बेहतर भविष्य के लिए रेकिट की प्रतिबद्धता

डेटॉल स्कूल स्वच्छता शिक्षा कार्यक्रम 2022 के प्रभाव: मुख्य निष्कर्ष

रेकिट की पहल डेटॉल स्कूल हाइजीन एजुकेशन प्रोग्राम के कारण कुल मिलाकर स्कूल अनुपस्थिति 36 प्रतिशत से घटकर 23 प्रतिशत हो गई. इस कार्यक्रम ने अपने शुरुआती दौर में ही बच्चों में हाथ धोने जैसी स्वस्थ आदतें डाली हैं, ताकि इस सीख के जरिये नई पीढ़ी के जीवन पर एक बेहतर प्रभाव डाला जा सके

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डेटॉल स्कूल स्वच्छता शिक्षा कार्यक्रम 2022 का प्रभाव: मुख्य निष्कर्ष

नई दिल्ली: स्वच्छता से ही एक खुशहाल और स्वस्थ दुनिया की शुरुआत होती है – इस एजेंडे को ध्यान में रखते हुए 2014 में अपने व्यापक आंदोलन ‘डेटॉल : बनेगा स्वस्थ इंडिया’ के तहत रेकिट ने ‘डेटॉल स्कूल हाइजीन एजुकेशन प्रोग्राम’ लॉन्च किया था. कार्यक्रम का उद्देश्य शुरुआती चरण में स्वच्छता की शिक्षा देना और साफ-सफाई की आदतों को शामिल करना है, ताकि इस सीख के जरिये बुनियादी व्यवहार में बदलाव आ सकें और नई पीढ़ी के जीवन पर एक बेहतर प्रभाव डाला जा सके.

पिछले कुछ वर्षों में डेटॉल स्कूल हाइजीन एजुकेशन प्रोग्राम ने असरदार और अनूठे कदमों के जरिये स्वच्छता को लेकर समझ और व्यवहार में क्रांति ला दी है, जैसे:

– हाइजीन बडी किट (Hygiene Buddy Kits) वितरित करना, जो अनुभव से सीखने को प्रेरित करती है और STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) सोच को जागृत करता है. इन किट्स में बच्चों के लिए “सोपी प्‍ले डो (Soapy Play Dough) ” और “कीटाणु कैसे फैलते हैं (Learning How Germs Spread) ” जैसे मजेदार खेल शामिल हैं, जो न्यूरो लिंग्विस्ट प्रोग्रामिंग (NLP) के माध्यम से सीखने को प्रोत्साहित करते हैं.

– कॉमिक बुक्स के माध्यम से स्वच्छता के विज्ञान को पढ़ाना, चाचा चौधरी और साबू जैसे अपने पसंदीदा और प्रिय पात्रों के माध्यम से बच्चों के साथ जोड़ना.

– डेटॉल हाइजीन प्ले पार्कों का निर्माण, जो अपनी तरह की अनूठी पहल है जो व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए खेल-खेल में सिखाने की तकनीक पर आधारित है. यह पर्यावरण के अनुकूल तरीकों से स्वच्छता को लेकर जागरूकता पैदा करती है.

– प्रत्येक स्कूल में स्वच्छता कोनों यानी हाईजीन कॉर्नर की स्थापना, जिसमें स्वच्छता के लिए आवश्यक चीजें जैसे साबुन, बाल्टी, पानी के मग, तौलिये, छात्रों की वर्कबुक, शिक्षक के मैनुअल, पोस्टर, एक प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स और अन्‍य प्रदर्शन सामग्री होती है. इन हाईजीन कॉर्नर का मकसद छात्रों को स्वच्छता के महत्व के बारे में बताना है.

साल दर साल तरक्‍की

2014 में यह कार्यक्रम केवल 2,500 स्कूलों के साथ शुरू हुआ था, जो आज 840,000 स्कूलों और 500,000 मदरसों में 24 मिलियन बच्चों तक पहुंच गया है. इस पहल में शामिल बच्चों को एक ऐसे इको सिस्‍टम में पाला जा रहा है जहां साफ-सफाई से जुड़ी सकारात्मक आदतों और व्यवहार के जरिये स्वच्छता के बारे में सिखाया जाता है और इन चीजों के जरिये एक स्वच्छता की संस्‍कृति को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाता है.

अन्य प्रमुख निष्कर्ष

पिछले कुछ वर्षों में, डेटॉल स्कूल हाइजीन एजुकेशन प्रोग्राम ने खुद को स्वच्छता के बारे में ज्ञान, नजरिये, आदतों और व्यवहार में तेज बदलाव लाने की क्षमता के साथ एक मजबूत पहल के रूप में साबित किया है. रेकिट द्वारा हाल ही में डेटॉल स्कूल हाइजीन एजुकेशन प्रोग्राम 2022 के प्रभाव पर प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार इस पहल ने निम्नलिखित उद्देश्‍यों को हासिल करने में सहायता की है:

1. इस कार्यक्रम से बच्चों में हाथ धोने की आदत को बढ़ावा मिला है और यह 11 प्रतिशत के निचले स्‍तर से बढ़कर 86 प्रतिशत पर पहुंच गई.

2. बच्चों में हाथ धोने की आदत के महत्‍व की समझ 35 प्रतिशत से 99 प्रतिशत तक पहुंच गई.

3. कार्यक्रम में 80 प्रतिशत बच्चों ने स्वच्छता के प्रति सकारात्मक व्यवहार प्रदर्शित किया, जो पहले महज 21 प्रतिशत था.

4. पीने के पानी की सुरक्षित हैंडलिंग के बारे में जानकारी 46 प्रतिशत बच्‍चों से बढ़कर 94 प्रतिशत तक पहुंची.

5. 75 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने हमेशा सफाई की आदतों का पालन किया, जो कि पहले महज 6 प्रतिशत के बेहद निचले स्‍तर पर था.

6. इस कार्यक्रम के फलस्‍वरूप पहले के 44 प्रतिशत के मुकाबले 86 प्रतिशत बच्‍चों ने स्वच्छता से जुड़ी आदतों और व्‍यवहार के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदर्शित किया.

7. इस कार्यक्रम को चलाने वाले स्‍कूलों में बच्‍चों की अनुपस्थिति 36 प्रतिशत से घटकर 23 प्रतिशत पर आ गई.

सकारात्मक बदलाव के बारे में बात करते हुए, रेकिट – दक्षिण एशिया के कार्यकारी उपाध्यक्ष गौरव जैन ने कहा,

छोटे बच्चे परिवर्तन के प्रभावशाली कारक होते हैं. उनमें घरों में जागरूकता बढ़ाने की क्षमता होती है, जो आगे चलकर पूरे समुदाय में बदलाव लाती है. स्कूल इस प्रक्रिया में एक व्‍यवस्थित और स्थायी तरीके से व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाने में अहम भूमिका निभाते हैं. पिछले छह वर्षों में, डेटॉल स्कूल स्वच्छता शिक्षा कार्यक्रम ने बच्चों में स्वच्छता-समर्थक व्यवहार को विकसित किया है और स्वच्छता तक पहुंच बनाकर इन आदतों को सपोर्ट किया है. इसने परिवारों और समुदायों में परिवर्तन और जीवन के कई क्षेत्रों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने के साथ जबरदस्त सामाजिक मूल्य बनाया है.

रेकिट के डायरेक्टर, एक्सटर्नल अफेयर्स एंड पार्टनरशिप्स, एसओए, रवि भटनागर ने कहा,

डेटॉल स्कूल हाइजीन प्रोग्राम सिद्धांत को व्यवहार में लाता है. इसे बच्चों में स्वच्छता के बारे में ज्ञान, नजरिये, आदतों और व्यवहार में बदलाव के लिए एक अनुभवात्मक और गतिविधि-आधारित पाठ्यक्रम के रूप में विकसित किया गया था. इसे 2014 में 2,500 स्कूलों में लॉन्च किया गया था, उसके बाद से यह 8 राज्यों के 40 जिलों में 24 मिलियन बच्चों तक पहुंच चुका है. अपनी दृष्टि के अनुरूप यह कार्यक्रम बच्चों के साथ एक सहयोगी के रूप में जुड़ता है, जिससे उन्हें परिवर्तन लाने में मदद मिलती है. यह उनके नेतृत्व की क्षमता और सोच विचार के कौशल में 99% तक की बढ़ोतरी करता है. इसके अलावा इसके जरिये स्वच्छता को स्कूली पाठ्यक्रम से जोड़कर बच्‍चों में कम उम्र में ही साफ सफाई से जुड़ी आदतों और व्यवहारों की जड़ें जमा कर एक बड़े बदलाव को संभव बनाता है

भारत में डेटॉल स्कूल हाइजीन एजुकेशन जैसे कार्यक्रमों की आवश्यकता

लगातार विकास के लिए 2030 के एजेंडे में सतत विकास लक्ष्य-6 के तहत ‘सभी के लिए पानी और स्वच्छता की उपलब्धता और स्थाई प्रबंधन’ सुनिश्चित करने का आह्वान किया गया है और लक्ष्य 6.1 और 6.2 के तहत WASH सेवाओं के लिए महत्वाकांक्षी इंडिकेटर्स स्थापित

किए गए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि हाथों की उचित स्वच्छता पांच साल से कम उम्र के बच्चों में सांस और डायरिया से होने वाली मौतों को क्रमश: 21 प्रतिशत और 30 प्रतिशत तक कम करने में मदद करती है. यूनिसेफ का कहना है कि पिछले पांच वर्षों में प्रति दिन 300,000 की दर से आधे अरब लोगों ने बुनियादी हाथ स्वच्छता सुविधा प्राप्त की है. हालांकि विशेषज्ञों के अनुसार यह प्रगति अभी भी बहुत धीमी है. यूनिसेफ का कहना है कि वर्तमान दर पर बढ़ोतरी होने पर भी 2030 तक लगभग 2 बिलियन लोगों तक बुनियादी हाथ स्वच्छता सुविधाओं की पहुंच नहीं होगी, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और आर्थिक विकास सहित विकास की अन्य प्राथमिकताओं को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा. डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनिया भर के लगभग आधे स्कूलों में बुनियादी स्वच्छता सुविधाएं उपलब्‍ध नहीं हैं, जिससे 817 मिलियन बच्चे प्रभावित हुए हैं.

सभी के लिए बेहतर स्वास्थ्य के प्रयास और संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्य ‘नो वन बिहाइंड’ के अनुरूप ही रेकिट ने एक गहरी सोच के साथ एक स्वच्छ, स्वस्थ दुनिया के निर्माण लिए सुरक्षा, उपचार और पोषण के लक्ष्‍य के साथ डेटॉल स्कूल स्वच्छता शिक्षा अभियान की शुरुआत की गई.