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    कोई पीछे नहीं रहेगा

    हेल्थ फॉर ऑल: अपोलो फाउंडेशन का ‘टोटल हेल्थ’ जो तेलंगाना में चेंचू जनजाति के लिए सुनिश्चित कर रहा स्वास्थ्य सेवाएं

    अपोलो फाउंडेशन और वन-विभाग के अधिकारी चेंचू जनजाति के लिए स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने में मदद करने वाले प्रयासों पर तीन साल से एक साथ काम कर रहे हैं

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    नई दिल्ली: इतिहास के मुताबिक चेंचू आदिवासी द्रविड़ों से भी पहले आंध्र क्षेत्र में थे. सालों गुजरने के साथ अमराबाद टाइगर रिजर्व में जंगलों के साथ उनके पारंपरिक संबंधों में काफी बदलाव आया है. अपोलो फाउंडेशन और फॉरेस्ट अथॉरिटीज पिछले तीन साल से उन सारे प्रयासों पर एक साथ काम कर रहे हैं जो इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने में मदद कर सकती हैं.

    टोटल हेल्थ कैंप के साथ, मकसद यह सुनिश्चित करना है कि स्वास्थ्य सेवा अंतिम सिरे तक पहुंचे और इसी कड़ी में वे अमराबाद टाइगर कैंप के अंदरूनी हिस्सों में आदिवासियों तक पहुंचे.

    ज्योग्राफिकल आइसोलेशन यानी भौगोलिक अलगाव, प्रिमिटिव एग्रीकल्चर प्रैक्टिसेज यानी आदिम कृषि प्रथाओं, सोशियो-कल्चरल टैबूज यानी सामाजिक-सांस्कृतिक वर्जनाओं, और पुअर हेल्थ-सीकिंग बिहेवियर यानी खराब स्वास्थ्य व्यवहार के कारण चेंचू जनजाति कई स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना कर रही है. यह समुदाय गंभीर कुपोषण, ऑस्टियोपोरोसिस, गैस्ट्राइटिस, त्वचा संक्रमण और एनीमिया से पीड़ित है.

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    NDTV-डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया से चेंचू जनजाति के लोगों की स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में बात करते हुए अपोलो फाउंडेशन, टोटल हेल्थ के डॉ. एम. राजशेखर ने कहा,

    हम यहां जो देखते हैं वह पानी की कमी और अशुद्ध पानी के कारण जलजनित रोगों और खुजली से पीड़ित लोग हैं. यहां के लोग एनीमिक भी हैं.

    यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी पीछे न छूट पाए, अपोलो फाउंडेशन का टोटल हेल्थ प्रोग्राम जंगल में नियमित स्वास्थ्य शिविरों के साथ-साथ फॉरेस्ट रिजर्व के बाहर के गांवों में सैटेलाइट क्लीनिकों के साथ अंतर को पाटने की कोशिश कर रहा है.

    नगमा एनीमिया से पीड़ित थी. वह हमेशा थकी रहती थी, लेकिन कभी डॉक्टर के पास नहीं गई थी. शिविर में बहुत सारे परीक्षण किए गए जहां उसके एनीमिया का पता चला. अब उसका साधारण आयरन कैप्सूल के साथ इलाज किया जा रहा है और वह काफी बेहतर महसूस कर रही है.

    भौरापुर पेंटा में टोटल हेल्थ की लाभार्थी नगमा कहती हैं,

    मुझे बुखार हो जाता था क्योंकि मैं एनीमिक थी. फिर अपोलो अस्पताल की मैडम ने एक डॉक्टर को भेजा जिसने हमारे लिए दवाएं लिखीं. बुखार कम हो गया है क्योंकि मैंने वे दवाएं लीं. अब मैं स्वस्थ और तंदुरुस्त हूं.

    टोटल हेल्थ जंगलों में स्वच्छता जागरूकता पर नियमित सत्र आयोजित करता है. प्रोग्राम के तहत एक जराचिकित्सा (बुजुर्गों के इलाज) न्यूट्रिशन क्लिनिक की स्थापना की है जहां वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त में दोपहर का गर्म और पौष्टिक भोजन दिया जाता है. इसके अलावा महिलाओं के लिए रियूजेबल सैनिटरी नैपकिन के वितरण के साथ-साथ मासिक धर्म स्वच्छता शिक्षा और जागरूकता का प्रावधान है.

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    इस पहल के बारे में बात करते हुए अपोलो हॉस्पिटल्स की सीएसआर वाइस चेयरपर्सन उपासना कामिनेनी कोनिडेला ने कहा,

    आदिवासी कल्याण और आदिवासी जीवन को बनाए रखना और उनका उतना ही सम्मान करना बहुत जरूरी है क्योंकि वे हमारे समाज का एक बहुत बड़ा हिस्सा हैं. स्वच्छता और मासिक धर्म के संबंध में भी, महिलाओं के समग्र स्वास्थ्य में सुधार हुआ है. अब वे खुद के स्वास्थ्य के साथ-साथ अपने परिवार का भी ध्यान रखते हैं. जब जंगल के अलग-अलग हिस्सों में हमारे शिविर होते हैं तो वे उत्साहित होते हैं, इससे पता चलता है कि वे अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं. सरकार ने बहुत कुछ किया है लेकिन बहुत सी ऐसी योजनाएं भी हैं जिनके बारे में इन लोगों को जानकारी नहीं है. अपने अर्जवा योद्धाओं (कार्यकर्ताओं के दिया गया नाम) के साथ हम हेल्थ केयर, हाइजीन पर शिक्षा के साथ आशा कार्यकर्ताओं और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सशक्त बना रहे हैं.

    अमराबाद में टोटल हेल्थ प्रोग्राम के मैकिन्से के आकलन के अनुसार, स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से मुख्य वन क्षेत्रों के अंदर आदिवासियों की पहुंच में 100 प्रतिशत सुधार हुआ है. जमीनी स्तर पर काम कर रहे प्रमुख हितधारकों के समन्वित प्रयासों से भारत को अंतिम लक्ष्य- ‘लक्ष्य संपूर्ण स्वास्थ्य का’ की ओर बढ़ने में मदद मिल सकती है.

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