नई दिल्ली: क्या आपके साथ भी ऐसा हो रहा है कि सुबह आपका मन करता है कि आप खुद को पश्मीना स्टॉल की गर्माहट में लपेट लें, लेकिन दिन चढ़ने पर तापमान बढ़ने के साथ ही पतली सी सूती शर्ट पहनने की इच्छा होने लगती है? यह बदलते मौसम का असर है और यह मौसमी बदलाव इन्फ्लूएंजा, पेट फ्लू, शुष्क त्वचा और फटे होंठों जैसी कई समस्याएं अपने साथ लेकर आता है, जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम और पेट की सेहत पर काफी असर डालती हैं.
गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल एंडोस्कोपी में अपने इनोवेशन के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध डॉ. नागेश्वर रेड्डी कहते हैं, “अच्छे स्वास्थ्य की शुरुआत अच्छे हाजमे से होती है.” उन्होंने कहा,
‘हमारे शरीर का 90 फीसदी भाग बैक्टीरिया है और केवल 10 प्रतिशत भाग कोशिकाएं हैं. ये 90 फीसदी बैक्टीरिया शरीर में आपकी शुगर, दिल और दिमाग की हालत जैसी हर चीज को नियंत्रित करते हैं. आपके पेट का स्वास्थ्य अगर अच्छा है तो आपका शारीरिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा.
पोषण विशेषज्ञ रुजुता दिवेकर ने संक्रमण को मात देने और त्वचा, प्रतिरक्षा और आंत के स्वास्थ्य में सुधार के लिए दादी-नानी के जमाने में खाई जाने वाली चीजों के बारे में बताया.
बाजरा
बाजरा एक गर्म तासीर वाला अनाज है और इसे पचाना मुश्किल होता है, इसलिए इसे सर्दियों के मौसम में खाना बेहतर रहता है. हालांकि बाजरे को घी, मूंग दाल और नारियल जैसी ठंडी तासीर वाली चीजों (कूलिंग एजेंट) के साथ मिलाकर पकाने पर यह गर्मियों में खाने के लिए भी उपयुक्त बन जाता है.
पोषण विशेषज्ञ, आंत माइक्रोबायोम विशेषज्ञ और कई बेस्ट सेलर किताबें लिखने वाली मुनमुन गनेरीवाल बताती हैं,
‘राजस्थान और तमिलनाडु में गर्म बाजरे का इस्तेमाल गर्मी के मौसम में पिए जाने वाले पेय तैयार करने में किया जाता है. वे बाजरे के आटे को छाछ के साथ मिलाते हैं और इसे फर्मेंटेशन के लिए छोड़ देते हैं. छाछ एक अच्छा कूलिंग एजेंट है और फर्मेंटेशन से भी चीजों में ठंडापन आता है.
खरीक (छुहारा)
रुजुता दिवेकर आयरन के स्तर में सुधार के लिए रोजाना तीन से चार छुहारे चबाने की सलाह देती हैं. उन्होंने कहा,
यदि आपको त्वचा और बालों से संबंधित समस्याएं हैं या आप एक स्तनपान कराने वाली मां हैं, तो आपको निश्चित रूप से छुहारे को अपने आहार में शामिल करना चाहिए.
कोई भी सरसों वाला अचार
कोई भी अचार बनाते समय ताजी फसल की सरसों डालना न भूलें. यह मोनोअनसैचुरेटेड फैट का एक अच्छा स्रोत है.
दिवेकर कहती हैं,
समय के बदलाव के साथ मौसमी चीजों को अपने भोजन में जरूर शामिल करते रहें.