नई दिल्ली: ‘बनेगा स्वस्थ इंडिया सीजन 9’ के समापन समारोह में सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ पद्मश्री प्रोफेसर (डॉ.) इंदिरा चक्रवर्ती ने कहा कि “प्रिवेंटिव हेल्थ केयर आज दुनिया में स्वास्थ्य का स्तंभ है.” साथ ही पद्म पुरस्कार विजेता ने कहा कि जनसंख्या में वृद्धि, जलवायु परिवर्तन और हमारे चारों ओर फैले प्रदूषण के चलते निवारक स्वास्थ्य देखभाल यानी प्रिवेंटिव हेल्थ केयर अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि यह उपचारात्मक स्वास्थ्य देखभाल (क्यूरेटिव हेल्थकेयर) पर जोर देती है.
पब्लिक हेल्थ का दायरा काफी व्यापक है, जिसमें पोषण, स्वच्छता, पर्यावरण, जल और स्वच्छता जैसी चीजें शामिल हैं.
प्रिवेंटिव हेल्थ केयर के महत्व की चर्चा करते हुए, डॉ. चक्रवर्ती ने कहा कि, सार्वजनिक स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा जाए रोकथाम एक प्राथमिक कदम होता है, जबकि बीमारी शुरू होने पर इलाज किया जाना उसका अगला कदम होता है.
प्रोफेसर (डॉ.) इंदिरा चक्रवर्ती एक भारतीय पब्लिक हेल्थ विशेषज्ञ, विद्वान और पर्यावरणविद् हैं, जिन्हें पब्लिक हेल्थ और पर्यावरण के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 2014 में पद्म श्री से सम्मानित किया जा चुका है.
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वह देश में WASH कार्यक्रम और खाद्य सुरक्षा जैसे मामलों में सक्रिय रही हैं और 80 से अधिक सरकारी और निजी क्षेत्र के रिसर्च प्रोजेक्ट्स में प्रमुख इंवेस्टीगेटर रही हैं. डॉ. चक्रवर्ती ने कई पुस्तकों का लेखन किया है और उनके 250 से अधिक लेख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों और पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं.
‘बनेगा स्वस्थ इंडिया’ अभियान के योगदान के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस अभियान ने लोगों के बीच प्रिवेंटिव हेल्थकेयर और हेल्थ एंड वेलफेयर के महत्व के बारे में समझ विकसित की है. इसने पानी, साफ-सफाई और स्वच्छता (डब्ल्यूएएसएच) के महत्व पर प्रकाश डाला है, जिससे लोगों के इर्दगिर्द एक स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण बनाए रखा जा सके. इससे लोगों में फैलने वाली बीमारियों को नियंत्रित किया जा सकेगा.
भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में लाए गए बदलावों और इन्हें आगे बढ़ाने में रेकिट के प्रयासों के बारे में बात करते हुए डॉ. चक्रवर्ती ने डायरिया नेट जीरो कार्यक्रम, स्वच्छता पाठ्यक्रम कार्यक्रम और बर्ड्स एंड बीज कार्यक्रम जैसे कार्यक्रमों का जिक्र करते हुए कहा कि इन सभी कदमों का उद्देश्य लोगों में जागरूकता बढ़ाकर व उन्हें शिक्षित करके विभिन्न प्रकार की समस्याओं के समाधान पेश करने पर है.
डॉ. चक्रवर्ती ने कहा कि इन कार्यक्रमों ने कई सरकारी कार्यक्रमों पर भी सकारात्मक प्रभाव डालते हुए उन्हें आगे बढ़ाने में मदद की है. इनमें स्वच्छ भारत मिशन (‘स्वच्छ भारत’ के लक्ष्य पर केंद्रित सरकारी अभियान), स्वच्छ भारत 2.0 (कचरा प्रबंधन), जल जीवन मिशन (प्रत्येक ग्रामीण परिवार और सार्वजनिक संस्थान में पेयजल मुहैया कराने का मिशन)। जैसे सरकारी कार्यक्रम शामिल हैं. पद्म पुरस्कार विजेता ने कहा,
स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखने और बीमारियों को दूर रखने के लिए ये सभी कार्यक्रम बेहद महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह पर्यावरण, स्वच्छता और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर केंद्रित हैं.
डॉ. चक्रवर्ती ने यह भी कहा कि विभिन्न बीमारियों की रोकथाम और उन्मूलन, पोषण को बढ़ावा देने, सुरक्षित पेय जल की आपूर्ति, अस्पतालों में धुलाई (वॉश) सुविधाओं को बेहतर बनाने, जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य और टीकाकरण कार्यक्रमों सहित अन्य कार्यक्रमों के लिए स्वास्थ्य विभागों के बीच समन्वय जरूरी है. उन्होंने कहा,
इन कार्यक्रमों और सभी के लिए स्वास्थ्य के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हाईजीन (स्वच्छता) बनाए रखनी होगी.
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डॉ. इंदिरा चक्रवर्ती संयुक्त राष्ट्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ), संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (यूनिसेफ), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी), अंतरराष्ट्रीय विकास अनुसंधान केंद्र (आईडीआरसी), कनाडाई अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (सीआईडीए) जैसी कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की सलाहकार और परामर्शदाता रही हैं. डॉ. चक्रवर्ती को उनके प्रयासों के लिए कई पुरस्कार और सम्मान भी प्राप्त हुए हैं, जिनमें खाद्य और कृषि संगठन का ‘एडुआर्डो सौमा’ पुरस्कार, अखिल भारतीय इंदिरा गांधी राष्ट्रीय प्रियदर्शनी पुरस्कार शामिल हैं. राष्ट्रीय एकता परिषद (एआईएनयूसी) और अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा के कॉलेज ऑफ पब्लिक हेल्थ (यूएसएफ) के अध्यक्ष द्वारा प्रदान किया गया सार्वजनिक स्वास्थ्य में वैश्विक नेतृत्व का प्रतिष्ठित पुरस्कार भी उन्हें मिल चुका है.
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