नई दिल्ली: पूरी दुनिया में 15 अक्टूबर को ग्लोबल हैंडवाशिंग डे (Global Handwashing Day) मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मकसद है हाथों के जरिए फैलने वाले संक्रमण को रोकना और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी और किफायती तरीके के रूप में हैंड वाशिंग यानी हाथ धोने के महत्व के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करना और इस विषय में उनकी समझ को बढ़ाना.
जानिए ग्लोबल हैंडवाशिंग डे का इतिहास
इस दिन की स्थापना ग्लोबल हैंडवाशिंग पार्टनरशिप द्वारा की गई थी, जो इंटरनेशनल स्टेकहोल्डर्स (International stakeholders) का एक गठबंधन है. यह साबुन से हाथ धोने को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है. ग्लोबल हैंडवाशिंग पार्टनरशिप के मुताबिक, इस दिन को पहली बार 2008 में मनाया गया था. उस दिन दुनिया भर के 70 से ज्यादा देशों में 120 मिलियन यानी 12 करोड़ से ज्यादा बच्चों ने साबुन से अपने हाथ धोकर लोगों को हाथों की सफाई के प्रति जागरूक करने की कोशिश की.
2008 से ग्लोबल हैंडवाशिंग डे को सरकारों, स्कूलों, अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों, नागरिक समाज संगठनों, गैर सरकारी संगठनों, निजी कंपनियों और व्यक्तियों द्वारा हाथ धोने के बारे में जागरूकता फैलाने और स्वच्छ हाथों का महत्व समझाने के दिन के तौर पर हर साल 15 अक्टूबर को मनाया जाने लगा.
ग्लोबल हैंड वॉशिंग डे 2023 की थीम
ग्लोबल हैंड वॉशिंग डे 2023 की थीम सभी के लिए हाथ की स्वच्छता हासिल करने के लक्ष्य तक पहुंच और इसकी प्रैक्टिस या कहें की लोगों में इस आदत की जो कमी है उसे दूर पर केंद्रित है. इस साल ग्लोबल हैंड वॉशिंग डे को “स्वच्छ हाथ पहुंच के भीतर” थीम के साथ दुनियाभर में मनाया गया. यह थीम पिछले कुछ सालों में हैंड हाइजीन कमिटमेंट और उसको लेकर जो प्रयास किए गए हैं उन पर भी रोशनी डालती है. ग्लोबल हैंडवाशिंग पार्टनरशिप के मुताबिक,
2023 की थीम हाथ की स्वच्छता के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए इस दिशा में और ज्यादा ठोस प्रयास किए जाने की ओर इशारा करती है. जब सभी लोग हाथ की स्वच्छता (Hand hygiene) को बढ़ाने के लिए एक साथ मिलकर प्रयास करेंगे, तो साफ हाथ पहुंच के भीतर होंगे.
ग्लोबल हैंडवाशिंग डे का महत्व
2022 में दुनियाभर की जनसंख्या के 75 प्रतिशत यानी करीब 6 अरब लोगों के पास घर पर साबुन और पानी से हाथ धोने की बुनियादी सुविधा मौजूद थी. वॉटर सप्लाई, सेनिटेशन और हाइजीन (JMP) रिपोर्ट के लिए WHO /UNICEF जॉइंट मॉनिटरिंग प्रोग्राम के मुताबिक, अन्य 17 प्रतिशत यानी 1.4 अरब लोगों के पास हाथ धोने की सुविधाएं तो मौजूद थीं लेकिन उनके पास पानी या फिर साबुन की कमी थी, और आठ प्रतिशत यानी 64 करोड़ आबादी के पास हाथ धोने की कोई सुविधा मौजूद नहीं थी.
भारत के बारे में इस रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 76 प्रतिशत भारतीय आबादी के पास घर पर साबुन और पानी से हाथ धोने की बुनियादी सुविधा मौजूद है.
बीमारियों को दूर रखने के लिए हाथ धोना हमेशा से सबसे आसान और प्रभावी तरीकों में से एक रहा है. लेकिन पिछले तीन सालों के दौरान जब से कोरोना वायरस महामारी ने दुनिया को अपनी चपेट में लिया तब से हाथ को स्वच्छ रखने के प्रति लोगों में काफी जागरूकता बढ़ी है. इसकी खास वजह ये है कि कोविड से बचाव के लिए जो रणनीतियां बनाई गई, उसमें हाथों को साफ रखना सबसे प्रमुख था. यह कोरोना वायरस से बचाने के प्रमुख तरीकों में से एक था. क्योंकि हाथों के जरिए आसानी से वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल जाता है.
ग्लोबल हैंडवाशिंग डे के मौके पर, पेयजल और स्वच्छता विभाग (Drinking Water and Sanitation Department) की सचिव विनी महाजन ने लोगों से अपील की कि वे हर बार – शौचालय जाने के बाद , खाना खाने से पहले, या खाना पकाने से पहले हाथ धोने की आदत डालने पर ध्यान दें. ये अच्छे स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है. विनी महाजन ने कहा कि इसके अलावा स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े संक्रमणों को फैलने से रोकने के लिए हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स को भी बार-बार हाथ धोने की जरूरत होती है. सभी के लिए पानी और स्वच्छता तक पहुंच सुनिश्चित करने के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल (SDG) को हासिल करने के बारे में बात करते हुए विनी महाजन ने कहा,
हम जानते हैं कि पानी, सेनिटेशन और हाइजीन एक दूसरे से आपस में जुड़े हुए हैं. हम इस बात से भी वाकिफ हैं कि ग्लोबल कम्युनिटी ने SDG (Sustainable Development Goal) के माध्यम से साल 2030 तक सभी को सुरक्षित पानी और स्वच्छता मुहैया कराने का लक्ष्य तय किया है. मुझे बहुत खुशी है कि भारत ने इस कोशिश को प्राथमिकता दी है और इस दिशा में ठोस प्रयास किए जा रहे हैं. हमें उम्मीद है कि इन कोशिशों के चलते हम समय से पहले ही इस लक्ष्य को हासिल कर लेंगे.
WHO साउथ-ईस्ट एशिया रीजन की रीजनल डायरेक्टर डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि दुनिया ने कोरोना महामारी का डटकर सामना किया और अब लोग उसके साथ जीना सीख रहे है. ऐसे में हाथ की स्वच्छता को अपनी रोजमर्रा के जीवन का अभिन्न अंग बनाना और भी जरूरी हो जाता है. डॉ. खेत्रपाल ने आगे कहा,
स्वास्थ्य देखभाल के लिए हाथ की स्वच्छता को हर स्तर पर बढ़ावा देना बेहद जरूरी है. हाथ की स्वच्छता यानी हाथ को साफ रखना जो एक आसान काम है, को स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े संक्रमणों को कम करने के प्राथमिक तरीकों में से एक माना जाता है.
लोगों को गाइड करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाथ धोने का स्टेप-बाय-स्टेप तरीका समझाया है:- सबसे पहले हाथों को पानी से गीला करें और हाथ की सभी सतहों को कवर करने के लिए पर्याप्त साबुन लगाएं
– दोनों हाथों की हथेलियों को आपस में रगड़ें. फिर अपने दाएं हाथ की हथेली को बायें हाथ की हथेली के पिछले भाग पर रखें और उंगलियों को आपस में फंसा कर विपरीत दिशा में रगड़ते हुए साफ करें. फिर बायें हाथ से यही क्रिया दोहराएं.
– फिर हथेली से हथेली तक उंगलियों को आपस में फंसा कर साफ करें और उंगलियों के पिछले हिस्से को भी रगड़ कर साफ करें.
– दाएं हाथ की उंगलियों को बायीं हथेली में फंसाकर, पीछे और आगे की ओर ले जाते हुए रगड़कर साफ करें फिर बायें हाथ से भी इसी क्रिया को दोहराएं.
– इसके बाद हाथों को पानी से धोएं और सिंगल यूज टॉवल यानी एक ही बार इस्तेमाल होने वाले तौलिये से हाथों को अच्छी तरह पोछकर सुखा लें.
– नल बंद करने के लिए हाथों की जगह अपने तौलिये का इस्तेमाल करें और अब आपके हाथ एकदम सुरक्षित यानी साफ हैं.
साबुन से हाथ धोना बेहतर स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और समानता में योगदान देता है. इस साल की थीम का फोकस हैंडवाशिंग को सभी के लिए सुलभ बनाना है ताकि यह कई सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल को हासिल करने में योगदान दे सके. यह कई बीमारियों से बचाव के लिए लोगों को हाथ धोने के लिए प्रोत्साहित करने के तरीकों को सीखने, डिजाइन करने, और उन्हें लोगों के साथ साझा करने का एक अवसर है.