नई दिल्ली: ट्रांसजेंडर समुदाय तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने डॉ राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए भारत के पहले समर्पित ओपीडी का उद्घाटन किया. यह पहल ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को इलाज व स्वास्थ्य सेवाओं में आने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए शुरू की गई है, जिन्हें अक्सर इन चीजों में असुविधा, भेदभाव और सामाजिक अपेक्षा का सामना करना पड़ता है. अस्पताल में प्रधानमंत्री मोदी के 73वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में एक रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया गया.
Making Healthcare Services More Accessible, Equal and Inclusive.
India's first "Speciality OPD for Transgender community" started in Atal Bihari Vajpayee Institute of Medical Sciences and Dr. Ram Manohar Lohia Hospital, Delhi. pic.twitter.com/I5iZCqLQ97
— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) September 17, 2023
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शुक्ला ने विशेष ओपीडी और रक्तदान शिविर का उद्घाटन किया.
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उन्होंने कहा कि यह समर्पित ओपीडी सेवा हर शुक्रवार को दोपहर 2 बजे से शाम 4 बजे तक ट्रांसजेंडरों के लिए उपलब्ध होगी और उनके लिए एक अलग रजिस्ट्रेशन काउंटर होगा.
डॉ. शुक्ला ने कहा, ट्रांसजेंडरों के लिए भारत की पहली समर्पित ओपीडी में, उन्हें हार्मोन विश्लेषण और मुफ्त हार्मोनल उपचार के साथ एक एंडोक्रिनोलॉजी सुविधा, नैदानिक मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन यानी क्लीनिकल साइकोलॉजिकल असेसमेंट और मनोचिकित्सा की सुविधा के साथ ही प्लास्टिक सर्जरी की सुविधा भी प्रदान की जाएगी.
इसके अलावा त्वचाविज्ञान, मूत्रविज्ञान और बाल चिकित्सा सेवाएं और रक्त जांच की सुविधा भी इस ओपीडी में उपलब्ध कराई जाएगी. उन्होंने कहा कि इसमें जेंडर न्यूट्रल / ट्रांसजेंडर वॉशरूम सुविधा भी होगी.
यह पूछे जाने पर कि विशेष ओपीडी की शुरुआत के लिए प्रेरणा कैसे मिली, डॉ. शुक्ला ने कहा,
मैंने शायद ही कभी ओपीडी या अस्पताल के वार्डों में ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों को देखा हो और मुझे आश्चर्य होता है कि वह हमें सरकारी अस्पतालों में इलाज कराते नजर क्यों नहीं आते. मैंने कुछ ट्रांसजेंडर समूहों से बात की और पाया कि वे खुद को कलंकित महसूस करते हैं. इस कारण वे सार्वजनिक स्थानों पर अन्य लोगों के साथ उपचार कराने में असहजता महसूस करते हैं.
चिकित्सा अधीक्षक ने कहा कि कई जगह इस बारे में पूछताछ करने पर उन्हें पता चला कि ज्यादातर ट्रांसजेंडर निजी अस्पतालों या क्लीनिकों में अपना इलाज कराते हैं.
उन्होंने कहा, चूंकि कई ट्रांसजेंडर लोग निजी अस्पतालों में महंगे इलाज का खर्च नहीं उठा सकते, इसलिए वे अक्सर इलाज से वंचित रह जाते हैं. डॉ. शुक्ला ने कहा,
सरकारी अस्पतालों को समाज के हर वर्ग के लिए सुलभ होना चाहिए. ट्रांसजेंडरों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए एक अलग ओपीडी खोलने के पीछे यही प्रेरणा है.
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ट्रांसजेंडरों के अधिकारों के लिए काम करने वाली कार्यकर्ता, लेखिका और लव थाय नेबर ट्रस्ट की संस्थापक निदेशक संजना साइमन का कहना है,
यह वास्तव में पूरे ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए बहुत खुशी की बात है, क्योंकि इतने प्रसिद्ध सरकारी अस्पताल ने ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए अलग से स्पेशल ओपीडी, एक्जामिनेशन रूम और हेल्प विंडो शुरू की है. हम ट्रांसजेंडर लोगों को हमेशा एक अजीब सा अहसास होता है, जब हम अस्पतालों और सार्वजनिक स्थानों पर पुरुषों व महिलाओं के लिए लाइनें तो देखते हैं, पर हमारे लिए वहां कोई अलग लाइन नहीं होती. इस पक्षपात भरी व्यवस्था के कारण ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग इन जगहों पर जाने में हमेशा डर या हिचकिचाहट महसूस करते हैं. लोगों और यहां तक कि स्टाफ सदस्यों द्वारा अक्सर उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है और उनका अपमान किया जाता है. ऐसे में आरएमएल अस्पताल का यह कदम एक ऐतिहासिक निर्णय है, जिसकी लंबे समय से आवश्यकता थी और इसकी मांग भी की जा रही थी.
(यह स्टोरी एनडीटीवी स्टाफ द्वारा संपादित नहीं की गई है और एक सिंडिकेटेड फीड से प्रकाशित हुई है.)