुनिया में डॉक्टरों की भूमिका में लगातार बदलाव होता दिखाई दे रहा है.
कई बार यह देखकर आश्चर्य होता है कि डॉक्टर रूपी ये मेडिकल सुपर हीरो लोगों की जिंदगियां बचाने के लिए किस शानदार तरीके से कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. साथ ही यह अत्याधुनिक तकनीक डॉक्टरों की मदद के लिए चिकित्सा जगत में डेटा वैज्ञानिकों के रूप में हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स के एक नए वर्ग को तैयार कर रही है.
चिकित्सा क्षेत्र पर एआई का कैसा हो रहा है असर ?
चिकित्सा क्षेत्र पर एआई का दूरगामी और परिवर्तनकारी असर दिखाई देने लगा है. अपने मेडिकल रुटीन के नियमित कार्यों का ऑटोमेशन करके और एआई की मदद से मिल रहे डिसीजन सपोर्ट यानी फैसले लेने में मदद की बदौलत और अब डॉक्टर्स अधिक जटिल और महत्वपूर्ण डॉक्टरी कामकाज के लिए समय निकाल पा रहे हैं. इसके अलावा एआई, रोगियों में उन पैटर्न की पहचान करके इलाज को बेहतर बनाने में मदद कर रहा है, जिन्हें आमतौर पर आंखों से नहीं देखा जा सकता. उदाहरण के लिए, एआई प्रणाली छह घंटे पहले ही रोगियों में सेप्सिस होने का अनुमान लगा सकने में सक्षम है.
- इस तरह की डाइग्नोसिस के साथ ही एआई तकनीक मेडिकल रिसर्च के तरीकों को भी बदल रही है. उदाहरण के लिए, बीमारियों का इलाज पता करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड (ईएचआर) डेटा का विश्लेषण करने के लिए एआई के “डीप लर्निंग” एल्गोरिदम का इस्तेमाल किया जा रहा है.
- वेरिली (पूर्व में Google लाइफ साइंसेज) नामक कंपनी पहनने योग्य उपकरणों और अन्य स्रोतों की मदद से डेटा का विश्लेषण करके बीमारी के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने के लिए एआई आधारित मशीन लर्निंग का उपयोग कर रही है.
- चिकित्सा क्षेत्र पर एआई का काफी सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है और इसमें स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को बदलने की क्षमता है.
डॉक्टरों की भूमिका को कैसे बदल रहा है एआई?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कई मायनों में डॉक्टरों की भूमिका को बदलने के लिए तैयार है. एक्स-रे और एमआरआई जैसी छवियों का विश्लेषण करने और विशाल डेटासेट में पैटर्न का पता लगाने के लिए एआई का इस्तेमाल पहले से ही किया जा रहा है. आने वाले दिनों में मरीजों के डाइग्नोसिस के लिए एआई का तेजी से और व्यापक स्तर पर इस्तेमाल किया जाने लगेगा. जैसे-जैसे एआई की डाइग्नोस्टिक क्षमताओं में सुधार हो रहा है, मरीजों के इलाज के संबंध में निर्णय लेने के लिए एआई पर डॉक्टरों का भरोसा बढ़ता जा रहा है.
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एक और तरीका, जिससे एआई डॉक्टरों की भूमिका बदल देगा, वह है उन्हें रोगी देखभाल के लिए अधिक पर्सनलाइज़्ड रिकमेंडेशन देना, जिसके वर्तमान में स्थितियों विकल्प सीमित हैं. इसके अलावा एआई में भारी-भरकम डेटासेट की जांच करके और जटिल पैटर्न को उजागर करके नए और अधिक कारगर इलाज सुझाने की क्षमता है, जिन्हें आमतौर पर समझ पाना मनुष्यों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है. एआई की इस क्षमता की मदद से डॉक्टर अपनी आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए रोगियों के इलाज को और भी बेहतर ढंग से कस्टमाइज करने में सक्षम होंगे.
एआई निवारक चिकित्सा यानी प्रिवेंटिव मेडिसिन के क्षेत्र में भी अहम भूमिका निभाएगा. इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड से डेटा का विश्लेषण करके एआई विभिन्न बीमारियों के जोखिमों की पहचान कर सकता है. इसके आधार पर उस व्यक्ति को अपनी जीवन शैली में जरूरी बदलाव करने या शुरुआती कदम उठाने की सटीक सलाह दी जा सकती है. इससे कई तरह की जटिल बीमारियों को बढ़ने से रोका सकता है. उदाहरण के लिए एआई खाने की आदतों यानी फूड हैबिट्स में उन पैटर्न की पहचान कर सकता है, जो मोटापे या दिल की बीमारियों (हृदय रोग) के बढ़ते जोखिम से जुड़े हैं. इसके आधार पर उन बदलावों की सिफारिश कर लोगों को इन स्थितियों से बचने में मदद की जा सकती है.
एआई डॉक्टरों को चिकित्सकीय प्रकियाओं के लिए जरूरी ढेर सारी जानकारियों को समझने में मदद कर सकता है. इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड, पहनने योग्य उपकरणों यानी वियरेबल डिवाइसेज और अन्य स्रोतों के इस्तेमाल से जैसे-जैसे मेडिकल डेटा का दायरा बढ़ता जा रहा है, इनको समझ पाना मनुष्यों के लिए एक कठिन काम है. अब एआई इस काम में डॉक्टरों की मदद कर रहा है.
चिकित्सा में एआई के लाभ और चुनौतियां
पिछले कुछ वर्षों में चिकित्सा के क्षेत्र में एआई के इस्तेमाल को लेकर उत्साह बढ़ रहा है. एआई एक ओर जहां हेल्थ केयर प्रोग्रामों को बेहतर बनाने की क्षमता रखता है, वहीं इसे लेकर कई चुनौतियां भी हैं, जिनपर सावधानीपूर्वक विचार करने की जरूरत है.
चिकित्सा के क्षेत्र में में एआई का सबसे महत्वपूर्ण लाभ बेहतर निर्णय लेने में डॉक्टरों की मदद करना है, क्योंकि एआई इंसानों की तुलना में बड़ी मात्रा में डेटा का अधिक तेजी से और सटीक विश्लेषण कर सकता है. इसका मतलब यह है कि एआई का उपयोग डॉक्टरों को उन पैटर्न और रुझानों की पहचान करने में मदद करने के लिए किया जा सकता है जिन्हें वे सामान्यत: चूक सकते हैं. इसके अलावा एआई डॉक्टरों को इस बात का बेहतर अनुमान लगाने में मदद कर सकता है कि मरीज में उपचार की कैसी प्रतिक्रिया (रिएक्शन) देखने को मिल सकती है.
इन सहूलियतों के साथ ही चिकित्सा के क्षेत्र में एआई से जुड़ी कुछ चुनौतियां भी हैं. सबसे बड़ी चिंताओं में से एक यह है कि एआई अंततः मानव डॉक्टरों की जगह न ले ले. फिलहाल यह विचार आपको अविश्वसनीय लग सकता है, लेकिन यह नामुमकिन नहीं है. चिंता का एक अन्य मुद्दा एआई द्वारा रोगी देखभाल के संबंध में पक्षपातपूर्ण या अन्यायपूर्ण निर्णय लेने की आशंका है. उदाहरण के लिए यदि कोई बीमा कंपनी कवरेज पात्रता निर्धारित करने के लिए एआई का उपयोग करती है, तो पहले से मौजूद लक्षणों वाले व्यक्तियों के के साथ भेदभाव की संभावना रहेगी.
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एआई के इस्तेमाल से जुड़ी एक बड़ी चिंता इंटरनेट और स्मार्टफोन तक पहुंच न रखने वाले लोगों से जुड़ी है, जिससे भारत में एआई की प्रगति सीमित हो सकती है. देश में काफी बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जो इस अभाव के चलते एआई आधारित स्वास्थ्य सेवाओं के लाभ से वंचित रह जाएंगे. इस तरह ग्रामीण और सीमांत क्षेत्रों तक चिकित्सा में एआई तकनीक का लाभ नहीं पहुंच सकेगा.
इसके अलावा डेटा की गोपनीयता और उसके दुरुपयोग से जुड़ी चिंताओं को भी नकारा नहीं जा सकता. ऐसी आशंकाओं के कारण ही कई लोग अकसर तकनीक आधारित उपचार के लिए व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा करने में अनिच्छुक होते हैं.
ऐसे में एआई आधारित स्वास्थ्य सेवाओं के साथ ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने के लिए लोगों की व्यक्तिगत और स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों के डेटा की सुरक्षा करना एक महत्वपूर्ण मसला है. इसे सुनिश्चित करके ही आम लोगों में यह विश्वास पैदा किया जा सकेगा कि वे एआई आधारित सेवाओं के इस्तेमाल के लिए आगे आएं और इससे जुड़ें इसके लिए एआई आधारित स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं एआई के जिम्मेदारी भरे उपयोग के बारे में शिक्षित करने और रोगियों के बीच एआई के लाभों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देकर इस तकनीक पर लोगों का विश्वास बढ़ाया जा सकता है.
इसके अलावा लोगों में एक आम धारणा यह भी है कि मरीज की देखभाल के लिए एआई तकनीक का इस्तेमाल करने वाले अस्पताल बहुत शुल्क लेते हैं. इस कारण बड़ी संख्या में लोग ऐसे अस्पतालों में इलाज कराने से बचते हैं. इस मिथक को खुले संवाद और पारदर्शी संचार के जरिये तोड़ने की सख्त जरूरत है.
चिकित्सकों के लिए डेटा साइंस के अवसर
स्वास्थ्य सेवा उद्योग डेटा क्रांति के दौर से गुजर रहा है.आज चिकित्सकों से न केवल डेटा को समझने और उपयोग करने, बल्कि इसके विश्लेषण और व्याख्या में भूमिका निभाने के लिए भी कहा जा रहा है। ऐसे में डॉक्टरों के लिए डेटा साइंस के क्षेत्र में प्रवेश करने के अवसर बढ़ रहे हैं.
डेटा साइंस एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जो डेटा के जटिल विश्लेषण के लिए मेडिकल साइंस को सांख्यिकी, कंप्यूटर विज्ञान जोड़ता है. इस तरह यह एक इंटर डिसिप्लिनरी प्लेटफॉर्म है, जो चिकित्सा पृष्ठभूमि वाले लोगों के काम को बेहतर और सुविधाजनक बनाने की क्षमता रखता है.
ऐसे कई कारण हैं जिनके चलते चिकित्सक अच्छे डेटा वैज्ञानिक बन सकते हैं. उनके पास बड़ी मात्रा में जटिल डेटा को देखने-समझने का अनुभव होता है. वे काफी अच्छी विश्लेषणात्मक क्षमता वाले होतेहैं और उनके पास समस्याओं के समाधान का कौशल होता है. इसके अलावा चिकित्सक अक्सर डेटा में पैटर्न और रुझानों को तुरंत पहचान लेने में भी सक्षम होते हैं, जिनका उपयोग रोगी देखभाल में सुधार के लिए किया जा सकता है.
आने वाले वर्षों में चिाकित्सा के क्षेत्र में डेटा वैज्ञानिकों की मांग बढ़ने की उम्मीद है. हेल्थकेयर सेक्टर को बड़ी संख्या में इस विधा में कुशल ऐसे लोगों की आवश्यकता होगी, जो इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड, वियरेबल डिवाइसेज और अन्य स्रोतों द्वारा प्राप्त डेटा को समझने में डॉक्टरों की मदद कर सकें. इसलिए यदि आप एक चिकित्सक या मेडिकल प्रोफेशनल हैं और डेटा विज्ञान में रुचि रखते हैं, तो आपके लिए करियर में एक नई शुरुआत करने का समय आ गया है. अच्छी बात यह है कि इस तेजी से बढ़ते क्षेत्र की मूलभूत जरूरी बातों को सीखने में आपकी सहायता के लिए कई ऑनलाइन संसाधन उपलब्ध हैं.
स्वास्थ्य सेवा को बदलने वाली तकनीकों के उदाहरण
एआई तकनीक कई तरीकों से स्वास्थ्य देखभाल में बदलाव ला रही है. इसका एक उदाहरण वह तरीका है जिससे अब मेडिकल रिकॉर्ड रखे जाते हैं. आमतौर पर किसी मरीज की सारी चिकित्सीय जानकारी यानी मेडिकल हिस्ट्री उनके डॉक्टर के पास ही रहती है. ऐसे में मरीजों को अपने रिकॉर्ड की जानकारी के लिए हर बार डॉक्टर के पास जाना पड़ता है.
अब डिजिटल तकनीक की बदौलत मरीज अपने चिकित्सकीय रिकॉर्ड और मेडिकल हिस्ट्री तक ऑनलाइन एक्सेस कर सकते हैं. इससे न केवल रोगियों और डॉक्टरों दोनों के लिए समय और धन की बचत होती है, बल्कि इससे रोगियों को अपनी देखभाल में अधिक सक्रिय रूप से शामिल होने की सुविधा भी मिलती है और वे समय के साथ अपनी प्रगति को ट्रैक कर सकते हैं. साथ ही यह भी सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनकी सभी जरूरी जानकारियां अपडेट रहें.
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तकनीक हेल्थ केयर के क्षेत्र को कैसे बदल रही है इसका एक और उदाहरण इलाज करने के तरीके में आ रहे बदलाव में देखा जा सकता है. कई उपचार जोखिम भरे उपचारों को अब एआई तकनीकी की मदद से न्यूनतम जोखिम के साथ किया जाने लगा है. इसने चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांति ला दी है और लोगों के लिए जोखिम भरी प्रक्रियाओं से गुज़रे बिना सटीक इलाज कराना संभव हो गया है.
एआई ने कई चीजों को समायोजित करके मेडिकल क्षेत्र में रिसर्च के तरीकों को भी बेहतर बना दिया है. अबतक अधिकतर शोध एक-दूसरे से अलग-थलग रहकर काम करने वाले वैज्ञानिकों द्वारा किए जाते थे, लेकिन अब संचार और डिजिटल तकनीक की मदद से शोधकर्ता अब एक-दूसरे के साथ जुड़कर काम कर सकते हैं. इससे न केवल रिसर्च पहले से कहीं अधिक प्रभावी नतीजों वाली हो गई है, बल्कि बीमारियों के बारे में हमारी समझ भी काफी बढ़ गई है और इलाज के नए विकास हुए हैं.
निष्कर्ष: नए युग के लिए डॉक्टर कैसे करें खुद को तैयार
चिकित्सा जगत में बिग डेटा और एआई का युग शुरू हो रहा है. इससे भारी मात्रा में डेटा उपलब्ध हो रहा है और एआई भी अधिक निखरता जा रहा है. इस सबकी बदौलत डॉक्टरों का काम भी अब कई कदम आगे बढ़ गया है. इस बदलाव के साथ कदम मिलाकर चलने के लिए डॉक्टरों को डेटा साइंस के साथ समन्वय बैठा कर मरीजों की बेहतर देखभाल के लिए इसका इस्तेमाल करने में खुद को सक्षम बनाना होगा. उन्हें डाइग्नोसिस से लेकर इलाज तक में एआई के इस्तेमाल को लेकर जागरूक होना होगा.डॉक्टरों को यह समझना होगा कि आने वाले समय में चिकित्सा का भविष्य डेटा और एआई से संचालित होने वाला है. इसलिए जो डॉक्टर इस नए युग को जितनी जल्दी और तत्परता से अपना सकेंगे वे अपने मरीजों का बेहतर इलाज और देखभाल कर सकेंगे.
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(यह लेख दिल्ली के शालीमार बाग स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के वरिष्ठ निदेशक – मेडिकल ऑन्कोलॉजी,डॉ. सज्जन राजपुरोहित द्वारा लिखा गया है.)